गुड़गांव में पालतू हस्की का हमला सोशल मीडिया पर वायरल, जिम्मेदार पालतू पालन पर फिर बहस तेज

गुड़गांव में पालतू हस्की का हमला सोशल मीडिया पर वायरल

प्रेषित समय :20:53:59 PM / Thu, Jul 31st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

गुड़गांव के पॉश इलाक़े गोल्फ कोर्स रोड पर हाल ही में घटित एक विचलित कर देने वाली घटना ने देशभर में सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर तीखी बहस छेड़ दी है. एक महिला पर पालतू सिबेरियन हस्की कुत्ते द्वारा हमला किए जाने की घटना CCTV कैमरे में कैद हो गई, और जब वीडियो वायरल हुई, तो यह सिर्फ एक व्यक्तिगत दुर्घटना न रहकर समाज में पालतू जानवरों को लेकर बढ़ती असंवेदनशीलता और प्रशासनिक शिथिलता की गवाही बन गई.

गुड़गांव की यह घटना केवल एक महिला पर एक कुत्ते का हमला नहीं थी. यह एक आईना है, जिसमें शहरी समाज की गैर-जिम्मेदार पालतू संस्कृति, प्रशासनिक ढील, और कानूनी अपर्याप्तता स्पष्ट दिखती है. यह समय है जब हम ‘पेट-फ्रेंडली’ शब्द को ‘पब्लिक-फ्रेंडली पेट पॉलिसी’ की दिशा में ले जाएं. केवल पालतू प्रेम नहीं, पालतू अनुशासन ही वह दिशा है जिसमें समाज को आगे बढ़ना चाहिए. वरना अगला वायरल वीडियो किसी और की चीख़ों के साथ फिर सामने होगा.

इस घटना ने पालतू पशुओं की सार्वजनिक सुरक्षा, कानूनी जिम्मेदारी और नागरिक उत्तरदायित्व जैसे महत्वपूर्ण विषयों को एक बार फिर से विमर्श के केंद्र में ला खड़ा किया है.

घटना की संक्षिप्त जानकारी
यह घटना दोपहर के समय की है जब एक महिला अपनी सामान्य दिनचर्या के तहत फुटपाथ पर चल रही थी. उसी समय एक व्यक्ति अपने पालतू हस्की को पट्टे पर लेकर टहला रहा था. हालांकि कुत्ता पट्टे से बंधा था, पर उसकी आक्रामकता पर नियंत्रण नहीं था. वीडियो में स्पष्ट दिखाई देता है कि अचानक कुत्ता महिला की ओर झपटता है, उसे हाथ में काटता है और उसे सड़क पर गिरा देता है. महिला खुद को छुड़ाने की भरसक कोशिश करती है, लेकिन जब तक आसपास के लोग मदद के लिए आते, तब तक वह बुरी तरह घायल हो चुकी थी.

वायरल वीडियो और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
यह वीडियो कुछ ही घंटों में ट्विटर (अब एक्स), इंस्टाग्राम और फेसबुक पर लाखों बार देखा गया. "हस्की अटैक" और "गुरुग्राम पेट सेफ्टी" जैसे हैशटैग्स ट्रेंड करने लगे. अनेक यूज़र्स ने इस घटना को हस्की नस्ल की हिंसक प्रवृत्ति से जोड़ दिया, तो कुछ ने इसके लिए सीधे मालिक की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया.

दिल्ली NCR क्षेत्र में रहने वाले कई नागरिकों ने साझा किया कि ऐसे बड़े और सशक्त कुत्तों को बिना प्रशिक्षण और सुरक्षा प्रबंध के सार्वजनिक स्थानों पर लाना एक खतरनाक चलन बन चुका है. कई पालतू प्रेमियों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया दी, लेकिन उनके विचार काफी विभाजित रहे.

पालतू पालन में जागरूकता की कमी
भारत में पालतू जानवर पालने का चलन बीते एक दशक में तेजी से बढ़ा है, खासकर शहरी मध्यम और उच्चवर्गीय परिवारों में. लेकिन इस प्रवृत्ति के साथ पालतू जानवरों की नस्ल, स्वभाव, ज़िम्मेदारी और प्रशिक्षण को लेकर अपेक्षित जागरूकता का अभाव है.

सिबेरियन हस्की जैसे कुत्ते अत्यधिक ऊर्जावान, ठंडे वातावरण में पनपने वाले और कभी-कभी प्रभुत्व दिखाने वाले जानवर होते हैं. उनका पालन भारत जैसे गर्म देश में एक विशिष्ट अनुशासन, मानसिक तैयारी और स्थान की मांग करता है. केवल दिखावे या विदेशी नस्लों की चाह में इन्हें पालना, बिना पूरी जानकारी और प्रशिक्षण के, न केवल जानवर के लिए बल्कि आम नागरिकों के लिए भी खतरनाक बन सकता है.

क्या है कानूनी ढांचा
वर्तमान में भारत में पालतू कुत्तों को लेकर कोई स्पष्ट और कड़ाई से लागू होने वाला राष्ट्रीय कानून नहीं है जो ऐसे मामलों में अपराध और दंड की प्रक्रिया तय कर सके. नगरपालिका स्तर पर कुछ दिशानिर्देश जरूर हैं—जैसे कुत्ते को पट्टे पर रखना, सार्वजनिक स्थान पर माउथ गार्ड लगाना, लेकिन इनका पालन शायद ही होता है.

कानून विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रकार की घटनाओं में मालिक पर भारतीय दंड संहिता, 2023 के तहत धारा 277 (लापरवाही से सार्वजनिक स्थल पर खतरा पैदा करना) या धारा 129 (सार्वजनिक स्थलों की असुरक्षा) जैसी धाराएं लग सकती हैं. परंतु इन धाराओं का प्रवर्तन तभी संभव होता है जब पीड़ित शिकायत दर्ज कराए और पुलिस सक्रियता दिखाए.

ऐसी घटनाएं प्रशासनिक चेतना को भी ललकारती हैं. क्या किसी हाउसिंग सोसायटी, नगर निगम, या RWA के पास पालतू जानवरों की नस्ल, संख्या और उनकी स्थिति की रजिस्ट्री है? क्या आम नागरिकों के पास शिकायत का त्वरित समाधान उपलब्ध है? क्या कोई प्रशिक्षण अनिवार्य है? अधिकतर मामलों में उत्तर ‘नहीं’ है.

साथ ही, पालतू जानवर पालना आज के शहरी जीवन में अकेलेपन का एक भावनात्मक समाधान बन गया है, लेकिन इसके साथ ज़िम्मेदारी भी जुड़ी होती है. समाज को यह समझने की ज़रूरत है कि पशु अधिकारों की रक्षा तभी टिकाऊ है जब वह मानव अधिकारों और सार्वजनिक सुरक्षा के साथ संतुलन में हो.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-