राजनीति, स्टारडम और एक्शन का आध्यात्मिक संगम ‘Coolie’ को बताया जा रहा रजनीकांत का ‘Kabali’ के बाद का बेस्ट

राजनीति, स्टारडम और एक्शन का आध्यात्मिक संगम ‘Coolie’ को बताया जा रहा रजनीकांत का ‘Kabali’ के बाद का बेस्ट

प्रेषित समय :22:17:22 PM / Thu, Aug 7th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

2025 की सबसे बहुप्रतीक्षित फिल्मों में शामिल रजनीकांत की ‘कूली (Coolie)’ आखिरकार रिलीज़ हो गई है और सोशल मीडिया से लेकर सिनेमा हॉल तक इसकी गूंज साफ सुनाई दे रही है. फिल्म को पहले ही 'Kabali' के बाद रजनीकांत का सबसे प्रभावशाली काम कहा जा रहा है, और शुरुआती समीक्षाएं इसे "पैसा वसूल", "धार्मिक रूप से प्रेरित मास एक्शन ड्रामा" और "पॉलिटिकल स्टेटमेंट" के रूप में देख रही हैं.

कहानी की आत्मा
‘Coolie’ की कहानी एक सामान्य कुली की असामान्य यात्रा है, जो राजनीतिक तंत्र, सामाजिक अन्याय और अपने आत्म-ज्ञान की राह पर निकला है. फिल्म एक्शन और संवादों से भरपूर है, पर इसकी आत्मा अध्यात्म और सामाजिक परिवर्तन की भावना से जुड़ी है. रजनीकांत का किरदार ‘शिव’ एक ऐसे कुली का है जो अपने श्रमिक साथियों के अधिकारों के लिए सत्ता से लड़ जाता है, लेकिन वह लड़ाई केवल भौतिक नहीं, बल्कि वैचारिक भी है.

फिल्म में शिव का किरदार सामाजिक विषमता के खिलाफ खड़ा एक प्रतीक है, जिसमें सन्यास जैसी अंतर्दृष्टि और विद्रोह जैसी उग्रता एक साथ पिरोई गई है.

रजनीकांत की अदायगी
रजनीकांत ने फिर से यह साबित कर दिया कि उम्र उनके लिए सिर्फ एक नंबर है. ‘Coolie’ में वह सिर्फ सुपरस्टार नहीं हैं, बल्कि एक विचारधारा का चेहरा बनकर सामने आते हैं. उनका अभिनय पहले से कहीं अधिक परिपक्व, भावनात्मक और राजनीतिक रूप से तीव्र है. जिस तरह वे एक कुली की सादगी से लेकर एक नेता की गरिमा तक का सफर तय करते हैं, वह दर्शकों को प्रेरित करता है.

कई दृश्यों में उनका स्क्रीन प्रजेंस मंत्रमुग्ध कर देने वाला है—विशेषकर वह सीन जिसमें वे भगवद गीता के श्लोकों के बीच मजदूरों को एकजुट होने का संदेश देते हैं, सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है.

सह-कलाकारों का योगदान
फिल्म में श्रुति हासन ने रजनीकांत की सहयोगी पत्रकार का किरदार निभाया है, जिसे आलोचकों ने फिल्म का “मुख्य प्रकाश बिंदु” बताया है. वह न केवल राजनीतिक संवादों को धार देती हैं, बल्कि अपने स्वतंत्र व्यक्तित्व से कहानी को नया आयाम भी देती हैं.

नागार्जुन और आमिर खान के किरदार भी अहम हैं. आमिर खान ने एक भ्रष्ट राजनेता की भूमिका निभाई है जो पूरी व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है. उनकी उपस्थिति फिल्म को भावनात्मक और वैचारिक स्तर पर अधिक गहराई देती है.

निर्देशन और पटकथा
निर्देशक ने इस फिल्म को केवल एक्शन और संवादों तक सीमित नहीं रखा है, बल्कि उसे सामाजिक विमर्श और आंतरिक आध्यात्मिक खोज का भी मंच बनाया है. फिल्म की पटकथा कसी हुई है, और भले ही कुछ जगहों पर कहानी भारी हो जाती है, लेकिन उसका उद्देश्य स्पष्ट है—‘नायक केवल सत्ता को चुनौती देने वाला नहीं होता, वह समाज को दिशा देने वाला भी होता है.’

डायलॉग्स तीखे और यादगार हैं. "जब तक मजदूर चुप है, सत्ता बोलती है; जब मजदूर बोलेगा, सत्ता सुननी पड़ेगी"—जैसे संवाद सिनेमाघरों में ताली और सीटियां बटोरते हैं.

तकनीकी पक्ष
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी शानदार है, खासकर उस दृश्य में जब रजनीकांत रेलवे प्लेटफॉर्म पर झंडा लहराते हैं और कैमरा उन्हें ईश्वरतुल्य दिखाता है. संगीत संयोजन में लोकगीत और हार्ड बीट्स का समावेश फिल्म को एक आधुनिक पौराणिकता जैसा रूप देता है.

सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
Gen Z और Gen G दर्शक इस फिल्म को "Reel to Real Revolt" की संज्ञा दे रहे हैं. TikTok और Instagram पर रजनीकांत के डायलॉग्स और आमिर खान के पॉलिटिकल सीन लाखों बार रीमिक्स किए जा चुके हैं. #CoolieRevolt, #ThalaivaaReturns और #ShrutiOnFire जैसे ट्रेंड ट्विटर पर टॉप में चल रहे हैं.

अंतिम विचार
‘Coolie’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि आज के राजनीतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक सवालों का फिल्मी उत्तर है. यह सिनेमा को जन संवाद का माध्यम बनाती है—जहाँ नायक केवल परदे पर नहीं, मन में भी बसता है.

यह फिल्म रजनीकांत की विरासत को और ऊंचाई देती है, और दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर करती है कि शायद कोई "कुली" ही सबसे बड़ा क्रांतिकारी होता है.

रेटिंग: ½ / 5
देखें अगर: आप थलाइवा की पुरानी रौ में नये तेवर देखना चाहते हैं.
छोड़ें अगर: आप सिर्फ मसालेदार एक्शन की तलाश में हैं, यहां भाव और विचार भी हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-