वैश्विक विज्ञापन और मार्केटिंग जगत में बहुप्रतीक्षित $13 बिलियन का IPG (Interpublic Group) और Omnicom Group का विलय अब अंतिम चरण में है। लेकिन इस ऐतिहासिक मर्जर से पहले IPG ने भारत में बड़े पैमाने पर आंतरिक पुनर्संरचना (restructuring) की शुरुआत कर दी है। यह कदम न केवल भारतीय विज्ञापन उद्योग के लिए महत्वपूर्ण संकेत है, बल्कि इस पूरे सौदे में भारत की भूमिका को भी उजागर करता है।IPG की भारत में पुनर्संरचना कोई सामान्य प्रबंधन परिवर्तन नहीं, बल्कि एक व्यापक वैश्विक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें भारत एक महत्वपूर्ण मोहरा बन चुका है।
मर्जर के बाद चाहे विश्व की सबसे बड़ी विज्ञापन होल्डिंग कंपनी अस्तित्व में आए, लेकिन अगर भारतीय बाज़ार की विविधता और रचनात्मक पहचान को संरक्षित नहीं किया गया, तो यह कदम मात्र संख्यात्मक वृद्धि तक ही सीमित रह जाएगा।आने वाले महीनों में यह देखना रोचक होगा कि IPG और Omnicom इस विलय को कैसे संचालित करते हैं—विशेष रूप से भारत जैसे चुनौतीपूर्ण लेकिन विशाल बाज़ार में।
IPG क्या है और क्यों है चर्चा में?
Interpublic Group (IPG) अमेरिका स्थित दुनिया की प्रमुख विज्ञापन होल्डिंग कंपनियों में से एक है, जिसकी छत्रछाया में McCann Worldgroup, MullenLowe Lintas, FCB Ulka, Initiative Media, Weber Shandwick जैसी नामचीन एजेंसियाँ आती हैं।
अब, यह समूह Omnicom—एक अन्य वैश्विक दिग्गज के साथ—मर्जर की ओर बढ़ रहा है, जो एक नई मेगाफर्म बनाएगा।लेकिन मर्जर से पहले IPG ने भारत सहित कई बाजारों में अपने कर्मचारियों, क्लाइंट मैनेजमेंट सिस्टम और एजेंसी नेटवर्क की समीक्षा और पुनर्संरचना शुरू की है।
भारत में हो रही बदलाव की लहर
हालिया रिपोर्टों के अनुसार (Economic Times), भारत में IPG ने निम्नलिखित बदलाव प्रारंभ किए हैं:
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शीर्ष नेतृत्व में फेरबदल: कई यूनिट्स के सीईओ और सीनियर मैनेजमेंट को नए दायित्वों में शिफ्ट किया जा रहा है।
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एजेंसी समेकन (Agency Consolidation): McCann और Lintas जैसी कंपनियों के कुछ डिविजनों को मिलाने की योजना बन रही है।
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मीडिया और डिजिटल यूनिट्स का एकीकरण: Initiative और Reprise जैसे डिजिटल ब्रांड्स को अधिक सिंक्रोनाइज़ किया जा रहा है।
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फंक्शनल रीडिज़ाइन: HR, ऑपरेशन्स और फाइनेंस टीमों के कामकाज को विलय के बाद की स्थिति के अनुरूप पुनर्गठित किया जा रहा है।
एक आंतरिक सूत्र ने कहा:“मर्जर के बाद दो बड़ी कंपनियों की टक्कर सिर्फ ब्रांड स्तर पर नहीं, कर्मचारियों, संरचना और नीतियों के स्तर पर भी होगी। भारत जैसे बाज़ार में इसे पहले से तैयार करना ज़रूरी है।”
असर किस पर पड़ेगा?
इस पुनर्संरचना से तीन स्तरों पर असर पड़ने की आशंका है:
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कर्मचारी: कुछ विभागों में छंटनी की आशंका, जबकि कुछ भूमिकाएं विलय के बाद समाप्त हो सकती हैं।
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क्लाइंट्स: विज्ञापनदाताओं को नए अकाउंट मैनेजर और रीब्रांडेड सर्विस मॉडल के साथ तालमेल बैठाना पड़ेगा।
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एजेंसी पहचान: McCann और Lintas जैसी एजेंसियाँ अपनी स्वतंत्र छवि बनाए रख पाएंगी या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है।
Omnicom विलय की भूमिका
IPG और Omnicom के बीच विलय से बनने वाली नई कंपनी न केवल विज्ञापन जगत की सबसे बड़ी शक्तियों में एक होगी, बल्कि Google, Meta, Amazon और Unilever जैसे ब्रांड्स के लिए व्यापक समाधान उपलब्ध कराएगी।लेकिन यह भी सत्य है कि दो वैश्विक नेटवर्क के एक साथ आने पर क्षेत्रीय संरचनाओं को सबसे अधिक झटका लगता है—और भारत जैसे मूल्य-संवेदनशील, तेज़ी से बदलते बाज़ार में यह प्रक्रिया और भी जटिल बन जाती है।
सोशल मीडिया और इंडस्ट्री में क्या हो रही चर्चा?
विज्ञापन और मीडिया फोरम्स जैसे Campaign Asia, afaqs!, Reddit और LinkedIn पर इस पुनर्संरचना को लेकर बड़ी बहस चल रही है। कई पेशेवरों ने आशंका जताई है कि:"Lintas की क्रिएटिव आज़ादी और McCann की भारत ब्रांड पहचान मर्जर के बाद खतरे में पड़ सकती है।"LinkedIn पर एक सीनियर क्रिएटिव डायरेक्टर ने लिखा:“अगर Omnicom और IPG मिल भी जाएं, लेकिन उनकी सोच न मिले, तो सबसे पहले भारतीय क्रिएटिव वर्क ही दबाव में आएगा।”
क्या यह परिवर्तन स्थायी है?
विशेषज्ञों के अनुसार, यह पुनर्संरचना अस्थायी नहीं बल्कि post-merger integration strategy का हिस्सा है, जो दीर्घकालिक संगठनात्मक संतुलन को सुनिश्चित करेगा।IPG के एक पूर्व अधिकारी ने कहा:“ये सभी बदलाव इसीलिए हो रहे हैं ताकि विलय के बाद कोई दोहराव (duplication) न हो और भारत एक synergized मार्केट बन सके।”
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

