चेन्नई के थलाम्बुर में Garuda Aerospace ने गुरुवार को अपना नया रक्षा ड्रोन सुविधा केंद्र लॉन्च किया. इस केंद्र में पांच नए स्वदेशी UAV (Unmanned Aerial Vehicle) शामिल किए गए हैं. साथ ही, प्रशिक्षण केंद्र, R&D (अनुसंधान एवं विकास) लैब और मोबाइल सपोर्ट यूनिट्स की भी शुरुआत की गई है. यह कदम भारत के रक्षा, बचाव और आपदा प्रबंधन अभियानों में ड्रोन की अहमियत को और पुख्ता करता है. विशेषज्ञों के अनुसार, यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की दिशा में एक ठोस कदम है, जो देश को विदेशी तकनीक पर निर्भरता से मुक्त कर सकता है.Garuda Aerospace का नया रक्षा ड्रोन सुविधा केंद्र भारत के रक्षा और आपदा प्रबंधन परिदृश्य में एक ऐतिहासिक मोड़ है. यह सिर्फ एक औद्योगिक उपलब्धि नहीं बल्कि भारत के युवाओं, स्टार्टअप इकोसिस्टम और आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है.
यदि आने वाले वर्षों में इन ड्रोन को वास्तविक अभियानों में सफलता मिलती है, तो भारत न केवल अपनी सीमाओं की सुरक्षा और नागरिक बचाव क्षमता को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक ड्रोन बाजार में भी एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरेगा.
ड्रोन टेक्नोलॉजी: क्यों ज़रूरी?
आधुनिक युद्ध और सुरक्षा परिदृश्य में ड्रोन केवल निगरानी (surveillance) तक सीमित नहीं रहे. अब वे रियल-टाइम कॉम्बैट ऑपरेशन, आपदा प्रबंधन, भीड़ नियंत्रण, सीमा सुरक्षा, कृषि सर्वेक्षण, और खोज-बचाव अभियानों में भी उपयोगी साबित हो रहे हैं.
अमेरिका के Predator और Reaper ड्रोन ने जिस तरह वैश्विक सैन्य अभियानों में निर्णायक भूमिका निभाई, वैसा ही योगदान अब भारत अपने स्वदेशी ड्रोन से चाहता है.
चीन और तुर्की जैसे देश पहले ही ड्रोन युद्धक क्षमता में अग्रणी हो चुके हैं.
भारत ने देर से शुरुआत की लेकिन तेजी से आगे बढ़ रहा है. FWDA का "काला भैरव" और अब Garuda Aerospace का यह नया केंद्र इसी क्रम का हिस्सा है.
Garuda Aerospace: भारत की ड्रोन स्टार्टअप से रक्षा दिग्गज बनने की यात्रा
Garuda Aerospace की स्थापना 2015 में हुई थी.
शुरुआती दौर में कंपनी ने कृषि और औद्योगिक ड्रोन बनाए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 में इसके एक कार्यक्रम में भाग लेकर इसे "भारत का ड्रोन स्टार्टअप हीरो" कहा था.
अब कंपनी का विस्तार रक्षा और रणनीतिक क्षेत्रों में हो रहा है.
थलाम्बुर स्थित यह नया केंद्र कंपनी के लिए ‘ड्रोन डिफेंस इकोसिस्टम’ की नींव रखने जैसा है.
नया रक्षा ड्रोन सुविधा केंद्र: क्या है खास?
पांच नए UAV मॉडल – निगरानी, सामरिक हमले, आपदा प्रबंधन और बॉर्डर पेट्रोलिंग के लिए डिजाइन किए गए.
R&D लैब – यहां रिसर्चर और इंजीनियर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित ड्रोन तैयार करेंगे.
ट्रेनिंग सेंटर – सेना, पुलिस और सिविल डिफेंस के लिए ऑपरेटर ट्रेनिंग की व्यवस्था.
मोबाइल सपोर्ट यूनिट्स – ड्रोन मरम्मत और सपोर्ट सेवाओं को तेजी से प्रदान करने की सुविधा.
