बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस पर रोक लग सकती है, हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार को निजी स्कूलों की फीस तय करने के लिए कानून बनाने का अधिकार है. कोर्ट ने राज्य सरकार के गैर सरकारी विद्यालय शुल्क विनियमन अधिनियम, 2020 और नियम, 2020 को संवैधानिक माना है. साथ ही प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की याचिका को खारिज कर दिया है. मामले की सुनवाई जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच में हुई.
दरअसल, राज्य सरकार ने साल 2020 में छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय शुल्क विनियमन अधिनियम लागू करने का निर्णय लिया था. इसके लागू होने के बाद प्रदेश में संचालित निजी स्कूलों के एसोसिएशन ने साल 2021 में हाईकोर्ट में चुनौती दी. इसमें कहा कि वे गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों का प्रतिनिधित्व करते हैं और यह अधिनियम उनकी स्वायत्तता (ऑटोनॉमी) में हस्तक्षेप करता है. फीस तय करने का अधिकार केवल प्रबंधन के पास होना चाहिए, इसमें सरकारी हस्तक्षेप अनुचित है.
निजी स्कूलों ने बताया समानता के अधिकार का उल्लंघन
याचिका में प्राइवेट स्कूल की तरफ से बताया गया कि अधिनियम को संविधान के अनुच्छेद 14 यानी समानता का अधिकार और 19(1)(द्द) व्यवसाय करने की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए अधिनियम को असंवैधानिक बताया. वहीं, राज्य सरकार ने तर्क दिया कि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में आती है. अधिनियम का उद्देश्य पारदर्शिता और न्यायोचित शुल्क तय करना है. सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि निजी स्कूल भी इस नियम से मुक्त नहीं हो सकते.
संघ है याचिकाकर्ता, नागरिक नहीं- हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता संघ नागरिक नहीं हैं, ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 19 का हवाला देकर संवैधानिक अधिकारों का हवाला नहीं दिया जा सकता. फीस के लिए नियम तय करना राज्य सरकार का अधिकार है. अधिनियम का उद्देश्य केवल फीस में पारदर्शिता लाना है. कोई अधिनियम केवल इस आधार पर अवैध नहीं ठहराया जा सकता कि उससे किसी को असुविधा हो रही है.
छात्रों और अभिभावकों को मिलेगी राहत
हाईकोर्ट के इस महत्वपूर्ण फैसले से राज्य के निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों और अभिभावकों को बड़ी राहत मिल सकती है. अब निजी स्कूलों को फीस तय करने में जवाबदेही और पारदर्शिता बरतनी होगी. इसमें अभिभावकों की भागीदारी और जिला स्तरीय समिति की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गई है. साथ ही प्राइवेट स्कूलों के लिए राज्य शासन के निर्देशों के तहत ही फीस ली जा सकती है.




