लद्दाख-ऊँचे पहाड़ और रोमांच का नया केंद्र: पर्यटन, संस्कृति और रोमांचक सफ़र की पत्रकारिक पड़ताल

लद्दाख-ऊँचे पहाड़ और रोमांच का नया केंद्र: पर्यटन, संस्कृति और रोमांचक सफ़र की पत्रकारिक पड़ताल

प्रेषित समय :22:03:04 PM / Fri, Aug 22nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भारत की उत्तरी सीमा पर बसा लद्दाख केवल एक भूगोल नहीं, बल्कि अनुभवों का एक विशाल संसार है. यहाँ की हर घाटी, हर पहाड़, हर झील अपने आप में एक जीवित दस्तावेज़ है जो यात्रियों, रोमांच प्रेमियों और सांस्कृतिक शोधकर्ताओं को आकर्षित करता है. बीते कुछ वर्षों में लद्दाख का महत्व केवल पर्यटन मानचित्र तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह भारत की रणनीतिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय चर्चाओं का भी अहम हिस्सा बन गया है. पत्रकारिक दृष्टिकोण से लद्दाख को समझना इसलिए जरूरी हो जाता है क्योंकि यहाँ आने वाला हर यात्री केवल एक टूरिस्ट नहीं, बल्कि बदलते समाज, प्रकृति और संस्कृति का गवाह भी होता है.

लद्दाख की पहचान: “लैंड ऑफ हाई पासेस”
लद्दाख का शाब्दिक अर्थ है “पासों की भूमि” यानी ऊँचे दर्रों का देश. समुद्र तल से 9,000 फीट से लेकर 25,000 फीट तक की ऊँचाई पर फैला यह इलाका दुनिया के सबसे ऊँचे बसे हुए क्षेत्रों में गिना जाता है. यहां की जलवायु कठोर है, दिन और रात के तापमान में भारी अंतर देखने को मिलता है, लेकिन यही कठोरता यात्रियों के लिए चुनौती और रोमांच दोनों बन जाती है.

बौद्ध संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर
लद्दाख को अक्सर “लिटिल तिब्बत” भी कहा जाता है. यहाँ की बौद्ध मठों (मोनास्ट्री) की परंपरा सदियों पुरानी है. हेमिस, थिकसे, स्पितुक और लामायुरु जैसे मठ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यहाँ हर साल होने वाले उत्सव हजारों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं.

लद्दाख की संस्कृति में “थंका पेंटिंग्स”, “चम डांस”, और “प्रेयर फ्लैग्स” जीवन का हिस्सा हैं. पत्रकारिक नज़रिए से देखें तो यह सांस्कृतिक विरासत आज भी ग्लोबल दर्शकों को आकर्षित करती है और “सस्टेनेबल टूरिज्म” का एक मॉडल बन सकती है.

रंग-बिरंगी झीलें – प्रकृति का अद्भुत चमत्कार
लद्दाख की यात्रा का जिक्र बिना झीलों के अधूरा है.

पैंगोंग लेक – 134 किलोमीटर लंबी यह झील भारत और चीन में फैली है. यहाँ पानी का रंग सूरज की रोशनी के साथ बदलता है—नीले से हरे और फिर कभी ग्रे. बॉलीवुड की फिल्मों ने इसे एक नया ग्लैमर भी दिया.

त्सो मोरीरी और त्सो कार – ये झीलें अपनी शांति और पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियों के कारण मशहूर हैं.

पत्रकारिक विश्लेषण यह दिखाता है कि इन झीलों पर बढ़ते टूरिज्म से पर्यावरणीय खतरे भी पैदा हो रहे हैं. पानी का प्रदूषण, प्लास्टिक कचरा और ग्लोबल वार्मिंग इनके प्राकृतिक स्वरूप को प्रभावित कर रहे हैं.

रोमांचक गतिविधियाँ – ट्रेकिंग से बाइक राइडिंग तक
लद्दाख एडवेंचर ट्रैवलर्स का “ड्रीम डेस्टिनेशन” है.

ट्रेकिंग – चदर ट्रेक (जमी हुई जांस्कर नदी पर चलना), मार्का वैली ट्रेक और स्टोक कांगड़ी चढ़ाई दुनिया भर के ट्रेकर्स के लिए चुनौती हैं.

बाइक राइडिंग – मनाली से लेह और श्रीनगर से लेह हाईवे पर बाइक चलाना युवाओं के लिए जीवन का सबसे बड़ा रोमांच माना जाता है. खारदुंगला और चांगला जैसे दर्रे इस सफ़र को और भी साहसिक बना देते हैं.

रिवर राफ्टिंग – जांस्कर नदी पर रिवर राफ्टिंग एडवेंचर का नया आकर्षण है.

पत्रकारिक रिपोर्टिंग बताती है कि रोमांचक गतिविधियों के साथ सुरक्षा और मेडिकल सुविधाएँ भी बड़ी चुनौती हैं. कई बार ऑक्सीजन की कमी और दुर्घटनाओं के मामले सामने आते हैं, जिससे प्रशासन को बेहतर तैयारी करनी होती है.

स्थानीय जीवन और खानपान
लद्दाख केवल ऊँचे पहाड़ और झीलों तक सीमित नहीं, बल्कि यह लोगों का भी घर है. स्थानीय लोग कठोर जलवायु में भी अपने आतिथ्य के लिए मशहूर हैं.

भोजन – थुकपा (सूप), मोमो, स्क्यू और बटर टी यहाँ की खासियत हैं.

कृषि – यहाँ जौ, आलू और मटर की खेती होती है.

पत्रकारिक दृष्टि से यहाँ का खानपान भी “क्लाइमेट-स्मार्ट डाइट” का उदाहरण है—कम संसाधनों में अधिक पोषण.

रणनीतिक महत्व
लद्दाख की चर्चा केवल पर्यटन तक सीमित नहीं. यह भारत-चीन सीमा विवाद और सैन्य दृष्टि से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है. गलवान घाटी की घटना के बाद लद्दाख का महत्व राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में और बढ़ गया है.

पर्यटन पत्रकारिता का पहलू यहाँ इस तथ्य को भी उजागर करता है कि एक ओर लद्दाख रोमांच और शांति का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह भू-राजनीतिक तनाव का भी केंद्र है.

जलवायु संकट और पर्यावरणीय चुनौतियाँ
लद्दाख ग्लोबल वार्मिंग का बड़ा शिकार है. ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, पानी की कमी बढ़ रही है और पारंपरिक जीवनशैली प्रभावित हो रही है.स्थानीय समाज और शोधकर्ता “आइस स्तूपा” जैसी तकनीक से पानी बचाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन बढ़ते पर्यटक दबाव से प्लास्टिक प्रदूषण और संसाधनों पर दबाव बढ़ा है. पत्रकारिक पड़ताल यह दिखाती है कि लद्दाख के लिए अब “जिम्मेदार पर्यटन” जरूरी हो गया है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-