भारतीय क्रिकेट के भरोसेमंद बल्लेबाज़ों में गिने जाने वाले चेतश्वर पुजारा ने 25 अगस्त 2025 को अंतरराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी. 37 वर्षीय पुजारा का यह निर्णय भारतीय क्रिकेट के एक युग के अंत की तरह देखा जा रहा है. उनकी तकनीक, धैर्य और लम्बी पारी खेलने की क्षमता ने उन्हें टीम इंडिया का ‘मॉडर्न-डे टेस्ट वॉरियर’ बनाया. सोशल मीडिया पर उनके चाहने वालों और क्रिकेट पंडितों ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पुजारा की कमी आने वाले समय में भारतीय टेस्ट टीम को खलेगी.चेतश्वर पुजारा का संन्यास सिर्फ एक खिलाड़ी का करियर अंत नहीं, बल्कि भारतीय टेस्ट क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण युग का अंत है. उन्होंने साबित किया कि क्रिकेट सिर्फ आक्रामकता का खेल नहीं, बल्कि धैर्य, संयम और मानसिक दृढ़ता का भी खेल है.उनके बिना भारतीय टेस्ट टीम जरूर नई चुनौतियों का सामना करेगी. लेकिन पुजारा का नाम हमेशा भारतीय क्रिकेट इतिहास में ‘टेस्ट क्रिकेट के अंडररेटेड वॉरियर’ के रूप में दर्ज रहेगा.
पुजारा का करियर सफर
पुजारा ने 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था. इसके बाद वे 103 टेस्ट मैच खेल चुके हैं, जिसमें उन्होंने 7,500 से अधिक रन बनाए. उनका औसत करीब 44 रहा और उन्होंने 19 शतक और 34 अर्धशतक लगाए.
उनकी सबसे यादगार पारियों में से एक 2018-19 की ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज़ रही, जहां उन्होंने 521 रन बनाए और भारत को ऑस्ट्रेलियाई धरती पर पहली ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज़ जीत दिलाई. इस सीरीज़ के बाद उन्हें ‘वॉल ऑफ इंडिया’ का दूसरा नाम भी दिया गया, क्योंकि वे राहुल द्रविड़ की शैली में लंबे समय तक टिककर टीम को स्थिरता देते रहे.
पुजारा की बल्लेबाजी शैली
उनकी बल्लेबाज़ी तेज़ क्रिकेट के दौर में अलग किस्म की रही. जब बाकी बल्लेबाज़ आक्रामक शॉट्स पर भरोसा करते थे, पुजारा ने धैर्य, तकनीक और गेंदबाज़ों को थकाने की कला से रन बनाए.
वे डिफेंसिव टेक्निक में माहिर थे.
कठिन परिस्थितियों में टीम को स्थिरता देना उनकी सबसे बड़ी ताकत रही.
विदेशी पिचों पर उनका योगदान टीम इंडिया के लिए अमूल्य रहा.
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ
पुजारा के संन्यास के ऐलान के तुरंत बाद ट्विटर (X), इंस्टाग्राम और फेसबुक पर उनके नाम से कई ट्रेंड्स शुरू हो गए.
फैंस ने उन्हें #ThankYouPujara और #ModernDayWall कहकर भावनात्मक विदाई दी.
कई लोगों ने लिखा कि क्रिकेट का वह खिलाड़ी विदा हो रहा है, जिसने टीम के लिए खुद को कुर्बान किया लेकिन कभी ‘स्टार कल्चर’ का हिस्सा नहीं बने.
पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने लिखा — “पुजारा ने भारत को कई बार संकट से निकाला, वे हमारे समय के सच्चे टेस्ट योद्धा रहे.”
वहीं सचिन तेंदुलकर ने उन्हें ‘धैर्य और जज्बे की मिसाल’ बताया.
क्रिकेट पंडितों का विश्लेषण
क्रिकेट विश्लेषकों का कहना है कि पुजारा भारतीय टेस्ट क्रिकेट में एक ऐसी कड़ी रहे, जिसने सीमित ओवरों के ग्लैमर के बीच टेस्ट फॉर्मैट को जीवित रखा.
आकाश चोपड़ा ने कहा कि पुजारा की कमी को भरना आसान नहीं होगा, क्योंकि भारत के पास अब वैसा धैर्यवान बल्लेबाज़ कम है.
संजय मांजरेकर ने कहा कि पुजारा को हमेशा उनके आंकड़ों से नहीं, बल्कि टीम के लिए उनकी अमूल्य भूमिका से याद किया जाएगा.
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने भी उन्हें ‘अंडररेटेड टेस्ट बैट्समैन’ कहा और भारतीय क्रिकेट में उनकी जगह को ऐतिहासिक बताया.
विवाद और चुनौतियाँ
हालांकि पुजारा के करियर में आलोचना भी कम नहीं रही.
कई बार उन पर ‘धीमी बल्लेबाज़ी’ का आरोप लगा.
2021-22 में खराब फॉर्म के चलते उन्हें टीम से बाहर भी किया गया.
आईपीएल और सीमित ओवरों में वे कभी भी अपनी छाप नहीं छोड़ पाए, जिससे उन्हें ‘सिर्फ टेस्ट बल्लेबाज़’ करार दिया गया.
इसके बावजूद पुजारा ने हर बार वापसी की और अपनी जगह टेस्ट टीम में दोबारा साबित की.
टीम इंडिया पर असर
पुजारा के संन्यास के बाद भारतीय टेस्ट टीम में एक बड़ा खालीपन आ गया है.
नंबर 3 पर उनकी जगह लेना किसी भी युवा बल्लेबाज़ के लिए आसान नहीं होगा.
शुभमन गिल और यशस्वी जायसवाल जैसे बल्लेबाज़ों पर अब यह जिम्मेदारी आ सकती है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारतीय टीम को अब टेस्ट क्रिकेट में आक्रामक बल्लेबाज़ी और धैर्य के बीच संतुलन साधना होगा.
घरेलू क्रिकेट और काउंटी अनुभव
पुजारा ने रणजी ट्रॉफी में सौराष्ट्र की ओर से खेलते हुए कई रिकॉर्ड बनाए.
रणजी में उनके नाम 18,000 से अधिक रन दर्ज हैं.
इंग्लैंड के काउंटी क्रिकेट में भी उन्होंने लगातार प्रदर्शन किया और वहां का अनुभव भारतीय टीम के लिए फायदेमंद रहा.
पुजारा और द्रविड़ की तुलना
अक्सर पुजारा की तुलना राहुल द्रविड़ से की गई.
दोनों ही खिलाड़ी लंबे समय तक टिककर बल्लेबाज़ी करने वाले थे.
दोनों ही ‘टीम प्लेयर’ रहे, जिन्होंने व्यक्तिगत चमक की बजाय टीम को प्राथमिकता दी.
हालांकि द्रविड़ ने सीमित ओवरों में भी योगदान दिया, जबकि पुजारा का करियर लगभग पूरी तरह टेस्ट पर केंद्रित रहा.
बीसीसीआई ने पुजारा के लिए विशेष विदाई संदेश जारी किया.
अध्यक्ष ने कहा कि पुजारा भारतीय टेस्ट क्रिकेट के स्तंभ रहे हैं.
उम्मीद जताई जा रही है कि पुजारा भविष्य में कोचिंग या कमेंट्री की भूमिका में भारतीय क्रिकेट से जुड़े रहेंगे.
सौराष्ट्र क्रिकेट संघ ने भी उन्हें ‘प्रदेश का गौरव’ बताते हुए सम्मानित करने का ऐलान किया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

