अजिंक्य रहाणे ने मुंबई रणजी टीम की कप्तानी छोड़ी श्रेयस ठाकुर नए कप्तान बनने को तैयार

अजिंक्य रहाणे ने मुंबई रणजी टीम की कप्तानी छोड़ी श्रेयस ठाकुर नए कप्तान बनने को तैयार

प्रेषित समय :20:20:03 PM / Thu, Aug 21st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भारतीय क्रिकेट में जब भी घरेलू सर्किट की बात होती है तो मुंबई रणजी टीम का नाम सबसे पहले जुबान पर आता है. 41 बार की चैंपियन रह चुकी यह टीम न केवल अपनी उपलब्धियों के लिए जानी जाती है बल्कि उन सितारों के लिए भी प्रसिद्ध है जिन्होंने यहां से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तक का सफर तय किया. सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, दिलीप वेंगसरकर, रोहित शर्मा और अजिंक्य रहाणे जैसे खिलाड़ियों ने मुंबई की रणजी टीम से अपनी क्रिकेटीय पहचान बनाई है. अब इस गौरवशाली परंपरा में एक नया अध्याय जुड़ गया है. मुंबई रणजी टीम के अनुभवी बल्लेबाज़ अजिंक्य रहाणे ने कप्तानी की जिम्मेदारी छोड़ दी है और इसके बाद खबर आ रही है कि ऑलराउंडर श्रेयस ठाकुर टीम के नए कप्तान बनाए जा सकते हैं. यह बदलाव न केवल टीम की रणनीतिक दिशा को प्रभावित करेगा बल्कि आने वाले घरेलू सीजन में टीम की साख और प्रदर्शन पर भी गहरा असर डाल सकता है.

अजिंक्य रहाणे, जो कभी भारतीय टेस्ट टीम के उपकप्तान रह चुके हैं, लंबे समय से मुंबई टीम के स्तंभ रहे हैं. उनकी कप्तानी में टीम ने कई यादगार जीत दर्ज कीं और कई युवा खिलाड़ियों को मंच मिला. रहाणे की शांत और संयमित नेतृत्व शैली ने हमेशा टीम को एक संतुलन प्रदान किया. उन्होंने खुद को एक जिम्मेदार कप्तान और भरोसेमंद बल्लेबाज़ के रूप में स्थापित किया. रणजी ट्रॉफी जैसी प्रतियोगिता, जहां हर मैच में टीम का भविष्य बदल सकता है, वहां रहाणे ने मुंबई टीम को स्थिरता दी. उनकी कप्तानी में खिलाड़ी दबाव से मुक्त होकर प्रदर्शन कर सके. लेकिन अब समय की मांग है कि वह केवल बल्लेबाज़ी पर ध्यान केंद्रित करें और युवा कप्तान को आगे बढ़ने का मौका दें.

रहाणे के इस फैसले को समझने के लिए हमें उनके हाल के प्रदर्शन और करियर के उतार-चढ़ाव पर नज़र डालनी होगी. पिछले कुछ सालों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रहाणे को लगातार जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा है. हालांकि उन्होंने टेस्ट मैचों में कई यादगार पारियां खेली हैं, परंतु वनडे और टी-20 टीम में उनकी वापसी मुश्किल रही है. घरेलू क्रिकेट में उनकी बल्लेबाज़ी अभी भी क्लासिक मानी जाती है और वह अब भी टीम के सबसे भरोसेमंद खिलाड़ियों में से हैं. लेकिन कप्तानी का बोझ शायद उनके व्यक्तिगत प्रदर्शन को प्रभावित कर रहा था. यही वजह रही कि उन्होंने कप्तानी छोड़ने का निर्णय लिया ताकि आने वाले सीज़न में वह पूरी तरह अपनी बल्लेबाज़ी पर ध्यान केंद्रित कर सकें और टीम को रन बनाकर मजबूती प्रदान कर सकें.

अब बात करते हैं श्रेयस ठाकुर की. यह नाम शायद अभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिहाज से बहुत चर्चित न हो, लेकिन घरेलू स्तर पर उनका प्रदर्शन बेहद प्रभावी रहा है. बतौर ऑलराउंडर उन्होंने बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों विभागों में टीम के लिए अहम योगदान दिया है. ठाकुर में आक्रामकता है, जुझारूपन है और सबसे महत्वपूर्ण है—उनकी नेतृत्व क्षमता. पिछले कुछ सीज़न में उन्होंने जिस तरह मैदान पर खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाया और टीम के कठिन हालात में मोर्चा संभाला, उसने चयनकर्ताओं और प्रबंधन का ध्यान खींचा. उनके नेतृत्व में युवा खिलाड़ियों को भी अवसर मिलेगा और टीम को एक नई ऊर्जा मिलेगी.

