रिलायंस जियो ने 6G ट्रायल लॉन्च कर दुनिया को चौंकाया भारत की तकनीकी क्षमता का नया ऐलान

रिलायंस जियो ने 6G ट्रायल लॉन्च कर दुनिया को चौंकाया भारत की तकनीकी क्षमता का नया ऐलान

प्रेषित समय :20:35:00 PM / Thu, Aug 21st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री में रिलायंस जियो एक ऐसा नाम है जिसने पिछले एक दशक में न केवल भारतीय उपभोक्ताओं की डिजिटल जीवनशैली को बदल दिया बल्कि वैश्विक स्तर पर भी यह संदेश दिया कि भारत तकनीकी विकास में पीछे नहीं है. 2016 में मुफ्त डाटा क्रांति से लेकर 4G सेवाओं को गाँव-गाँव तक पहुँचाने और 5G को सबसे तेज़ी से रोलआउट करने वाली कंपनी बनने तक जियो ने लगातार यह साबित किया कि वह दूरसंचार क्षेत्र में सिर्फ़ एक और खिलाड़ी नहीं बल्कि ट्रेंडसेटर है. अब 21 अगस्त 2025 को रिलायंस जियो ने एक बार फिर पूरी दुनिया को चौंका दिया जब उसने आधिकारिक रूप से 6G ट्रायल लॉन्च कर दिया. यह सिर्फ़ एक तकनीकी शुरुआत नहीं बल्कि भविष्य की उस दिशा की ओर संकेत है जहाँ डेटा, नेटवर्क और डिजिटल अनुभव की परिभाषा बदल जाएगी.

6G को लेकर पिछले कई वर्षों से दुनिया के विकसित देशों में शोध और विकास की कोशिशें चल रही थीं. अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे देश इस दौड़ में अब तक आगे माने जा रहे थे. लेकिन भारत से आई यह खबर कि जियो ने वास्तविक परिस्थितियों में 6G का पहला ट्रायल शुरू कर दिया है, न केवल तकनीकी हलकों बल्कि वैश्विक निवेशकों, सरकारों और रिसर्च संस्थानों को भी चौंकाने वाली रही. दरअसल 6G का मतलब सिर्फ़ तेज़ इंटरनेट नहीं है बल्कि यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, होलोग्राफिक कॉलिंग, मेटावर्स आधारित रियल-टाइम इंटरैक्शन, ड्रोन-नेटवर्किंग, स्पेस-कम्युनिकेशन और हाई-एंड ऑटोमेशन की वह दुनिया है जहाँ इंसानी जीवन की रफ्तार पूरी तरह बदल जाएगी.

जियो के इस ट्रायल की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब भारत अपनी स्वतंत्रता की 78वीं वर्षगांठ मना रहा है और देश में डिजिटल इंडिया मिशन को लेकर सरकार लगातार नए लक्ष्य तय कर रही है. जियो ने बताया कि 6G ट्रायल के लिए उसने बेंगलुरु, मुंबई और हैदराबाद के चुनिंदा इलाकों में खास तकनीकी सेटअप तैयार किया है जहाँ कुछ चुनिंदा कंपनियों और रिसर्च संस्थानों के सहयोग से परीक्षण शुरू हुआ है. इन परीक्षणों के दौरान मिली शुरुआती रिपोर्ट में यह पाया गया कि 6G नेटवर्क की स्पीड 5G की तुलना में सौ गुना तेज़ है और इसका लेटेंसी लेवल लगभग शून्य के बराबर है. इसका मतलब है कि भविष्य में रोबोटिक्स, हेल्थकेयर, शिक्षा और अंतरिक्ष संचार जैसे क्षेत्रों में रियल-टाइम और त्रुटिहीन कनेक्टिविटी संभव होगी.

इस घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर रिलायंस जियो का नाम तुरंत ट्रेंड करने लगा. ट्विटर, इंस्टाग्राम और लिंक्डइन पर लाखों यूज़र्स ने #Jio6GTrial और #India6GRevolution जैसे हैशटैग चलाए. तकनीकी विशेषज्ञों ने इसे भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि बताया और कहा कि अब यह धारणा टूट चुकी है कि केवल पश्चिमी देश ही अगली पीढ़ी की तकनीकों के जन्मदाता होंगे. युवाओं और टेक स्टार्टअप्स के बीच भी इस खबर ने उत्साह भर दिया क्योंकि इससे उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में उन्हें वर्ल्ड-क्लास डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध होगा.

जियो की इस उपलब्धि के राजनीतिक मायने भी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ट्वीट कर इसे भारत के डिजिटल सामर्थ्य का नया अध्याय बताया. सरकार ने कहा कि यह कदम मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को वैश्विक मान्यता दिलाने वाला साबित होगा. विपक्ष ने भले ही इस उपलब्धि पर सीधा सवाल नहीं उठाया लेकिन यह जरूर कहा कि 6G तकनीक आम लोगों तक कब और किस कीमत पर पहुँचेगी, यही असली सवाल है. फिलहाल यह ट्रायल स्तर पर है और आम उपभोक्ता को इसका लाभ शायद अगले दो-तीन वर्षों में ही मिल पाएगा.

