नई दिल्ली. बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एसआईआर पर चुनाव आयोग के रुख को सही बताया है. उन्होंने कहा कि आधार को नागरिकता के निर्णायक प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता, इसे सत्यापित करना आवश्यक है.
बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि बिहार भारत का हिस्सा है. अगर बिहार के पास नहीं हैं, तो दूसरे राज्यों के पास भी नहीं होंगे. ये कौन से दस्तावेज हैं? अगर कोई केंद्र सरकार का कर्मचारी है, तो स्थानीय/एलआईसी द्वारा जारी कोई पहचान पत्र/दस्तावेज.
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की तरफ से इस पर कहा गया कि वे कह रहे हैं कि इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती. जन्म प्रमाण पत्र की बात करें तो ये केवल 3.056 प्रतिशत के पास ही है.
पासपोर्ट 2.7 प्रतिशत, 14.71 प्रतिशत के पास मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह साबित करने के लिए कुछ तो होना ही चाहिए कि आप भारत के नागरिक हैं. हर किसी के पास प्रमाणपत्र होता है, सिम खरीदने के लिए इसकी जरूरत होती है. ओबीसी/एससी/एसटी प्रमाण पत्र
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

