5वें टेस्ट में तीसरे दिन भारत की चालाकी से पलटी बाज़ी: मैदान पर संघर्ष, ड्रेसिंग रूम में रणनीति, इंग्लैंड की फील्डिंग बनी मज़ाक

5वें टेस्ट में तीसरे दिन भारत की चालाकी से पलटी बाज़ी: मैदान पर संघर्ष

प्रेषित समय :21:16:48 PM / Sat, Aug 2nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

द ओवल, लंदन से विशेष रिपोर्ट

तीसरे दिन का खेल केवल एक आंकड़ा भर नहीं था, बल्कि टेस्ट क्रिकेट की उस सूक्ष्म परत को उजागर करता है जहाँ मानसिक संतुलन, सामूहिक रणनीति और अवसरों का सदुपयोग निर्णायक बन जाता है. भारत की टीम ने इस दिन जो किया वह न सिर्फ स्कोरबोर्ड पर दिखाई दिया, बल्कि यह इंग्लैंड के आत्मविश्वास में गहराई से दर्ज हुआ. आकाशदीप जैसे अपेक्षाकृत नए खिलाड़ी का धैर्य, यशस्वी जायसवाल की पारी की परिपक्वता, और इंग्लैंड की लड़खड़ाती फील्डिंग — इन सबने मिलकर मुकाबले को भारत की झोली की ओर मोड़ दिया.

यह दिन टेस्ट क्रिकेट के उस पहलू की समीक्षा करने का अवसर था जिसमें तकनीक से ज़्यादा मनोबल और फोकस काम आते हैं. इंग्लैंड की योजना बिखरी हुई दिखी, जबकि भारत की रणनीति में एक संयमित लय थी — और यही फर्क तीसरे दिन का सबसे अहम सबक रहा.

 'नाइटवॉचमैन' नहीं, 'नाइटहंटर' बने आकाशदीप
आकाशदीप को जब बीती रात नाइटवॉचमैन के तौर पर भेजा गया, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह युवा तेज़ गेंदबाज़ बल्ले से भी मुकाबले की दिशा मोड़ देगा. सुबह की शुरुआत में जिस तरह उन्होंने इंग्लैंड के अनुभवी गेंदबाज़ों को ठहराव से झेला और फिर आत्मविश्वास के साथ कवर ड्राइव और पुल लगाए, वह काबिल-ए-तारीफ था. उन्होंने 66 रनों की एक दिलेरी भरी पारी खेली, जो सिर्फ रन नहीं थे — ये इंग्लैंड की रणनीति के मुंह पर तमाचा था.

जायसवाल की मैच पठन क्षमता ने दिलाई छठी सेंचुरी
अगर आकाशदीप ने लड़ाई का बिगुल बजाया, तो यशस्वी जायसवाल ने उसे रणनीति से युद्ध में बदला. उनकी बल्लेबाज़ी में तकनीकी पकड़ के साथ-साथ मानसिक दृढ़ता भी झलकी. उन्होंने गेंदबाज़ों को थकाया, स्कोरिंग गेप्स खोजे और मौका मिलते ही आक्रामक प्रहार भी किए. यह महज़ एक शतक नहीं था — यह इंग्लैंड के आत्मविश्वास की नींव हिला देने वाली पारी थी.

इंग्लैंड की फील्डिंग: अवसर गंवाने की दुखद कथा
इस टेस्ट मैच का शायद सबसे बड़ा कोण जो आज उभरा — वह था इंग्लैंड की "फील्डिंग की फिसलन". पांच से ज़्यादा कैच छूटे — और वो भी प्रमुख खिलाड़ियों के. कप्तान बेन स्टोक्स और अनुभवी जॉनी बेयरस्टो जैसे खिलाड़ियों से ऐसी गलतियां इंग्लैंड के अनुशासन पर सवाल उठाती हैं. स्लीप कॉर्डन असहाय दिखा, विकेटकीपर की प्रतिक्रिया देर से हुई और आउटफील्ड में झिझक साफ दिख रही थी.

विशेषज्ञों का मानना है कि यह वही थकावट है जो कई मैचों के दौरान जब मानसिक रूप से तैयार नहीं होते, तब उभरती है. स्टोक्स की फील्ड प्लेसमेंट भी कई बार संदिग्ध दिखी — जिससे ऐसा लगा कि इंग्लैंड अब सिर्फ विकेट की उम्मीदों पर चल रहा है, योजना के तहत नहीं.

रोहित शर्मा की चुप्पी, टीम मीटिंग्स में तनाव के संकेत?
आज तीसरे दिन रोहित शर्मा की मौजूदगी भी चर्चा का विषय रही. वह सुबह मैदान पर दिखे जरूर, पर कैमरों और मीडिया से पूरी तरह बचते रहे. भारतीय खेमे से जुड़े सूत्रों का कहना है कि टीम मीटिंग्स में रणनीति को लेकर कुछ मतभेद थे — खासकर बल्लेबाज़ी क्रम और बुमराह के वर्कलोड को लेकर.

हालांकि बीसीसीआई की ओर से कोई अधिकारिक बयान नहीं आया, लेकिन ड्रेसिंग रूम के अंदर ‘चुप्पी का शोर’ कई सवाल खड़े कर रहा है.

 इंग्लैंड का मनोबल गिरा, लेकिन स्टोक्स ने हिम्मत नहीं हारी
जहां इंग्लैंड के कुछ खिलाड़ी थके और टूटे दिखे, वहीं कप्तान बेन स्टोक्स ने आखिरी सेशन में गेंदबाज़ों को उत्साहित करने की कोशिश की. उन्होंने खुद फील्डिंग को रीकैप्चर करने की कोशिश की, लेकिन गेंदबाज़ उनके इशारों पर नाचते कम और थकते ज़्यादा दिखे.

 एक विशेष कोण – भारत की बदलती टेस्ट रणनीति
आज का दिन इस बात का गवाह था कि भारतीय टेस्ट टीम अब पुराने 'रक्षा के सहारे जीत' के मॉडल से निकलकर 'थोड़ा रिस्क, ज्यादा आक्रामकता और सूझबूझ' की नई सोच पर चल पड़ी है. नाइटवॉचमैन को आक्रमण का हथियार बनाना, जायसवाल को लंबा समय देना और गेंदबाज़ों को सॉफ्ट-रोटेशन देना — ये सब संकेत हैं कि कोचिंग स्टाफ और थिंक टैंक एक नए युग की नींव रख रहे हैं.

  कल के दिन की शुरुआत भारत की बढ़त और इंग्लैंड के जवाब से होगी. लेकिन आज जो मनोवैज्ञानिक बढ़त भारत ने हासिल की है — वो रन बोर्ड से कहीं ज़्यादा मूल्यवान है.  

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-