#StreetFoodStories -दिल्ली से लेकर मुंबई तक फूड ब्लॉगर लोकल स्ट्रीट फूड को नए अंदाज में पेश कर रहे

#StreetFoodStories -दिल्ली से लेकर मुंबई तक फूड ब्लॉगर लोकल स्ट्रीट फूड को नए अंदाज में पेश कर रहे

प्रेषित समय :19:18:22 PM / Thu, Aug 21st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भारत की गली-कूचों की खुशबू, स्वाद और रंग-बिरंगी संस्कृति हमेशा से लोगों को आकर्षित करती रही है. चाहे वह दिल्ली की चाट हो, मुंबई का वड़ा पाव, कोलकाता का फुचका या लखनऊ की टुंडे कबाबी—भारतीय स्ट्रीट फूड अपनी विविधता और अनोखेपन के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. लेकिन हाल के वर्षों में इस परंपरा को एक नया रूप मिला है—फूड ब्लॉगर्स और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स के ज़रिए. सोशल मीडिया पर #StreetFoodStories का ट्रेंड केवल खाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अब भारतीय सांस्कृतिक पहचान, लोकल इकोनॉमी और डिजिटल इन्फ्लुएंस की ताकत का प्रतीक बन चुका है. इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक पर हजारों फूड ब्लॉगर अपनी-अपनी शैली में लोकल स्ट्रीट फूड को पेश कर रहे हैं और लाखों लोग इन वीडियोज़ और पोस्ट्स को देख, शेयर और रीक्रिएट कर रहे हैं.

दिल्ली के चांदनी चौक की गलियां हों या करोल बाग के स्ट्रीट फूड कॉर्नर, वहां का खाना अब सिर्फ स्थानीय लोगों तक सीमित नहीं है. फूड ब्लॉगर्स ने इसे अंतरराष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचा दिया है. उदाहरण के तौर पर, 2024 में किए गए एक सर्वे के अनुसार, सिर्फ दिल्ली के टॉप 50 स्ट्रीट फूड वीडियोज़ को इंस्टाग्राम पर 250 मिलियन से ज्यादा बार देखा गया. वहीं मुंबई के वड़ा पाव और पाव भाजी के वीडियोज़ को यूट्यूब पर 100 मिलियन से ज्यादा व्यूज़ मिले. यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि लोग अब केवल खाने के स्वाद से ही नहीं बल्कि उस अनुभव से भी जुड़ना चाहते हैं जो इन गलियों और ठेलों में मिलता है.

स्ट्रीट फूड ब्लॉगिंग का यह उभार केवल डिजिटल मनोरंजन नहीं है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर डाल रहा है. नेशनल स्ट्रीट वेंडर्स एसोसिएशन की रिपोर्ट बताती है कि भारत में करीब 3 करोड़ से अधिक लोग सीधे या परोक्ष रूप से स्ट्रीट फूड से जुड़े हैं. सोशल मीडिया पर इस फूड कल्चर की बढ़ती लोकप्रियता ने छोटे विक्रेताओं को भी नई पहचान दी है. कई बार देखा गया है कि किसी फूड ब्लॉगर ने किसी स्टॉल का वीडियो अपलोड किया और अगले ही दिन उस स्टॉल पर ग्राहकों की लंबी लाइन लग गई. यह ‘डिजिटल वर्ड ऑफ माउथ’ अब भारतीय खाने के कारोबार का नया इंजन बन चुका है.

दिल्ली में चाट, गोलगप्पे, आलू टिक्की और दही भल्ले जैसे स्नैक्स सदियों से लोकप्रिय हैं. लेकिन जब इन्हें ब्लॉगर अपने कैमरे और कहानी कहने की शैली से पेश करते हैं, तो ये वैश्विक स्तर पर वायरल हो जाते हैं. इसी तरह मुंबई के वड़ा पाव, भेलपुरी, मिसल पाव और दही पुरी को अब दुनिया के हर कोने से लोग जानने लगे हैं. कुछ अंतरराष्ट्रीय फूड चैनल्स ने इन वीडियोज़ को रीपोस्ट करके भारत के स्ट्रीट फूड की ब्रांडिंग को और मजबूत किया है.

