OTT की दुनिया में एक नया सनसनीखेज मोड़ आया है—नाम है ‘Trending’, और इसका ट्रेलर आजकल सिर्फ़ प्लेटफ़ॉर्म पर ही नहीं, सोशल मीडिया की नसों में भी दौड़ रहा है. थ्रिलर कहिए, या डिजिटल ड्रामा का नया यथार्थ—‘Trending’ के ट्रेलर ने ऐसा मनोवैज्ञानिक जाल बुना है कि दर्शक केवल स्क्रीन नहीं, अपने व्यवहार, अपने फ़ोन, और अपने फॉलोअर्स तक को शक की नज़र से देखने लगे हैं.
डिजिटल लाइफ की डार्क परछाई
‘Trending’ का ट्रेलर शुरू होते ही यह साफ़ कर देता है कि कहानी किसी एक मर्डर मिस्ट्री या साइकोकिलर पर नहीं रुकने वाली. यह ट्रेलर हमें उस वर्चुअल दुनिया में खींच ले जाता है, जहां लाइक्स, रील्स, और वायरलिटी ही नायक-खलनायक तय करती है.
मुख्य किरदार एक 22 वर्षीय “रेंडम इनफ्लुएंसर” है, जो किसी वायरल चैलेंज को करते हुए अचानक लाइव वीडियो में गायब हो जाता है—और यही से शुरू होता है सवालों का सिलसिला:
क्या ये सब स्क्रिप्टेड है?
क्या यह डिजिटल क्राइम है या पब्लिसिटी स्टंट?
या फिर यह उस 'डार्क ट्रेंड' का हिस्सा है जिसकी जड़ें बहुत गहरी हैं?
थ्रिलर से आगे, सामाजिक विमर्श तक
‘Trending’ सिर्फ़ मनोरंजन नहीं दे रहा, यह दर्शकों को आईना दिखा रहा है—कैसे आज का युवा वर्ग फॉलोअर्स के लिए अपनी पहचान, मानसिक स्वास्थ्य, और कभी-कभी तो जान तक दांव पर लगा देता है. ट्रेलर के कई डायलॉग्स सीधे डिजिटल लत, री-एल्गोरिथ्म शोषण और सायको-सोशल ट्रैप्स पर वार करते हैं.
एक डायलॉग जो वायरल हो चुका है—
"तू मर भी गया तो लोग सिर्फ़ ये पूछेंगे – कितना वायरल हुआ?"
यह संवाद आज की सोशल मीडिया मानसिकता को तीखे व्यंग्य के साथ पकड़ता है.
सोशल मीडिया पर हो रही जबरदस्त चर्चा
ट्रेलर के रिलीज़ होते ही #TrendingOTT और #ViralGoneWrong जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे. X (पूर्व Twitter), इंस्टाग्राम और Reddit पर युवाओं के बीच खासकर एक मुद्दे पर चर्चा गर्म है—"क्या वाकई हमारी ज़िंदगी अब स्क्रीन रेटिंग से ज्यादा कुछ बची है?"
युवा लेखक और डिजिटल क्रिएटर अनुपमा दत्ता लिखती हैं—
"Trending हमें एक खतरनाक सवाल के करीब लाता है – क्या हम खुद को ट्रेंड होने की होड़ में खो रहे हैं?"
कई मनोचिकित्सक भी इस ट्रेलर को लेकर सक्रिय हुए हैं. कुछ ने इसे मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने का अवसर बताया, तो कुछ इसे युवाओं में डिजिटल डिसऑर्डर को ग्लोरिफाई करने वाला मान रहे हैं.
तकनीकी परिष्कार और ऑडियो-विज़ुअल ताकत
ट्रेलर का फिल्मांकन हाई-टेक है. एक तरफ लाइव स्ट्रीम की स्क्रीन रिकॉर्डिंग है, दूसरी तरफ डार्क वेब जैसे विजुअल्स. कैमरा एंगल्स न सिर्फ़ गति पैदा करते हैं, बल्कि दर्शकों को 'सर्विलांस-जोन' में होने का अहसास भी देते हैं.
पृष्ठभूमि संगीत तनाव और भ्रम को इस तरह घोलता है कि लगने लगता है जैसे हम किसी डार्क थॉट-लूप में फँस गए हों. यह थ्रिलर “फॉर एजेंस” की तरह नहीं, “फ्रॉम विदिन” डर पैदा करता है.
क्या यह भविष्य की रियलिटी है?
‘Trending’ का ट्रेलर कहीं न कहीं ये संकेत दे रहा है कि आने वाला समय केवल तकनीक और AI का नहीं, बल्कि “डिजिटल नैतिकता” का भी होगा.
OTT क्रिटिक समीरा शेख कहती हैं:
“यह ट्रेलर ज़्यादा डराता नहीं, बल्कि झकझोरता है. ये हमें बताता है कि सिर्फ़ ट्रेंड फॉलो करना अब खतरनाक खेल बन चुका है.”
‘Trending’ अब केवल एक आने वाली वेब-सीरीज नहीं है. यह डिजिटल संस्कृति के शिकार बने जनरेशन की मानसिकता का एक्स-रे है. और शायद पहली बार, कोई OTT ट्रेलर इतना बहस, चिंता और आत्मनिरीक्षण पैदा कर रहा है.
यदि आपने अभी तक यह ट्रेलर नहीं देखा, तो अगली बार जब आप इंस्टा स्क्रॉल करें—ज़रूर सोचें, “क्या आप ट्रेंड कर रहे हैं या ट्रेंड से कंट्रोल हो रहे हैं?”
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