दुनिया की अन्य टेलीकॉम कंपनियों की प्रतिक्रिया भी देखने लायक रही. अमेरिकी कंपनी वेरिज़ोन और जापान की एनटीटी डोकोमो ने इसे एक "टेक्नोलॉजिकल सरप्राइज़" बताया. चीन की हुआवेई ने कहा कि भारत का यह कदम वैश्विक प्रतिस्पर्धा को नई दिशा देगा. यूरोपियन यूनियन के डिजिटल रिसर्च सेंटर ने कहा कि अब 6G रिसर्च में भारत को साझेदारी में शामिल करना प्राथमिकता होगी.

तकनीकी स्तर पर बात करें तो 6G का आधार टेराहर्ट्ज़ फ़्रीक्वेंसी बैंड है जिसमें डेटा ट्रांसफर की क्षमता इतनी तेज़ है कि एक सेकंड में दर्जनों गीगाबाइट्स डाउनलोड या अपलोड किए जा सकते हैं. जियो ने अपने ट्रायल के दौरान 1 टीबीपीएस (टेराबिट्स पर सेकंड) तक की ट्रांसफर क्षमता दिखाई है. यह इंटरनेट स्पीड का वह स्तर है जहाँ कुछ सेकंड में पूरी फिल्म डाउनलोड करना तो सामान्य बात होगी, बल्कि अंतरिक्ष से भेजे जा रहे डेटा को भी तुरंत रियल-टाइम में रिसीव करना संभव होगा.

इस क्रांति का असर न केवल आम उपभोक्ताओं पर बल्कि कॉरपोरेट जगत पर भी पड़ेगा. ई-कॉमर्स, ऑनलाइन गेमिंग, वर्चुअल रियलिटी, हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर और डिफेंस सेक्टर में इसका प्रयोग तत्काल असर डालने वाला होगा. उदाहरण के लिए, किसान ड्रोन की मदद से सेकेंडों में अपनी फसल का पूरा विश्लेषण कर पाएंगे, डॉक्टर हज़ारों किलोमीटर दूर बैठे मरीज का ऑपरेशन रोबोट के जरिए कर सकेंगे और छात्र वर्चुअल क्लासरूम में 3D वातावरण में पढ़ाई कर पाएंगे.

सोशल मीडिया पर आम लोग भी इस खबर को लेकर उत्साह और जिज्ञासा जाहिर कर रहे हैं. कई यूज़र्स ने मज़ाकिया अंदाज़ में लिखा कि "अब इंटरनेट इतना तेज़ होगा कि सोचने से पहले ही सर्च रिजल्ट सामने आ जाएगा." कुछ लोगों ने चिंता भी जताई कि अगर स्पीड इतनी तेज़ होगी तो डाटा प्राइवेसी और साइबर सुरक्षा के नए खतरे भी पैदा होंगे. वास्तव में विशेषज्ञ भी मानते हैं कि 6G के साथ साइबर सुरक्षा, एथिकल एआई और डाटा प्रोटेक्शन जैसे मुद्दों को गंभीरता से संबोधित करना होगा.

जियो का यह कदम भारतीय युवाओं और स्टार्टअप्स के लिए भी वरदान साबित हो सकता है. तेज़ और भरोसेमंद नेटवर्क के बिना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और मेटावर्स जैसी तकनीकें भारत में पूरी तरह विकसित नहीं हो सकतीं. लेकिन 6G इंफ्रास्ट्रक्चर से उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा. यही वजह है कि कई वेंचर कैपिटल कंपनियाँ भारत में अपने निवेश को और बढ़ाने की सोच रही हैं.

ट्रायल लॉन्च की इस घोषणा के बाद जियो के शेयर में भी जबरदस्त उछाल देखने को मिला. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में जियो की पेरेंट कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के शेयर में पाँच प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई. विदेशी निवेशकों ने भी इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और कहा कि भारत आने वाले समय में डिजिटल तकनीकों का हब बन सकता है.

हालांकि आलोचक यह भी कहते हैं कि भारत में अब भी 4G और 5G नेटवर्क की पहुँच पूरी तरह से सर्वव्यापी नहीं हुई है. ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की समस्याएँ बनी हुई हैं. ऐसे में 6G की बात करना भले ही गर्व की बात हो लेकिन असली चुनौती इसे आम आदमी तक सुलभ और सस्ता बनाना होगी. जियो के शुरुआती इतिहास को देखते हुए यह उम्मीद जरूर की जा सकती है कि कंपनी 6G को भी उसी तरह क्रांतिकारी और किफायती बनाएगी जैसे उसने 4G के साथ किया था.

कुल मिलाकर रिलायंस जियो का 6G ट्रायल लॉन्च भारत की तकनीकी यात्रा में एक ऐतिहासिक क्षण है. यह उस आत्मविश्वास का प्रतीक है जो भारत ने पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल इकोसिस्टम में हासिल किया है. आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि क्या जियो इस ट्रायल को सफलतापूर्वक कमर्शियल स्तर पर बदल पाती है और क्या भारत वास्तव में 6G तकनीक का नेतृत्व करने वाला पहला देश बन पाता है. लेकिन इतना तय है कि इस लॉन्च ने दुनिया को भारत की तकनीकी क्षमता का एहसास करा दिया है और अब वैश्विक मंच पर भारत को नज़रअंदाज़ करना किसी के लिए भी संभव नहीं होगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-