पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के जबलपुर में सेना से रिटायर्ड जवान राजेश कुमार राजभर ने नौकरी दिलाने के नाम पर 50 लोगों के साथ करीब 4 करोड़ रुपए की ठगी की है. 2016 में सेना से रिटायर्ड होने के बाद उसने नौकरी लगवाने के नाम पर लोगों से संपर्क करना शुरु कर दिया. इन 9 सालों में उसने 50 से अधिक लोगों को नौकरी के नाम पर रुपए लेकर फर्जी ज्वाइनिंग लेटर तक पकड़ा दिए. मिलिट्री इंटेलिजेंस ने राजेश राजभर को पकड़कर रांझी पुलिस के हवाले कर दिया.
बताया गया है कि मूलत: उत्तरप्रदेश के लखनऊ का रहने वाले राजेश कुमार राजभर ने 1997 में सेना ज्वाइन की थी. देश के कई राज्यों में नौकरी करने के बाद 2013 में राजेश की जबलपुर के मिलिट्री अस्पताल में पोस्टिंग हो गई. इस दौरान सेना के कई अधिकारियों से भी उसका अच्छा संपर्क हो गया, जिसका फायदा उसने रिटायरमेंट के बाद उठाना शुरू किया. 2016 में नायक के पद से रिटायर होने के बाद उसने ऐसे लोगों की तलाश करना शुरू कर दियाए जो कि सरकारी नौकरी करना चाहते हैं. राजेश कुमार ने हेड क्वार्टर एरिया जबलपुर, मिलिट्री अस्पताल, 506 वर्क शॉप सहित अन्य सैन्य संस्थानों में नौकरी लगवाने के नाम पर कई लोगों से संपर्क किया. फिर लाखों रुपए लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र पकड़ा दिया. जबलपुर के रांझी क्षेत्र में रहने वाले बर्तन व्यापारी रोहित गुप्ता की अगस्त 2024 में रोशन नाम के व्यक्ति के माध्यम से राजेश कुमार से दोस्ती हुई थी.
अपने आपको सेना से रिटायर और कई बड़े अधिकारियों से जान पहचान बताकर दोस्ती की. रोहित की पत्नी पढ़ी-लिखी थी, जिसका फायदा उठाकर आरोपी ने सेना के मिलिट्री अस्पताल में वार्ड सहायिका के पद पर नौकरी लगवाने की बात रोहित से की. रिटायर सेना का जवान समझकर रोहित ने ना सिर्फ पत्नी की नौकरी के लिए 6 लाख 35 हजार रुपए दे दिए. यहां तक कि अपने कुछ अन्य दोस्तों से भी मिलवाया. जबलपुर के 9 लोगों से 50 लाख से अधिक रुपए लेकर राजेश कुमार ने फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार किया और आश्वासन दिया कि जल्द ही नौकरी लग जाएगी. रांझी थाना पुलिस ने आज आरोपी राजेश कुमार को कोर्ट में पेश किया और पूछताछ के लिए 3 दिन की रिमांड मांगी हैए जिसे कि स्वीकार कर लिया गया है. थाना प्रभारी उमेश गोल्हानी का कहना है कि अब तक कि शुरूआती जांच में 50 लाख से अधिक की ठगी करना पाया है.
यहां ले जाकर दूर से अधिकारियों दिखाकर झांसा देता था-
मिलिट्री अस्पताल से रिटायर होने के कारण गेट पर जो भी जवान तैनात होता थाए वह उसे अच्छे से जानता था, जिसका फायदा उठाकर उसने रोहित जैसे कई लोगों को मिलिट्री के मेस हाउस पर ले गयाए और दूर से अधिकारियों को दिखाकर कहता है कि इनके जरिए ही नौकरी लगेगी. राजेश कुमार इतना शातिर था कि उसने मिलिट्री मेस के पास एक खंभे में 9 लोगों के नाम की ज्वाइनिंग लिस्ट चस्पा कर दी. इसके बाद सभी को एक-एक करके वहां ले गया और बताया कि लखनऊ हेड ऑफिस है, वहां पर मेडिकल टेस्ट होगा और फिर नौकरी पक्की. अगस्त 2024 को राजेश कुमार ने रोहित गुप्ता के घर के पते पर ज्वाइनिंग लेटर भेजा, जिसमें पूजा गुप्ता सहित सभी 9 लोगों को मिलिट्री अस्पताल के पास आने को कहा.
