कुत्तों और ग्रहों का ज्योतिषीय संबंध मानव जीवन पर प्रभाव और उपाय

कुत्तों और ग्रहों का ज्योतिषीय संबंध मानव जीवन पर प्रभाव और उपाय

प्रेषित समय :21:18:58 PM / Mon, Aug 18th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भारतीय ज्योतिष शास्त्र केवल ग्रह नक्षत्रों के अध्ययन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मानव जीवन की गहराई, उसके दुख-सुख और उसके समाधान का भी व्यापक विवेचन मिलता है. हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्षों के अध्ययन और अनुभव के आधार पर यह सिद्ध किया कि प्रत्येक ग्रह का पृथ्वी और जीव-जगत से गहरा संबंध है. इसी आधार पर कई ग्रहों को विशेष पशु-पक्षियों से जोड़ा गया है. इस संदर्भ में कुत्ते का विशेष महत्व माना जाता है क्योंकि यह दो प्रमुख ग्रहों—केतु और शनि—से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित माना गया है. कुत्तों की सेवा करना केवल दया और करुणा का प्रतीक नहीं बल्कि ग्रहों के दोषों को शांत करने का एक प्रभावी उपाय भी बताया गया है.

प्राचीन ग्रंथों जैसे ज्योतिष सर्व संग्रह, बृहत संहिता और कई प्रचलित लोकमान्यताओं में उल्लेख मिलता है कि यदि व्यक्ति की कुंडली में केतु या शनि ग्रह पीड़ादायक स्थिति में हों, तो कुत्तों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है. यह उपाय कठिनाइयों को कम करने, मन की शांति पाने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाने का माध्यम है.

केतु ग्रह का संबंध मुख्यतः रहस्यमयी घटनाओं, अचानक सुख-दुःख, मानसिक अस्थिरता और जीवन में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव से माना जाता है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु नीच का हो या प्रतिकूल भाव में स्थित हो, तो उसे अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है. खासकर व्यापार में हानि, मानसिक तनाव, अनियंत्रित गुस्सा और रिश्तों में कड़वाहट जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं. ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि ऐसे व्यक्ति को सफेद कुत्ते की सेवा करनी चाहिए. सफेद रंग का कुत्ता केतु का प्रतीक माना जाता है और उसे मीठा भोजन या दूध से बनी वस्तुएं खिलाने से केतु का नकारात्मक प्रभाव शांत हो जाता है. इस प्रक्रिया को न केवल धार्मिक आस्था से जोड़ा गया है, बल्कि इसे कर्मफल के सिद्धांत से भी समझा जा सकता है. दया और सेवा भाव से किया गया कार्य व्यक्ति के मन और आत्मा पर शुद्धिकरण का प्रभाव डालता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा स्वतः ही समाप्त होने लगती है.

इसी प्रकार शनि ग्रह का संबंध कर्म, न्याय और कठिन परिश्रम से है. जब शनि प्रतिकूल स्थिति में होता है या व्यक्ति साढ़ेसाती और ढैया से गुजर रहा होता है, तो जीवन में भारी चुनौतियां उत्पन्न होती हैं. अचानक आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, पारिवारिक कलह और न्यायालयी मामले जैसे कष्ट सामने आ सकते हैं. शनि की पीड़ा को शांत करने के लिए काले कुत्ते को भोजन कराने की परंपरा चली आ रही है. काला कुत्ता शनि का प्रतीक माना जाता है और उसे मीठा भोजन, रोटी या गुड़ खिलाने से शनि की कृपा प्राप्त होती है. माना जाता है कि इस उपाय से व्यक्ति की कठिनाइयां धीरे-धीरे कम होती हैं और जीवन में स्थिरता आती है.

कुत्तों को भोजन कराने के इन उपायों का संबंध केवल धार्मिक मान्यताओं से नहीं है, बल्कि इसका एक गहरा सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलू भी है. जब व्यक्ति किसी जीव की सेवा करता है, तो उसके भीतर करुणा और सहानुभूति की भावना प्रबल होती है. यह सकारात्मक भाव मन को शांति प्रदान करता है और मानसिक तनाव को दूर करने में सहायक होता है. साथ ही, समाज में जानवरों के प्रति प्रेम और दया का वातावरण भी बनता है. इस प्रकार ज्योतिष में बताए गए ये उपाय न केवल ग्रहों की शांति के लिए उपयोगी हैं, बल्कि सामाजिक और मानवीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.

लोककथाओं और जनमान्यताओं में यह भी उल्लेख मिलता है कि कुत्ता धर्म का प्रतीक है. महाभारत में वर्णन है कि जब पांडव स्वर्गारोहण की यात्रा पर निकले थे, तब उनके साथ एक कुत्ता भी चल रहा था. अंततः वही कुत्ता धर्मराज युधिष्ठिर की परीक्षा का साधन बना और उसने धर्म के वास्तविक स्वरूप को समझाने का कार्य किया. इस दृष्टांत से भी यह स्पष्ट होता है कि कुत्ते को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष स्थान प्राप्त है.

आज के समय में, जब लोग जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहे हैं और मानसिक तनाव की समस्या बढ़ रही है, ऐसे में ज्योतिष शास्त्र द्वारा बताए गए ये सरल उपाय न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करते हैं बल्कि मानवता और सहानुभूति की भावना को भी बढ़ावा देते हैं. केतु और शनि जैसे ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए कुत्तों की सेवा करना एक व्यावहारिक और सार्थक उपाय है.

अंततः यह समझना आवश्यक है कि ज्योतिष में बताए गए उपाय केवल आस्था का विषय नहीं हैं, बल्कि यह हमारी जीवनशैली और सोच को सकारात्मक दिशा देने का माध्यम भी हैं. कुत्तों की सेवा से ग्रहों की शांति के साथ-साथ मनुष्य अपने भीतर करुणा, धैर्य और आत्मिक संतुलन की अनुभूति करता है. इस प्रकार यह उपाय केवल ग्रह दोष निवारण का साधन नहीं, बल्कि जीवन को बेहतर और सार्थक बनाने की एक राह भी है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-