24 अगस्त रविवार से भाद्रपद शुक्ल पक्ष का प्रारंभ हो रहा है. हिंदू पंचांग में यह पक्ष विशेष धार्मिक महत्व रखता है क्योंकि इसी मास में कई प्रमुख पर्व और व्रत आते हैं. गणेश चतुर्थी से लेकर ऋषि पंचमी, हरतालिका तीज, अनंत चतुर्दशी जैसे व्रत-त्योहार इसी पक्ष में मनाए जाते हैं. इसलिए इसे पूरे वर्ष का अत्यंत शुभ कालखंड माना जाता है.पौराणिक मान्यता है कि इस पक्ष का प्रारंभ होते ही वातावरण में आध्यात्मिकता और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है. भाद्रपद शुक्ल पक्ष को भगवान विष्णु, भगवान गणेश और माता गौरी की उपासना के लिए उत्तम समय बताया गया है.24 अगस्त से प्रारंभ हो रहा भाद्रपद शुक्ल पक्ष एक दिव्य अवसर है जो भक्तों को श्रद्धा, भक्ति और साधना का मार्ग दिखाता है. गणेश चतुर्थी, हरतालिका तीज, ऋषि पंचमी और अनंत चतुर्दशी जैसे पर्व न केवल धार्मिक आस्था को प्रबल बनाते हैं, बल्कि परिवार और समाज को एक सूत्र में बांधने का कार्य भी करते हैं.
पूजा-पाठ और व्रत का महत्व
इस पक्ष की शुरुआत में श्रद्धालु स्नान, ध्यान और संकल्प लेकर देवताओं की आराधना करते हैं.
घरों में विशेष रूप से गणपति पूजन और विष्णु भगवान की शरण में ध्यान करने की परंपरा है.
इस काल में श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का स्मरण भी भक्तगण करते हैं.
हरतालिका तीज के अवसर पर महिलाएं मां पार्वती और भगवान शिव की उपासना करती हैं.
ऋषि पंचमी पर सप्तऋषियों की पूजा कर पितरों और गुरुजनों के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है.
जप, अनुष्ठान और पूजा विधि
प्रातःकाल स्नान कर पीले अथवा सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए.
भगवान विष्णु और गणेश जी का पूजन करके प्रसाद अर्पित करें.
‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ और ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जप करना शुभ फल देता है.
व्रती दिनभर व्रत रहकर संध्या के समय दीपक जलाते हैं और आरती करते हैं.
फल, दूध और तुलसी दल का भगवान को भोग लगाना विशेष पुण्यकारी है.
इस पक्ष में आने वाले प्रमुख पर्व
1. गणेश चतुर्थी (27 अगस्त)
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत मनाया जाता है. इसे गणपति महोत्सव भी कहा जाता है. भक्तजन घरों और पंडालों में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर दस दिनों तक पूजा-अर्चना करते हैं.
विशेष मंत्र: “वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ”
प्रसाद: मोदक, दूर्वा और लाल पुष्प.
मान्यता है कि इस दिन गणपति की पूजा करने से विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है.
2. हरतालिका तीज (29 अगस्त)
भाद्रपद शुक्ल तृतीया को सुहागिन महिलाएं और कन्याएं हरतालिका तीज का व्रत करती हैं. यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव के मिलन की कथा से जुड़ा हुआ है.
महिलाएं निर्जल उपवास रखती हैं और पूरी रात जागरण कर पूजा करती हैं.
माता पार्वती से अखंड सौभाग्य और पति के दीर्घायु की प्रार्थना की जाती है.
इस दिन घर-घर में गीत, नृत्य और सामूहिक पूजा का आयोजन होता है.
3. ऋषि पंचमी (30 अगस्त)
भाद्रपद शुक्ल पंचमी को ऋषि पंचमी का व्रत होता है. यह दिन सप्तऋषियों—कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, वशिष्ठ, जमदग्नि और गौतम—को समर्पित है.
इस दिन विशेष रूप से पवित्र स्नान कर सप्तऋषियों की पूजा की जाती है.
मान्यता है कि इस व्रत से पाप नष्ट होते हैं और मनुष्य सात जन्मों तक के दोषों से मुक्त हो जाता है.
4. अनंत चतुर्दशी (6 सितंबर)
भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का पर्व आता है. यह दिन भगवान विष्णु को ‘अनंत’ स्वरूप में पूजने का विशेष अवसर है.
भक्तजन इस दिन अनंत धागा (14 गांठों वाला) बांधते हैं.
संकल्प किया जाता है कि 14 वर्षों तक इस व्रत का पालन किया जाएगा.
महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में इसी दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है, जिससे धार्मिक और सांस्कृतिक उल्लास अपने चरम पर पहुंचता है.
भाद्रपद शुक्ल पक्ष केवल पर्वों और व्रतों का काल नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और साधना का अवसर है. मान्यता है कि इस पक्ष में किया गया जप, दान और व्रत सौगुना फल देता है. यह समय परिवार, समाज और संस्कृति को जोड़ने वाला भी माना जाता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

