नई दिल्ली.भारत ने स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण छलांग लगाई है. देश ने तय समय से पाँच साल पहले ही अपनी कुल बिजली क्षमता का 50% हिस्सा गैर-फॉसिल स्रोतों (सोलर, विंड और अन्य नवीकरणीय) से हासिल कर लिया है. अब नई रिपोर्ट यह संकेत दे रही है कि यदि भारत ऊर्जा भंडारण (energy storage) पर तेजी से निवेश करता है, तो न सिर्फ़ 2030 के ऊर्जा लक्ष्य आसानी से पूरे होंगे, बल्कि उपभोक्ताओं के बिजली बिल भी हल्के होंगे.
कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले के इंडिया एनर्जी एंड क्लाइमेट सेंटर और पावर फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारत को 500 गीगावॉट क्लीन एनर्जी और 61 गीगावॉट स्टोरेज की आवश्यकता होगी. 2032 तक यह संख्या बढ़कर 600 गीगावॉट क्लीन एनर्जी और 97 गीगावॉट स्टोरेज तक पहुँच जाएगी. वर्तमान में भारत में केवल 6 गीगावॉट स्टोरेज मौजूद है, और वह भी मुख्य रूप से पंप्ड हाइड्रो के रूप में है.
रिपोर्ट के लीड ऑथर डॉ. निकित अभ्यंकर का कहना है, “हम 500 गीगावॉट के लक्ष्य के आधे रास्ते तक पहुँच चुके हैं. अब सबसे बड़ा कदम स्टोरेज क्षमता को तेजी से बढ़ाना है, ताकि साफ़ ऊर्जा 24x7 उपलब्ध हो सके. इसके लिए 2032 तक 3–4 लाख करोड़ रुपये का निवेश चाहिए होगा, लेकिन सालाना 60 हज़ार करोड़ रुपये की बचत सुनिश्चित होगी.”
बैटरियों के दाम 2021 से अब तक 65% घट चुके हैं, जिससे सोलर + स्टोरेज प्रोजेक्ट अधिक किफ़ायती हो गए हैं. अब ये प्रोजेक्ट 3–3.5 रुपये प्रति यूनिट में पीक टाइम पर बिजली दे सकते हैं. निर्माण समय केवल डेढ़–दो साल है, जबकि नई कोयला आधारित बिजली परियोजनाओं में कई गुना अधिक समय और निवेश लगता है.
पावर मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव और पावर फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के डायरेक्टर जनरल श्रीकांत नागुलापल्ली ने कहा, “ऊर्जा भंडारण भारत की स्वच्छ ऊर्जा दृष्टि का दिल है. यह लचीले और मज़बूत ग्रिड की रीढ़ बनेगा, पीक लोड संभालेगा, नवीकरणीय स्रोतों की पूरी क्षमता निकालेगा और ग्रिड को स्थिर रखेगा.”
रिपोर्ट चेतावनी देती है कि अगर भारत स्टोरेज क्षमता समय पर नहीं बढ़ा पाया, तो कई महँगे थर्मल पावर प्लांट फँसे हुए (stranded assets) साबित हो सकते हैं. 2032 तक लगभग 25–30% मौजूदा कोयला संयंत्र केवल 30% से कम क्षमता पर काम करेंगे.
भारत बैटरी मैन्युफैक्चरिंग और स्टोरेज तकनीक में तेजी से निवेश कर रहा है. 2030 तक 200 GWh से अधिक क्षमता बनने की संभावना है. सरकारी पहल जैसे PLI योजना, VGF, बैटरी रीसाइक्लिंग और जरूरी मिनरल्स की सप्लाई चेन मददगार साबित हो रही हैं.
डॉ. अभ्यंकर ने कहा, “भारत ने साबित कर दिया है कि नवीकरणीय ऊर्जा को स्केल किया जा सकता है. अब चुनौती है ग्रिड की लचक और भरोसेमंदी. इसका हल सिर्फ़ एक है: ऊर्जा भंडारण. यही हमें सस्ती, भरोसेमंद और आत्मनिर्भर ऊर्जा भविष्य की ओर ले जाएगा.”
सोलर + स्टोरेज कॉम्बो से न सिर्फ़ बिजली सस्ती होगी, बल्कि सालाना उपभोक्ताओं को करीब 60 हज़ार करोड़ रुपये की बचत होगी. यदि निवेश समय पर और योजनाबद्ध रूप से किया गया, तो 2030 और 2032 के लक्ष्य समय से पहले पूरे होंगे, थर्मल पावर प्लांट्स के स्ट्रैंडेड असेट्स का खतरा कम होगा और ग्रिड और ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