कमाडेंट के नाम से निकाला पत्र,सेना की सील भी लगाई
18 अप्रैल 2024 को राजेश कुमार ने पूजा गुप्ता सहित एडविन जोसफ, शेखर रॉव, राकेश बैन, अनुज पांडे, सीमा वर्मा, संगीता कोल, रंजीत पटेल व आशीष कोल के नाम का ज्वाइनिंग लेटर डाक के माध्यम से भेजा, जिसमें लिखा था कि आप लोगों का सिलेक्शन हो गया है. सभी लोग लखनऊ जाकर 10 अगस्त से 31 अगस्त के बीच मेडिकल चेकअप करवाने के बाद नौकरी ज्वाइन कर सकते हैं. यहां तक कि लेटर में लिखा था कि 2 मई की सुबह 8 बजे अपने दस्तावेज व फोटो के साथ सेंट्रल गवर्नमेंट डिपार्टमेंट मिलिट्री अस्पताल में आकर रिपोर्टिंग कीजिए. ज्वाइनिंग लेटर में बाकायदा आरएस रस्तोगी नाम के कर्नल फॉर कमाडेंट के साइन थे.
वर्दी वाली फोटो दिखाता था-
पूजा गुप्ता ने को बताया कि पति रोहित गुप्ता से दोस्ती होने के बाद राजेश कुमार अक्सर घर आया करता था. हर बार अलग-अलग अधिकारियों के विषय में बात करता और कहता था कि यहीं अधिकारी है, जो कि नौकरी लगवा सकते हैं. जरूरत थी कि मेरी या पति की सरकारी जॉब लग जाए. राजेश ने बताया कि मिलिट्री अस्पताल में वार्ड सहायिका की पोस्ट निकली हैए जिसके लिए 6 लाख 30 हजार रुपए देने होंगे. इसके बाद रोहित ने धीरे-धीरे कर राजेश को 6 लाख 35 हजार रुपए दे दिए पर नौकरी नहीं मिली. रोहित ने दस्तावेजों को अपने बड़े भाई से चेक करवाया तो पता चला कि सब फर्जी है.
और भी लोग शामिल है फर्जीवाड़े में-
पूजा गुप्ता के पति रोहित गुप्ता ने बताया कि राजेश कुमार ने 50 से अधिक लोगों को सेना में नौकरी दिलवाने के नाम पर फर्जीवाड़ा किया है. अभी तक करीब 4 करोड़ रुपए ले चुका है. रोहित ने बताया कि जब कभी भी नौकरी लगवाने के नाम पर ये पैसा लेता था तो अपने खाते में या फिर भतीजे जतिन के खाते में ट्रांसफर करवाता था. रोहित ने बताया कि ज्वाइनिंग लेटर देने के बाद राजेश कुमार ने एक राजू प्रजापति नाम के व्यक्ति से बात करवाई थीए जो कि अपने आपको सेना का अधिकारी बता रहा था. उसने भी 20 हजार रुपए की डिमांड की थी, इतना ही नहीं आरोपी मिलिट्री अस्पताल ले जाकर नीलम राजपूत नाम की एक महिला के पास ले गयाए और बताया कि यहीं से ज्वाइनिंग लेटर निकाला है. रोहित ने बताया कि इस फर्जीवाड़े में राजेश अकेला नहीं बल्कि कई अधिकारी भी शामिल होंगेए जो कि जांच के बाद सामने आएंगे.
समझौता के लिए बनाया जा रहा है दबाव
रोहित ने बताया कि मिलिट्री इंटेलिजेंस ने जैसे ही राजेश कुमार को पकड़कर उसके पास से दस्तावेज जब्त क र पुलिस को सौंपा तो उसके बड़े भाई का फोन आना शुरू हो गया. उनकी तरफ से ना सिर्फ धमकाया जा रहा है बल्कि यह भी कहा जा रहा है कि शिकायत वापस ले लोए तभी पैसा मिलेगा. रोहित का कहना है कि राजेश इस फर्जीवाड़े में अकेला नहीं बल्कि उसके परिवार के सदस्य और कुछ अन्य लोग मिले हैए जो कि जांच के बाद सामने आएंगे.
अनुकंपा नियुक्ति के लिए भटक रहा था अरविंद-
जबलपुर के खमरिया में रहने वाले अरविंद कोल के पिता किशोरी लाल जम्मू एंड कश्मीर आर्मी सिविल डिफेंस में सफाई कर्मचारी के पद पर पदस्थ थे. नवंबर 2016 में उनकी मौत हो गई थी. पिता के बदले सैन्य कार्यालय में नौकरी के लिए उसने आवेदन दियाए प्रक्रिया चल रही थी इसी बीच मिलिट्री अस्पताल में उसकी राजेश से मुलाकात हो गई. ठग ने अधिकारियों से पहचान का हवाला देते हुए उससे 5 लाख रुपए ले लिए और आश्वासन दिया कि जल्द नौकरी लग जाएगी. पूजा गुप्ता की तरह अरविंद को भी फर्जी नियुक्ति पत्र दिया गया.
आरोपी से जब्त किए गए महत्वपूर्ण दस्तावेज, सेना की सील-
सेना ने आरोपी से कई अहम दस्तावेज और सील भी बरामद की हैं. पता लगाया जा रहा है कि राजेश ने कैसे यह सील बनवाई और अभी तक कहां-कहां इसका उपयोग किया. इंटेलिजेंस को यह भी शक है कि हो सकता है कि सेना के कई और लोग भी इस गोरखधंधे में शामिल हो सकते है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

