रक्षाबंधन 9 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा, जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और विशेष योग

रक्षाबंधन 9 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा, जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और विशेष योग

प्रेषित समय :20:16:13 PM / Wed, Aug 6th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

रक्षाबंधन हिन्दू संस्कृति का एक भावनात्मक और पारिवारिक पर्व है, जो भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। हर साल सावन पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है, लेकिन इस बार तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है — कुछ पंचांग 8 अगस्त तो कुछ 9 अगस्त 2025 का उल्लेख कर रहे हैं। आइए जानते हैं ज्योतिषीय गणना के अनुसार सटीक तिथि, शुभ मुहूर्त और इस दिन बन रहे विशेष योगों के बारे में।

रक्षाबंधन 2025 की सही तिथि:

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2:12 बजे

  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 9 अगस्त 2025 को दोपहर 1:24 बजे तक

उदया तिथि (यानी सूर्योदय के समय जो तिथि होती है) के अनुसार रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा, क्योंकि हिन्दू धर्म में पर्व का निर्धारण उदया तिथि से किया जाता है।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त:

  • शुभ समय: सुबह 5:45 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक

  • कुल अवधि: लगभग 7 घंटे 37 मिनट

  • भद्रा का साया: इस दिन भद्रा नहीं है, इसलिए सम्पूर्ण मुहूर्त राखी बांधने के लिए उत्तम और शुभ रहेगा।

इस रक्षाबंधन पर बन रहे हैं तीन शुभ योग:

  1. सर्वार्थ सिद्धि योग: किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने के लिए उत्तम माना जाता है।

  2. सौभाग्य योग: यह योग सफलता, समृद्धि और कल्याण का संकेत देता है।

  3. शोभन योग: इस योग में किए गए कार्य शुभ और फलदायी होते हैं।

इन तीनों योगों का एक साथ बनना रक्षाबंधन को विशेष रूप से फलदायक बना रहा है।

रक्षाबंधन का धार्मिक और पौराणिक महत्व

  • इस दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं, तिलक कर के मिठाई खिलाती हैं और उसकी दीर्घायु व सुख-शांति की कामना करती हैं।

  • भाई, जीवन भर बहन की रक्षा और सम्मान का वचन देता है और उपहार देता है।

  • यह केवल एक पारिवारिक पर्व नहीं, बल्कि कर्तव्य, आत्मीयता और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है।

पौराणिक प्रसंग और मान्यताएँ

 

  1. श्रीकृष्ण और द्रौपदी — जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को राखी बांधी थी, उन्होंने चीरहरण के समय उसकी रक्षा की थी।

  2. लक्ष्मी और राजा बलि — जब लक्ष्मी जी ने बलि को राखी बाँधी, तो उन्होंने उन्हें अपने साथ वैकुण्ठ ले जाने का वर पाया।

  3. इंद्र और इंद्राणी — पुराणों में इंद्राणी द्वारा इंद्र की रक्षा के लिए रक्षा सूत्र बाँधने का उल्लेख मिलता है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-