जैन धर्म: प्रतिदिन पच्चक्खाण- 25 अगस्त 2025, सोमवार!

जैन धर्म: प्रतिदिन पच्चक्खाण- 25 अगस्त 2025, सोमवार!

प्रेषित समय :20:16:40 PM / Sun, Aug 24th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

वागड़. पच्चक्खाण का भावार्थ शपथ है, संयम है, जैन धर्म में पच्चक्खाण ऐसा अनुष्ठान है, जिसमें भोजन में कठोर अनुशासन का पालन किया जाता है.
दक्षिण राजस्थान में पच्चक्खाण : 25 अगस्त 2025, सोमवार
* दिन का प्रथम प्रहर- 06:12 से 09:23
नवकारशी- 07:03
* दिन का द्वितीय प्रहर- 09:23 से 12:34
पोरिसि- 09:23
साद्ध पोरिसि- 10:58
* दिन का तृतीय प्रहर- 12:34 से 15:45
पुरिमद्ध- 12:34
* दिन का चतुर्थ प्रहर- 15:45 से 18:57
अवद्ध- 15:45
चोविहार- 18:06
* रात्रि का प्रथम प्रहर- 18:57 से 21:45
सायं प्रतिक्रमण- 18:57
* रात्रि का द्वितीय प्रहर- 21:45 से 00:34
संथारा पोरिसि- 21:45
* रात्रि का तृतीय प्रहर- 00:34 से 03:23
निशिता- 00:34
* रात्रि का चतुर्थ प्रहर- 03:23 से 06:12
प्रातः प्रतिक्रमण- 03:23
दैनिक चौघड़िया- 25 अगस्त 2025, सोमवार

दिन का चौघड़िया

अमृत - 06:12 से 07:47
काल - 07:47 से 09:23
शुभ - 09:23 से 10:58
रोग - 10:58 से 12:34
उद्वेग - 12:34 से 14:10
चर - 14:10 से 15:45
लाभ - 15:45 से 17:21
अमृत - 17:21 से 18:57
रात्रि का चौघड़िया
चर - 18:57 से 20:21
रोग - 20:21 से 21:45
काल - 21:45 से 23:10
लाभ - 23:10 से 00:34
उद्वेग - 00:34 से 01:59
शुभ - 01:59 से 03:23
अमृत - 03:23 से 04:48
चर - 04:48 से 06:12 

* नवकारशी- जैन धर्म में महत्वपूर्ण संयम-प्रतिज्ञा है, जो सूर्योदय के 48 मिनट बाद की जाती है, इसमें नवकार मंत्र का जाप करके, पानी और भोजन ग्रहण करने की आज्ञा ली जाती है.
* पोरिसि  - सूर्योदय के एक प्रहर बाद तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* साद्ध पोरिसि- सूर्योदय के बाद डेढ़ प्रहर तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* पुरिमद्ध- सूर्योदय के बाद दो प्रहर तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* अवद्ध- सूर्योदय के बाद तीन प्रहर तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* प्रहर- कुल दिन का समय : सूर्योदय से सूर्यास्त लें, इसे चार से भाग दें, तो एक प्रहर का समय प्राप्त होगा.
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.

* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, विभिन्न पंचांगों, धर्मग्रथों से साभार ली गई है, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं, क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!
- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-