मुंबई रणजी टीम हमेशा से ही एक पेशेवर इकाई की तरह काम करती रही है. यहां खिलाड़ियों से उम्मीद की जाती है कि वे केवल व्यक्तिगत प्रदर्शन पर ध्यान न दें बल्कि टीम की जीत के लिए सामूहिक जिम्मेदारी उठाएं. रहाणे ने कप्तान के तौर पर इस परंपरा को आगे बढ़ाया, लेकिन अब ठाकुर की बारी है कि वे इस मशाल को थामें और टीम को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं. टीम प्रबंधन का यह फैसला रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है. युवा कप्तान को समय रहते जिम्मेदारी सौंपना टीम के भविष्य को सुरक्षित करता है और आने वाले 4-5 सालों के लिए टीम की दिशा तय करता है.

रणजी ट्रॉफी का आगामी सीज़न बेहद चुनौतीपूर्ण होने वाला है. दिल्ली, कर्नाटक, सौराष्ट्र और तमिलनाडु जैसी टीमें इस बार मजबूत नज़र आ रही हैं. ऐसे में मुंबई टीम को अपनी रणनीति और नेतृत्व पर विशेष ध्यान देना होगा. रहाणे जैसे अनुभवी खिलाड़ी बल्लेबाज़ी क्रम में स्थिरता देंगे और ठाकुर कप्तानी के जरिए टीम को नई धार देंगे. यह संतुलन ही मुंबई को ट्रॉफी की दौड़ में बनाए रखेगा. साथ ही, टीम के अन्य युवा खिलाड़ी जैसे पृथ्वी शॉ, सरफराज खान और यशस्वी जायसवाल भी अहम भूमिका निभाएंगे. इनके अनुभव और युवा जोश को सही दिशा देने की जिम्मेदारी ठाकुर पर होगी.

मुंबई क्रिकेट की सबसे बड़ी ताकत हमेशा से उसकी बेंच स्ट्रेंथ रही है. यहां हर साल नए खिलाड़ी उभरते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जगह बनाते हैं. रहाणे के बाद ठाकुर की नियुक्ति इस बात का संकेत है कि मुंबई टीम बदलाव से डरती नहीं है. यहां अनुभवी खिलाड़ियों और युवाओं के बीच संतुलन बनाए रखने की परंपरा है. यही संतुलन भारतीय क्रिकेट के लिए भी बेहद अहम है क्योंकि घरेलू स्तर पर ही भारत को भविष्य के सितारे मिलते हैं.

यह बदलाव केवल मुंबई क्रिकेट तक सीमित नहीं है बल्कि भारतीय क्रिकेट के परिदृश्य में भी इसकी गूंज सुनाई देगी. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के लिए यह संदेश है कि अनुभवी और युवा खिलाड़ियों के बीच नेतृत्व का संक्रमण सही समय पर होना चाहिए. रहाणे की कप्तानी छोड़ने का फैसला और ठाकुर की नियुक्ति इस बात का उदाहरण है कि अगर समय पर जिम्मेदारी सौंपी जाए तो टीम लंबे समय तक मजबूत रह सकती है.

सोशल मीडिया पर भी इस खबर ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं. रहाणे के समर्थकों ने उनके फैसले को सम्मान दिया है और इसे ‘टीम-फर्स्ट’ एप्रोच बताया है. वहीं ठाकुर के प्रशंसकों में उत्साह है कि उनका पसंदीदा खिलाड़ी अब कप्तान बनेगा. क्रिकेट पंडित भी मानते हैं कि यह बदलाव टीम के लिए सही समय पर हुआ है. कई दिग्गजों ने रहाणे की सराहना की कि उन्होंने स्वेच्छा से कप्तानी छोड़ी, जबकि आमतौर पर खिलाड़ी ऐसे फैसले लेने से बचते हैं.

मुंबई टीम का यह नया अध्याय आने वाले सीज़न में क्या रंग लाता है, यह देखना दिलचस्प होगा. क्या रहाणे बल्लेबाज़ी में अपनी क्लास फिर से साबित करेंगे और क्या ठाकुर कप्तानी की चुनौती को सफलता में बदल पाएंगे—ये सवाल फिलहाल सभी प्रशंसकों के मन में हैं. लेकिन इतना तय है कि यह बदलाव भारतीय क्रिकेट की सबसे प्रतिष्ठित घरेलू टीम के लिए एक बड़ा मोड़ है और इसकी गूंज रणजी ट्रॉफी से लेकर राष्ट्रीय चयन तक सुनाई देगी.

अंततः, रहाणे का यह कदम उनके करियर और टीम दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. कप्तानी का बोझ हटने के बाद वह अपने खेल पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे और ठाकुर को भी अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाने का पूरा अवसर मिलेगा. यह नेतृत्व परिवर्तन मुंबई क्रिकेट के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है और इसे आने वाले वर्षों में एक दूरदर्शी कदम के रूप में याद किया जाएगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-