#DesiSuperfoods भारतीय सुपरफूड्स को ग्लोबल स्तर पर मिल रही पहचान

#DesiSuperfoods भारतीय सुपरफूड्स को ग्लोबल स्तर पर मिल रही पहचान

प्रेषित समय :21:49:16 PM / Fri, Aug 22nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भारतीय रसोईघर में सदियों से मौजूद मसाले, अनाज और पत्तेदार सामग्रियाँ अब सिर्फ स्वाद और परंपरा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वैश्विक पोषण विज्ञान और स्वास्थ्य उद्योग के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन चुकी हैं. हाल के वर्षों में मिलेट्स, कढ़ी पत्ता और हल्दी जैसे भारतीय सुपरफूड्स को दुनिया भर में जबरदस्त मान्यता मिल रही है. यह सिर्फ खाद्य संस्कृति का विस्तार नहीं बल्कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा और खानपान पद्धतियों की वैश्विक वापसी है.

2023 को संयुक्त राष्ट्र ने ‘इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स’ घोषित किया था. इस पहल के बाद दुनिया भर में मिलेट्स यानी मोटे अनाज जैसे रागी, ज्वार, बाजरा और कोदो को नई पहचान मिली. वहीं, भारत ने इसे अवसर बनाकर मिलेट्स को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में स्थापित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए. अब हालात यह हैं कि अमेरिका और यूरोप के सुपरमार्केट्स में ‘Millet Flakes’, ‘Ragi Cookies’ और ‘Sorghum Pasta’ जैसे उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है. न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट जैसी अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थाएँ लगातार इन सुपरफूड्स पर रिपोर्ट प्रकाशित कर रही हैं.

हल्दी की गोल्डन ग्लोबल जर्नी
हल्दी भारत के घर-घर की पहचान है. दादी-नानी की रसोई में चोट या खांसी-जुकाम का घरेलू इलाज यही रही. लेकिन बीते एक दशक में ‘Turmeric Latte’ और ‘Golden Milk’ पश्चिमी दुनिया के कैफे-कल्चर का अहम हिस्सा बन चुके हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #Turmeric और #GoldenMilk ट्रेंड करते रहते हैं. हल्दी के करक्यूमिन (Curcumin) तत्व को लेकर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में कई रिसर्च हुए हैं. इनमें पाया गया कि यह Anti-inflammatory, Antioxidant और Immunity Booster के तौर पर बेहद असरदार है. इसी कारण अब हल्दी सप्लीमेंट्स, कैप्सूल्स और स्किन-केयर प्रोडक्ट्स तक में शामिल हो रही है.

भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 2024-25 में हल्दी का निर्यात 22% बढ़ा है. प्रमुख बाजारों में अमेरिका, जर्मनी, जापान और यूके शामिल हैं. इसने न सिर्फ किसानों की आय बढ़ाई है बल्कि आयुर्वेद आधारित उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग को भी मजबूती दी है.

कढ़ी पत्ता का न्यूट्रिशनल ‘ट्विस्ट’
कढ़ी पत्ता जिसे अक्सर भारतीय थालियों में सिर्फ स्वाद और तड़के तक सीमित समझा जाता रहा, अब दुनिया में ‘Antioxidant Powerhouse’ के रूप में पहचाना जा रहा है. रिसर्च जर्नल्स में प्रकाशित अध्ययनों के अनुसार इसमें Vitamin A, C, Calcium, Iron और Alkaloids प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. यही कारण है कि कढ़ी पत्ते से बनी चटनियाँ, ड्राई पाउडर और हर्बल टी अब अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के ऑनलाइन फूड पोर्टल्स पर लोकप्रिय प्रोडक्ट बन चुके हैं.

