वागड़. पच्चक्खाण का भावार्थ शपथ है, संयम है, जैन धर्म में पच्चक्खाण ऐसा अनुष्ठान है, जिसमें भोजन में कठोर अनुशासन का पालन किया जाता है.
दक्षिण राजस्थान में पच्चक्खाण : बुधवार, 6 अगस्त 2025
* दिन का प्रथम प्रहर- 06:04 से 09:21
नवकारशी- 06:57
* दिन का द्वितीय प्रहर- 09:21 से 12:38
पोरिसि- 09:21
साद्ध पोरिसि- 11:00
* दिन का तृतीय प्रहर- 12:38 से 15:55
पुरिमद्ध- 12:38
* दिन का चतुर्थ प्रहर- 15:55 से 19:12
अवद्ध- 15:55
चोविहार- 18:19
* रात्रि का प्रथम प्रहर- 19:12 से 21:55
सायं प्रतिक्रमण- 19:12
* रात्रि का द्वितीय प्रहर- 21:55 से 00:38
संथारा पोरिसि- 21:55
* रात्रि का तृतीय प्रहर- 00:38 से 03:21
निशिता- 00:38
* रात्रि का चतुर्थ प्रहर- 03:21 से 06:05
प्रातः प्रतिक्रमण- 03:21
दैनिक चौघड़िया- बुधवार, 6 अगस्त 2025
लाभ - 06:04 से 07:43
अमृत - 07:43 से 09:21
काल - 09:21 से 11:00
शुभ - 11:00 से 12:38
रोग - 12:38 से 14:16
उद्वेग - 14:16 से 15:55
चर - 15:55 से 17:33
लाभ - 17:33 से 19:12
रात्रि का चौघड़िया
उद्वेग - 19:12 से 20:33
शुभ - 20:33 से 21:55
अमृत - 21:55 से 23:17
चर - 23:17 से 00:38
रोग - 00:38 से 02:00
काल - 02:00 से 03:21
लाभ - 03:21 से 04:43
उद्वेग - 04:43 से 06:05
* नवकारशी- जैन धर्म में महत्वपूर्ण संयम-प्रतिज्ञा है, जो सूर्योदय के 48 मिनट बाद की जाती है, इसमें नवकार मंत्र का जाप करके, पानी और भोजन ग्रहण करने की आज्ञा ली जाती है.
* पोरिसि - सूर्योदय के एक प्रहर बाद तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* साद्ध पोरिसि- सूर्योदय के बाद डेढ़ प्रहर तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* पुरिमद्ध- सूर्योदय के बाद दो प्रहर तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* अवद्ध- सूर्योदय के बाद तीन प्रहर तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* प्रहर- कुल दिन का समय : सूर्योदय से सूर्यास्त लें, इसे चार से भाग दें, तो एक प्रहर का समय प्राप्त होगा.
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, विभिन्न पंचांगों, धर्मग्रथों से साभार ली गई है, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं, क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!
- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी

