अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी के घर में घुसे बारिश का पानी, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी के घर में घुसे बारिश का पानी

प्रेषित समय :19:57:08 PM / Thu, Aug 21st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

मुंबई. जिसे भारत की आर्थिक राजधानी कहा जाता है, इन दिनों भारी बारिश से जूझ रही है. हर साल की तरह इस बार भी मानसून ने शहर की रफ्तार थाम दी है, लेकिन 2025 की बरसात ने कुछ ऐसे दृश्य सामने ला दिए हैं जो केवल प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि शहरी नियोजन और सामाजिक असमानताओं की परतें खोलते हैं. बीते दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें देखा गया कि बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के जुहू स्थित बंगले “जलसा” और अभिनेत्री रानी मुखर्जी के घर में पानी भर गया. इस दृश्य ने न केवल आम लोगों को चौंकाया बल्कि एक गहरी बहस को जन्म दे दिया कि आखिर मुंबई जैसा शहर, जिसे देश का सबसे विकसित और सम्पन्न शहर माना जाता है, बारिश की मार झेलने में इतना असहाय क्यों साबित होता है.

वीडियो वायरल होते ही लोगों की प्रतिक्रियाएँ उमड़ने लगीं. ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर यह चर्चा छा गई. कुछ लोगों ने इसे एक प्रतीकात्मक घटना बताया और लिखा कि प्रकृति के सामने सब बराबर हैं. चाहे कोई करोड़पति फिल्म स्टार हो या झुग्गी में रहने वाला मजदूर, जब बारिश का पानी बेकाबू होकर घरों में घुसता है, तब सबकी स्थिति समान हो जाती है. वहीं, बड़ी संख्या में लोगों ने कहा कि यह तो केवल कुछ सेकंड का वीडियो है जिसने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया, लेकिन धारावी, भांडुप, कांदिवली या कुर्ला जैसे इलाकों में हर साल लाखों लोग इसी तरह की समस्या से गुजरते हैं. वहाँ पानी घरों को डुबो देता है, लोग बीमारियों की चपेट में आते हैं और कई बार अपनी जान तक गंवा देते हैं, लेकिन इनकी आवाज़ इतनी तेज़ी से नहीं गूंज पाती.

विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार की बारिश ने एक बार फिर यह साबित किया है कि मुंबई का इंफ्रास्ट्रक्चर अपने चरम पर पहुँच चुका है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की एक रिपोर्ट बताती है कि शहर के 60% से अधिक इलाकों में जलनिकासी की व्यवस्था 1960 और 1970 के दशक की जरूरतों के हिसाब से बनी थी. तब शहर की आबादी करीब 40 लाख थी, जबकि आज यह डेढ़ करोड़ के आसपास पहुँच चुकी है. इसके बावजूद जलनिकासी नेटवर्क का विस्तार नहीं हुआ. महानगरपालिका हर साल नालों की सफाई का दावा करती है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि थोड़ी सी तेज बारिश में ही सड़कों पर पानी भर जाता है.

मुंबई में समुद्र का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की रिपोर्ट्स के अनुसार, अगले 30 सालों में मुंबई के तटीय इलाकों में समुद्र स्तर 20-25 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है. इसका सीधा असर जुहू, बांद्रा, वर्ली और कोलाबा जैसे इलाकों पर पड़ेगा. यही वजह है कि इस बार जुहू के पॉश इलाकों में पानी घुसना एक गंभीर संकेत माना जा रहा है. जलवायु वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि यदि अब भी प्रशासन और सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए तो आने वाले सालों में स्थिति और भयावह होगी.

राजनीतिक स्तर पर भी इस घटना ने हलचल मचा दी है. विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर हमला बोला और कहा कि हर साल मॉनसून से पहले बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं कि नालों की सफाई हो गई है, पंपिंग स्टेशन तैयार हैं और किसी तरह की समस्या नहीं होगी. लेकिन हकीकत यह है कि पहली बड़ी बारिश में ही शहर डूब जाता है. भाजपा, शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सभी ने सोशल मीडिया पर सरकार को घेरा. वहीं, सरकार की ओर से जवाब आया कि “अत्यधिक वर्षा” के कारण समस्या उत्पन्न हुई और जल्द ही हालात सामान्य कर दिए जाएंगे. लेकिन आम जनता यह सवाल पूछ रही है कि अगर हर साल यही स्थिति होती है तो क्या यह केवल “प्राकृतिक आपदा” है या फिर “मानव निर्मित लापरवाही”?

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के बाद लोगों की प्रतिक्रियाएँ दो हिस्सों में बंटी दिखीं. एक वर्ग ने बच्चन परिवार और रानी मुखर्जी के प्रति सहानुभूति जताई और कहा कि यह स्थिति दिखाती है कि किसी के पास कितना भी पैसा हो, प्रकृति के सामने सब लाचार हो जाते हैं. वहीं, दूसरा वर्ग बेहद आलोचनात्मक था. कई यूजर्स ने लिखा कि मीडिया का ध्यान तुरंत सेलिब्रिटी घरों पर जाता है, जबकि स्लम इलाकों में तो लोग जान गंवा रहे हैं. उन्होंने कहा कि “अगर बच्चन साहब का बंगला डूबा तो ब्रेकिंग न्यूज बनती है, लेकिन अगर धारावी की झोपड़पट्टियाँ बह गईं तो वह केवल एक छोटा सा फुटनोट होती है.”

मीडिया स्टडीज करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि यह पैटर्न नया नहीं है. मीडिया हमेशा ग्लैमर और बड़े नामों को हाइलाइट करता है क्योंकि यह ज्यादा क्लिक और दर्शक लाता है. लेकिन साथ ही यह भी सच है कि बड़े नामों से जुड़ी खबरें जनता का ध्यान गंभीर मुद्दों की ओर खींच सकती हैं. इस मामले में भी हो सकता है कि बच्चन और रानी मुखर्जी के घर में पानी घुसने का वीडियो प्रशासन पर ज्यादा दबाव बनाए और सरकार को मजबूर करे कि वह शहरी नियोजन पर गंभीरता से सोचे.

इस वीडियो ने एक तरह से मुंबई के दो चेहरों को सामने ला दिया. एक चेहरा वह है जो चमकदार है, जहाँ करोड़ों की कीमत वाले बंगले और फिल्मी सितारों की ज़िंदगी है. दूसरा चेहरा वह है जहाँ झुग्गियों में रहने वाले लोग हर साल बारिश में अपनी ज़िंदगी दाँव पर लगा देते हैं. लेकिन बारिश की यह मार दोनों चेहरों को एक जगह ला खड़ा करती है. फर्क केवल इतना है कि सेलिब्रिटी के घर का पानी कुछ घंटों या दिनों में निकाल दिया जाएगा, लेकिन गरीब बस्तियों में यह पानी महीनों तक जीवन को दूभर बना देता है.

मुंबई महानगरपालिका (BMC) का बजट हर साल कई छोटे राज्यों के बजट से भी बड़ा होता है. 2024-25 के लिए इसका बजट 59,954 करोड़ रुपये था. इसके बावजूद शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर हर साल ढह जाता है. शहरी विकास विशेषज्ञ मानते हैं कि समस्या पैसे की कमी नहीं बल्कि गलत प्राथमिकताओं की है. करोड़ों रुपये सड़कों की मरम्मत, सौंदर्यीकरण और चुनावी दिखावे पर खर्च हो जाते हैं, लेकिन जलनिकासी और पर्यावरणीय संतुलन पर निवेश नहीं होता.

शहर में हर साल बाढ़ का संकट बढ़ने का एक और कारण अनियंत्रित निर्माण है. पिछले दो दशकों में मुंबई में कंक्रीट का जंगल खड़ा हो गया है. नाले, झीलें और छोटे जलाशय जो कभी अतिरिक्त बारिश का पानी सोख लेते थे, वे या तो पाट दिए गए या उनके किनारों पर अवैध कब्जा कर लिया गया. नतीजा यह है कि जैसे ही बारिश होती है, पानी कहीं ठहरने की जगह न पाकर सड़कों और घरों में घुस जाता है.

आम मुंबईवासी इस स्थिति से बेहद परेशान हैं. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने लिखा कि “अगर अमिताभ बच्चन का घर भी सुरक्षित नहीं है तो आम आदमी कहाँ जाएगा?” यह सवाल सिर्फ गुस्से से भरा नहीं है बल्कि एक चेतावनी भी है. यह दर्शाता है कि अब स्थिति केवल गरीब या मध्यमवर्ग तक सीमित नहीं रही. अब तो अमीर और मशहूर लोग भी इस संकट से अछूते नहीं रहे.

स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी चेतावनी दे रहे हैं कि जलभराव केवल संपत्ति को नुकसान नहीं पहुँचाता, बल्कि यह बीमारियों का बड़ा कारण भी बनता है. पिछले साल मुंबई में डेंगू और मलेरिया के मामलों में 30% की वृद्धि दर्ज की गई थी. इस साल भी अगर यही स्थिति रही तो सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ेगा.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस घटना पर चर्चा हुई. कई विदेशी समाचार एजेंसियों ने रिपोर्ट किया कि “भारत की फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े सितारों के घर बाढ़ में डूबे.” इससे यह संदेश गया कि जलवायु परिवर्तन और शहरी अव्यवस्था का संकट अब ग्लोबल इमेज पर भी असर डाल रहा है.

अंततः यह कहा जा सकता है कि अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी के घरों में पानी घुसने का वीडियो केवल एक वायरल क्लिप नहीं है. यह एक आईना है जिसमें मुंबई की हकीकत झलक रही है. यह हकीकत है शहरी असमानता, लापरवाह प्रशासन, जलवायु परिवर्तन और मीडिया की प्राथमिकताओं की. सवाल यह है कि क्या यह आईना देखकर हम केवल हँसेंगे, मजाक बनाएँगे और फिर भूल जाएँगे, या फिर इससे कोई सबक लेकर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित शहर बनाने की कोशिश करेंगे.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-