नई दिल्ली/कोलकाता. चुनाव आयोग के निर्देश पर पश्चिम बंगाल सरकार ने मतदाता सूची संशोधन में गड़बड़ी के आरोप में चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. निलंबित किए गए अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गई है, लेकिन इनमें से किसी भी अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. सरकार का कहना है कि इस तरह चुनाव आयोग (ईसी) के निर्देशों का आंशिक रूप से पालन हो रहा है.
यह निलंबन मुख्य सचिव मनोज पंत के नई दिल्ली में चुनाव आयोग के समक्ष पेश होने के ठीक एक हफ्ते बाद हुआ है. आयोग ने उन्हें 21 अगस्त की समयसीमा निर्धारित कर उन अधिकारियों को निलंबित करने के साथ-साथ उन पर स्नढ्ढक्र दर्ज करने का निर्देश दिया था.
दर्ज नहीं की गई एफआईआर
अधिकारियों को निलंबित करने के मामले में राज्य सचिवालय के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार ने निलंबन के निर्देश पर कार्रवाई की है और विभागीय कार्यवाही भी शुरू कर दी है. उन्होंने कहा, लेकिन अभी तक आरोपियों के खिलाफ अभी तक कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है.
इन अधिकारियों का हुआ निलंबन
जानकारी के अनुसार, बरुईपुर पूर्व और मोयना विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूचियों में गड़बड़ी के आरोपों के बाद अधिकारियों के निलंबन किए गए हैं. सचिवालय अधिकारी ने बताया कि निलंबित किए गए अधिकारियों में दक्षिण 24 परगना और पूर्व मिदनापुर जिलों के दो निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी और दो सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी शामिल हैं.
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई हैं उनमें बरुईपुर पूर्व से देबोत्तम दत्ता चौधरी और तथागत मंडल शामिल हैं. इसके अलावा मोयना से बिप्लब सरकार और सुदीप्त दास शामिल हैं. इन अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया के दौरान लॉगिन क्रेडेंशियल साझा की है और डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल का भी उल्लंघन किया है. अधिकारी ने बताया कि आयोग का मानना है कि इस तरह का मामले चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए सीधा खतरा है. आयोग ने कहा कि वह राज्य सरकार की प्रतिक्रिया पर भी कड़ी नजर रख रहा है.

