8 अगस्त 2025 को सोशल मीडिया एक बार फिर उस बहस का केंद्र बन गया जो हर कुछ महीनों में किसी न किसी रूप में वापसी करती है—क्या "The Simpsons" नामक अमेरिकी एनिमेटेड शो भविष्यवाणी करता है? इस बार चर्चा का विषय था अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कथित मृत्यु की भविष्यवाणी. एक वीडियो क्लिप वायरल हो रही है जिसमें दावा किया गया है कि "Simpsons" ने अगस्त 2025 में ट्रंप की मौत की भविष्यवाणी कर दी थी. इस क्लिप ने न केवल इंटरनेट पर सनसनी फैला दी, बल्कि एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या इंटरनेट की सामग्री पर आंख मूंदकर भरोसा किया जाना चाहिए."Simpsons ने ट्रंप की मौत की भविष्यवाणी की"—यह वाक्य भले ही मनोरंजक लगे, लेकिन इसके पीछे फैली अफवाहें इस बात का प्रमाण हैं कि डिजिटल युग में सूचना की प्रामाणिकता पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गई है. यह महज़ एक कार्टून शो नहीं, बल्कि आज की सोशल मीडिया संस्कृति का आइना है, जहाँ कोई भी चीज़—चाहे वह डाल मखनी हो या राष्ट्रपति की मृत्यु—मात्र एक पोस्ट की दूरी पर वायरल हो सकती है.
इसलिए जरूरी है कि हम ‘वायरल’ को ‘सत्य’ मानने की आदत से बाहर आएं और तथ्यों की जांच करें—वरना कल को "Tom and Jerry" भी किसी की किस्मत तय करने वाले माने जाएंगे.
वीडियो की असलियत क्या है?
वायरल क्लिप में ट्रंप जैसे दिखने वाले एक कार्टून कैरेक्टर को मृत अवस्था में दिखाया गया है, साथ में 2025 की तारीख भी अंकित है. इस दृश्य को "The Simpsons" के एक एपिसोड से जोड़ते हुए बताया गया कि यह शो वर्षों पहले ही ट्रंप की मौत की भविष्यवाणी कर चुका है. लेकिन जब इस दावे की तथ्य-जांच की गई, तो पाया गया कि "Simpsons" का ऐसा कोई आधिकारिक एपिसोड कभी प्रसारित नहीं हुआ.
Fox Studios, जो इस शो का निर्माता है, ने कभी ऐसा कोई दृश्य या कथानक अपने किसी सीज़न में प्रस्तुत नहीं किया है. मीडिया विशेषज्ञों ने पुष्टि की है कि यह क्लिप एक फैन द्वारा बनाई गई एनिमेशन है, जिसे एडिट कर "Simpsons" के नाम से जोड़ दिया गया है.
यह घटना क्यों वायरल हुई?
दरअसल, "Simpsons" को लेकर सोशल मीडिया में लंबे समय से एक 'मिथ' बना हुआ है कि यह शो भविष्यवाणी करता है. चाहे ट्रंप का राष्ट्रपति बनना हो, कोविड-19 महामारी, या स्पेस-फ्लाइट्स—हर बड़ी घटना के बाद सोशल मीडिया पर किसी न किसी पुराने एपिसोड को ढूंढ निकाला जाता है, जिसे ‘भविष्यवाणी’ बताया जाता है. लोग इसे मज़ाक में लेते हैं, लेकिन कई बार यह भ्रम वास्तविकता का रूप ले लेता है, जैसा कि ट्रंप की मौत की वायरल क्लिप के मामले में हुआ.
सामाजिक प्रभाव
इस ट्रेंड ने एक गहरी चिंता को जन्म दिया है—क्या सोशल मीडिया अब केवल सूचना साझा करने का माध्यम है, या वह सच्चाई और झूठ का मिलाजुला मंच बन चुका है? इस क्लिप के चलते कई लोगों ने ट्विटर (अब X), इंस्टाग्राम, और फेसबुक पर ट्रंप के स्वास्थ्य को लेकर अफवाहें फैलानी शुरू कर दीं. हैशटैग #SimpsonsPredictedThis और #TrumpDead ट्रेंड करने लगे, जो पूरी तरह से झूठी खबरों पर आधारित थे.
इसके परिणामस्वरूप कुछ अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ आउटलेट्स को स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी कि डोनाल्ड ट्रंप जीवित हैं और ऐसा कोई घटनाक्रम नहीं हुआ है. लेकिन अफसोस की बात यह रही कि एक बार अफवाह फैलने के बाद लोगों को उसे सच मानने से रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है.
डिजिटल स्पेस में सूचना और अफवाह की रेखा धुंधली
सोशल मीडिया की दुनिया में सच्चाई और अफवाह के बीच की रेखा दिन-प्रतिदिन धुंधली होती जा रही है. "The Simpsons" के उदाहरण से हम यह समझ सकते हैं कि कैसे एक मनोरंजन-आधारित शो को झूठे दावों का माध्यम बनाकर प्रचारित किया जा सकता है. कई बार यह हानिरहित होता है, लेकिन जब इसमें किसी की मृत्यु, सामाजिक तनाव या राजनीतिक ध्रुवीकरण जैसा संवेदनशील विषय शामिल हो, तब यह ख़तरनाक बन सकता है.
जिम्मेदारी किसकी?
इस घटना ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स और यूज़र्स दोनों की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं. प्लेटफार्म के पास फर्जी या भ्रामक कंटेंट को पहचानने और रोकने के लिए AI और मॉडरेशन टूल्स हैं, फिर भी ऐसे वीडियो बार-बार वायरल हो जाते हैं. दूसरी ओर, यूज़र्स को भी खुद से यह सवाल करना चाहिए कि वे किस स्रोत पर विश्वास कर रहे हैं.