इंडस्ट्री का दृष्टिकोण
डिफेंस इंडस्ट्री के विशेषज्ञ मानते हैं कि Garuda Aerospace का यह कदम भारत की रक्षा स्वायत्तता के लिए गेम-चेंजर है.
डिफेंस एनालिस्ट अजय शुक्ला का मानना है:
“भारतीय रक्षा बल लंबे समय से विदेशी ड्रोन पर निर्भर रहे हैं. अब Garuda और FWDA जैसे घरेलू खिलाड़ी इस अंतर को पाट सकते हैं. इससे न केवल लागत घटेगी बल्कि ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी भी बढ़ेगी.”
FICCI डिफेंस विंग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ड्रोन इंडस्ट्री 2030 तक 40 बिलियन डॉलर का बाजार बन सकती है.
Garuda का यह केंद्र भारतीय ड्रोन को निर्यात योग्य उत्पाद बनाने की दिशा में अहम योगदान देगा.
छात्रों और युवाओं की प्रतिक्रियाएँ
ड्रोन सुविधा केंद्र में R&D और ट्रेनिंग मॉड्यूल्स से युवाओं में भारी उत्साह है.
IIT मद्रास और Anna University के छात्र मानते हैं कि यह उनके लिए स्टार्टअप और रिसर्च के नए अवसर खोलेगा.
एक छात्र ने कहा: “ड्रोन टेक्नोलॉजी में करियर अब सिर्फ सपना नहीं रहा, बल्कि यह भारत में भी संभव है.”
सोशल मीडिया विश्लेषण
लॉन्च के कुछ ही घंटों में ट्विटर (अब X), इंस्टाग्राम और लिंक्डइन पर #GarudaAerospace और #DroneDefence जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे.
ट्विटर/X पर प्रतिक्रियाएँ:
“भारत अब सिर्फ ड्रोन यूज़र नहीं, बल्कि निर्माता भी बन रहा है.”
“Garuda का यह कदम चीन और तुर्की के मुकाबले भारत को मजबूत करेगा.”
इंस्टाग्राम पर युवाओं की स्टोरीज़:
ड्रोन के मॉडल्स की तस्वीरें खूब शेयर की गईं.
कई छात्रों ने #DroneCareers और #MadeInIndia के साथ पोस्ट किए.
लिंक्डइन पर इंडस्ट्री प्रोफेशनल्स की राय:
इसे भारत के रक्षा क्षेत्र का बड़ा पब्लिक-प्राइवेट इनोवेशन बताया गया.
रणनीतिक और अंतरराष्ट्रीय आयाम
भारत-चीन प्रतिस्पर्धा – ड्रोन युद्धक क्षमता में चीन की बढ़त चिंता का विषय रही है. Garuda Aerospace का यह लॉन्च उस अंतर को घटाने की दिशा में है.
निर्यात संभावनाएं – एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में सस्ते और भरोसेमंद ड्रोन की बड़ी मांग है.
रक्षा आत्मनिर्भरता – यह लॉन्च ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिफेंस एक्सपोर्ट’ मिशन के लिए मील का पत्थर हो सकता है.
आम नागरिकों और समाज पर प्रभाव
ड्रोन सिर्फ सेना तक सीमित नहीं रहेंगे.
आपदा प्रबंधन: बाढ़, भूकंप और भूस्खलन में ड्रोन जीवनरक्षक साबित हो सकते हैं.
कृषि: छिड़काव और सर्वेक्षण में नए UAV किसानों की मदद करेंगे.
सिविल डिफेंस: भीड़ नियंत्रण और ट्रैफिक प्रबंधन में भी इनका प्रयोग संभव है.
चुनौतियां भी कम नहीं
हालांकि, यह पहल चुनौतियों से मुक्त नहीं है.
टेक्नोलॉजी निर्भरता – अभी भी सेंसर और हाई-एंड चिप्स विदेशी कंपनियों पर निर्भर हैं.
नियामक ढांचा – DGCA और रक्षा मंत्रालय को तेजी से नियम अपडेट करने होंगे.
साइबर सुरक्षा खतरे – ड्रोन हैकिंग और डेटा लीक से बचाव बड़ी चुनौती है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

