- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर (व्हाट्सएप- 8302755688)
* मासिक शिवरात्रि - 21 अगस्त 2025, गुरुवार
* मासिक शिवरात्रि पूजा - 00:13 से 00:58, 22 अगस्त 2025
* कृष्ण चतुर्दशी प्रारम्भ - 12:44, 21 अगस्त 2025
* कृष्ण चतुर्दशी समाप्त - 11:55, 22 अगस्त 2025
* हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है.
* धर्मग्रंथों में शिवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है तथा यह शिवोपासना का सर्वोत्तम अवसर माना जाता है.
* धर्मग्रंथों के अनुसार देवी लक्ष्मी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती आदि देवियों ने शिवरात्रि व्रत किया था.
* महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि में भगवान भोलेनाथ लिङ्ग स्वरूप प्रकट हुए थे और पहली बार शिवलिंग की पूजा भगवान श्रीविष्णु और श्रीब्रह्मा ने की थी.
* तब से महाशिवरात्रि, भगवान भोलेनाथ के प्रकटोत्सव स्वरूप मनाया जाता है तथा श्रद्धालु प्रतिमाह मासिक शिवरात्रि का व्रत करते हैं और भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं.
* शिवरात्रि पर पूजा-व्रत से आध्यात्मिक प्रकाश की प्राप्ति होती है.
* भोलेनाथ सच्चे मन से की गई पूजा से प्रसन्न होते हैं इसलिए दिल से प्रार्थना करें...
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्.
सदावसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि..
श्री त्रिपुरा सुंदरी दैनिक धर्म-कर्म पंचांग-चौघड़िया : 21 अगस्त 2025, गुरुवार
शक सम्वत 1947, विक्रम सम्वत 2082, अमान्त महीना श्रावण, पूर्णिमान्त महीना भाद्रपद, वार गुरुवार, पक्ष कृष्ण, तिथि त्रयोदशी - 12:44 तक, नक्षत्र पुष्य - 00:08, (22 अगस्त 2025) तक, योग व्यतीपात - 16:14 तक, करण वणिज - 12:44 तक, द्वितीय करण विष्टि - 00:16, (22 अगस्त 2025) तक, सूर्य राशि सिंह, चन्द्र राशि कर्क, राहुकाल 14:11 से 15:48, अभिजित मुहूर्त 12:09 से 13:01
दैनिक चौघड़िया- 21 अगस्त 2025, गुरुवार
दिन का चौघड़िया
शुभ - 06:10 से 07:46
रोग - 07:46 से 09:23
उद्वेग - 09:23 से 10:59
चर - 10:59 से 12:35
लाभ - 12:35 से 14:11
अमृत - 14:11 से 15:48
काल - 15:48 से 17:24
शुभ - 17:24 से 19:00
रात्रि का चौघड़िया
अमृत - 19:00 से 20:24
चर - 20:24 से 21:48
रोग - 21:48 से 23:12
काल - 23:12 से 00:35
लाभ - 00:35 से 01:59
उद्वेग - 01:59 से 03:23
शुभ - 03:23 से 04:47
अमृत - 04:47 से 06:11
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, विभिन्न पंचांगों, धर्मग्रथों से साभार ली गई है, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.