डेटा से यह भी पता चलता है कि फूड ब्लॉगिंग ने टूरिज्म पर भी बड़ा प्रभाव डाला है. इंडियन टूरिज्म डिपार्टमेंट के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों में से लगभग 42% ने विशेष रूप से स्ट्रीट फूड टूर का हिस्सा बनने की इच्छा जताई. यह संख्या 2019 की तुलना में लगभग दोगुनी है. यानी फूड ब्लॉगर्स ने सिर्फ खाने को नहीं, बल्कि पर्यटन को भी नई दिशा दी है.

एक दिलचस्प पहलू यह है कि अब स्ट्रीट फूड की कहानियां केवल खाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे सामाजिक मुद्दों को भी छू रही हैं. उदाहरण के लिए, कई ब्लॉगर्स ने उन स्टॉल वालों की कहानी सुनाई है जो पीढ़ियों से इस काम में लगे हैं, जिन्होंने अपने हाथों से एक छोटे ठेले को बड़े बिज़नेस में बदल दिया, या फिर उन महिला उद्यमियों की दास्तानें जो घर से निकलकर फूड स्टॉल चला रही हैं. इन कहानियों ने लोगों को यह एहसास दिलाया है कि स्ट्रीट फूड सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि संघर्ष और सफलता की गाथा भी है.

सोशल मीडिया के साथ-साथ, डेटा यह भी दिखाता है कि फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स ने इस ट्रेंड को और बढ़ावा दिया है. स्विगी और ज़ोमैटो जैसे ऐप्स ने हाल ही में अपने प्लेटफ़ॉर्म पर "लोकल फूड" या "स्ट्रीट फूड" कैटेगरी को प्रमोट करना शुरू किया है. ज़ोमैटो की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में उनके ऐप पर "स्ट्रीट फूड" सर्च 65% बढ़ी. इसका मतलब यह है कि लोग अब सिर्फ ऑनलाइन फाइन डाइनिंग नहीं बल्कि गली-मोहल्लों के स्वाद को भी अपने घर तक बुलाना चाहते हैं.

यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर टॉप फूड ब्लॉगर जैसे कि दिल्ली का "दिल्ली फूडी एक्सप्लोरर", मुंबई का "स्ट्रीट बाइट्स", और चेन्नई का "साउथ स्पाइस स्टोरीज़" अब लाखों फॉलोअर्स रखते हैं. इनके वीडियोज़ पर न केवल व्यूज़ आते हैं बल्कि ब्रांड्स भी इनसे जुड़कर अपने प्रोडक्ट प्रमोट कर रहे हैं. यानी स्ट्रीट फूड अब सिर्फ खाने की बात नहीं रह गई, बल्कि यह एक बिज़नेस मॉडल बन चुका है.

दिल्ली से मुंबई तक स्ट्रीट फूड का यह डिजिटल पुनर्जागरण भारतीय समाज की बदलती जीवनशैली का भी संकेत है. अब लोग अपने फोन की स्क्रीन पर स्वाद खोजते हैं, फिर उसी अनुभव को वास्तविकता में जीने के लिए निकल पड़ते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में सोशल मीडिया एक ‘ट्रिगर पॉइंट’ बन गया है.

कुल मिलाकर, #StreetFoodStories सिर्फ एक ट्रेंड नहीं बल्कि भारत की गली-कूचों का वैश्विक मंच पर पुनः परिचय है. आंकड़े और उदाहरण बताते हैं कि कैसे एक साधारण गोलगप्पा अब दुनिया भर के फूड प्रेमियों की डिश बन चुका है. यह केवल खाने की बात नहीं है, बल्कि संस्कृति, संघर्ष, डिजिटल शक्ति और आर्थिक अवसरों की कहानी है. और यही कारण है कि भारत का स्ट्रीट फूड अब ‘लोकल से ग्लोबल’ की यात्रा तय कर रहा है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-