हाल ही में लॉस एंजेलिस और सिडनी के कई फूड ब्लॉगरों ने ‘Curry Leaf Tea’ को सुपरफूड ड्रिंक करार दिया. इंस्टाग्राम पर #CurryLeafTea और #HerbalDetoxTea ट्रेंड कर रहे हैं. भारतीय स्टार्टअप्स ने भी इसे भुनाते हुए डिहाइड्रेटेड पाउडर और इंस्टेंट पैकेट्स लॉन्च किए हैं.

मिलेट्स की वापसी और जलवायु का संतुलन
मिलेट्स सिर्फ सेहत नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. गेहूं और धान की तुलना में ये कम पानी और खाद्य संसाधनों में उगते हैं. इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट (ICRISAT) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मिलेट्स की खेती से Carbon Footprint लगभग 30% तक कम किया जा सकता है. यह कृषि और पर्यावरण दोनों के लिए फायदेमंद है.

फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट के अनुसार, 2030 तक ग्लोबल हेल्थ मार्केट में मिलेट्स का योगदान 15 बिलियन डॉलर से अधिक का होने की संभावना है. भारत, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को इसका बड़ा लाभ मिलेगा.

सोशल मीडिया और सेलेब्रिटी इफेक्ट
भारत के सुपरफूड्स की वैश्विक पहचान में सोशल मीडिया का बड़ा योगदान है. इंस्टाग्राम पर #DesiSuperfoods नाम से चल रही मुहिम को लाखों लाइक्स मिल रहे हैं. बॉलीवुड और हॉलीवुड सेलेब्रिटीज़ भी इसे प्रमोट कर रहे हैं. दीपिका पादुकोण ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया पोस्ट में मिलेट्स बेस्ड डाइट को हेल्दी लाइफस्टाइल का हिस्सा बताया. वहीं हॉलीवुड अभिनेत्री ग्वेनेथ पेल्ट्रो ने ‘Golden Milk’ को अपनी डेली रूटीन में शामिल करने की बात कही.

युवा पीढ़ी इस बदलाव की सबसे बड़ी उपभोक्ता बनकर सामने आई है. वे पारंपरिक भारतीय खानपान को मॉडर्न ट्विस्ट के साथ आजमा रहे हैं. ‘Millet Pizza’, ‘Turmeric Smoothie’ और ‘Curry Leaf Pasta’ जैसे फ्यूजन फूड्स शहरी युवाओं में खासे लोकप्रिय हैं.

आर्थिक अवसर और चुनौतियाँ
भारतीय सुपरफूड्स की ग्लोबल पहचान ने किसानों और एग्री-स्टार्टअप्स के लिए नए अवसर पैदा किए हैं. लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं. सबसे बड़ी चुनौती सप्लाई चेन और क्वालिटी कंट्रोल की है. अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने के लिए भारतीय किसानों को प्रशिक्षण, ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन और ब्रांडिंग की जरूरत है.

फूड एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर भारत सही रणनीति अपनाए तो आने वाले पाँच वर्षों में यह वैश्विक हेल्थ फूड मार्केट का नेतृत्व कर सकता है. इसके लिए ‘Farm to Fork’ तक मजबूत इकोसिस्टम खड़ा करना जरूरी होगा.

भारत के पारंपरिक सुपरफूड्स की वैश्विक सफलता सिर्फ खानपान का विस्तार नहीं बल्कि सांस्कृतिक पहचान की पुनर्स्थापना भी है. मिलेट्स, हल्दी और कढ़ी पत्ते जैसी सामग्री यह साबित कर रही हैं कि भारतीय परंपरा सिर्फ स्वाद तक सीमित नहीं बल्कि स्वास्थ्य, पर्यावरण और वैश्विक शोध के लिए भी अहम है.

#DesiSuperfoods का ट्रेंड भारतीय युवाओं के लिए गर्व का विषय है. यह दिखाता है कि दादी-नानी की रसोई से निकली साधारण चीज़ें अब दुनिया भर की प्लेटों में पहुंच रही हैं और सुपरफूड्स के ग्लोबल नक्शे पर भारत की मज़बूत उपस्थिति दर्ज कर रही हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-