दक्षिण भारत की ‘फिल्टर कॉफी’ बनाने का नया तरीका सोशल मीडिया पर छाया

दक्षिण भारत की ‘फिल्टर कॉफी’ बनाने का नया तरीका सोशल मीडिया पर छाया

प्रेषित समय :21:47:00 PM / Fri, Aug 22nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

सोशल मीडिया की दुनिया में इन दिनों अगर किसी दक्षिण भारतीय पेय ने तहलका मचाया है, तो वह है ‘फिल्टर कॉफी’. इंस्टाग्राम रील्स से लेकर यूट्यूब शॉर्ट्स तक हर जगह लोग इसे अपने-अपने अंदाज़ में बना और दिखा रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि पारंपरिक कॉफी बनाने के तरीके को अब नई तकनीकों और स्टाइलिश प्रेज़ेंटेशन के साथ पेश किया जा रहा है. यही वजह है कि #FilterCoffee, #SouthIndianCoffee और #BrewItRight जैसे हैशटैग लाखों व्यूज़ बटोर रहे हैं.

भारतीय खाने-पीने की संस्कृति हमेशा से ही परंपरा और नवाचार का संगम रही है. दक्षिण भारत की फिल्टर कॉफी इसका सबसे उम्दा उदाहरण है. यह पेय सिर्फ स्वाद के लिए ही नहीं, बल्कि अपने अनुष्ठानिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी जानी जाती है. अब जब सोशल मीडिया पर इसके नए-नए अंदाज़ छा रहे हैं, तो आइए हम समझें कि इस कॉफी को बनाने की विधि क्या है, और कैसे आप भी घर पर परफ़ेक्ट फ़िल्टर कॉफी बना सकते हैं.

फिल्टर कॉफी क्या है?
फिल्टर कॉफी दक्षिण भारत की आत्मा मानी जाती है. इसे ‘कपी’ भी कहा जाता है. सामान्य इंस्टैंट कॉफी की तरह यह केवल गरम पानी और पाउडर मिलाने भर से नहीं बनती. इसका स्वाद इसकी धीमी प्रक्रिया और खास फिल्टर पॉट (जिसे ड्रिप कॉफी फिल्टर कहते हैं) के कारण इतना गहरा होता है.

सोशल मीडिया पर नया अंदाज़
पहले लोग सिर्फ़ मेटल फिल्टर से बनी पारंपरिक कॉफी साझा करते थे. लेकिन अब लोग अलग-अलग बदलाव कर रहे हैं—

किसी ने तांबे के फिल्टर का इस्तेमाल किया है.

कोई नारियल दूध के साथ फ़िल्टर कॉफी बना रहा है.

कुछ लोग आइस्ड वर्ज़न पेश कर रहे हैं.

वहीं, कई क्रिएटर्स फ़ोटोग्राफ़ी और स्टेप-बाय-स्टेप स्लाइड शो के साथ इसकी पूरी विधि डाल रहे हैं.

यानी पारंपरिक स्वाद और मॉडर्न प्रेज़ेंटेशन का मेल इसे युवाओं में बेहद लोकप्रिय बना रहा है.

फ़िल्टर कॉफी बनाने की सामग्री
मुख्य सामग्री (2 लोगों के लिए):

ताज़ा रोस्टेड और ग्राउंडेड कॉफी (70% कॉफी और 30% चिकोरी का मिश्रण) – 3 टेबलस्पून

पानी – 1 कप

दूध – 1 कप (फुल क्रीम या टोंड, अपनी पसंद अनुसार)

शक्कर – स्वादानुसार

बनाने की विधि (स्टेप-बाय-स्टेप फ़ोटो रेसिपी स्टाइल में)
स्टेप 1 – कॉफी फिल्टर तैयार करें
दक्षिण भारतीय मेटल फ़िल्टर में दो हिस्से होते हैं. ऊपर वाला हिस्सा छिद्रदार होता है जिसमें कॉफी पाउडर डाला जाता है. नीचे वाले हिस्से में कॉफी डेकोक्शन टपकता है.

फ़िल्टर को साफ़ धोकर सूखा लें.

स्टेप 2 – कॉफी पाउडर डालें
ऊपर वाले हिस्से में 3 टेबलस्पून कॉफी पाउडर डालें.

हल्के हाथ से दबा दें ताकि पाउडर बराबर सेट हो जाए.

स्टेप 3 – गरम पानी डालें
अब पाउडर के ऊपर लगभग ½ कप उबलता हुआ पानी डालें.

ढक्कन बंद कर दें.

अब धीरे-धीरे डेकोक्शन नीचे वाले हिस्से में टपकने लगेगा. (यह प्रक्रिया 10–15 मिनट लेती है.)

स्टेप 4 – दूध तैयार करें
एक पैन में दूध गरम करें.

उबालते समय दूध को झागदार बनाने के लिए दो बार ऊँचाई से गिराएँ (यही दक्षिण भारतीय स्टाइल है).

स्टेप 5 – कॉफी मिलाएँ
अब एक स्टील टम्बलर लें.

उसमें 2–3 टेबलस्पून कॉफी डेकोक्शन डालें.

ऊपर से गरम दूध डालें.

शक्कर अपनी पसंद अनुसार मिलाएँ.

स्टेप 6 – पारंपरिक मिक्सिंग
अब टम्बलर और ‘डेवरा’ (स्टील कटोरी) का इस्तेमाल करें.

कॉफी को ऊँचाई से 4–5 बार डालकर मिलाएँ.

इससे कॉफी झागदार और गाढ़ी हो जाएगी.

स्टेप 7 – परोसें
गरम-गरम झागदार फिल्टर कॉफी टम्बलर और डेवरा में परोसें.

यही इसकी असली पहचान है.

सोशल मीडिया पर वायरल ट्विस्ट
कोल्ड ब्रू फ़िल्टर कॉफी – लोग डेकोक्शन को फ्रिज़ में रखकर ठंडा कर रहे हैं और दूध-आइस के साथ पेश कर रहे हैं.

वीगन वर्ज़न – नारियल दूध या बादाम दूध के साथ यह और भी हेल्दी बनाई जा रही है.

जगमगाती प्रेज़ेंटेशन – इंस्टाग्राम पर कॉफी को ऊँचाई से गिराते हुए स्लो-मोशन वीडियो खूब पसंद किए जा रहे हैं.

हेल्थ-फ्रेंडली एडिशन – शक्कर की जगह गुड़ या स्टीविया मिलाकर फिटनेस लवर्स इसे आज़मा रहे हैं.

फिल्टर कॉफी का वैज्ञानिक पहलू
इसमें कैफीन की मात्रा नियंत्रित रहती है, जिससे यह ऊर्जा देती है लेकिन हानि नहीं पहुँचाती.

चिकोरी पाचन में सहायक मानी जाती है.

दूध और कॉफी का मेल शरीर को गर्मी के मौसम में भी संतुलित रखता है.

सांस्कृतिक महत्व
फिल्टर कॉफी केवल एक पेय नहीं, बल्कि दक्षिण भारत की पहचान है. शादी-ब्याह से लेकर सुबह की शुरुआत तक, हर अवसर पर यह मौजूद रहती है. यही वजह है कि जब इसे सोशल मीडिया पर ‘ट्रेंड’ के रूप में देखा जा रहा है, तो यह लोगों को उनकी जड़ों से जोड़ने का काम कर रही है.

सोशल मीडिया पर छाया ‘फिल्टर कॉफी का नया अंदाज़’ यह साबित करता है कि परंपराएँ कभी मरती नहीं, बस नए रूप में सामने आती हैं. आज का युवा इसे केवल स्वाद के लिए नहीं, बल्कि एक अनुभव की तरह जी रहा है. जब कैमरा, फ़ोटो और रील्स इसमें शामिल हो जाते हैं, तो यह अनुभव और भी खास बन जाता है.

दक्षिण भारतीय फिल्टर कॉफी की खुशबू और झाग सिर्फ़ एक कप में नहीं, बल्कि अब लाखों-करोड़ों स्मार्टफ़ोन्स की स्क्रीन पर भी तैर रही है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-