देश को एक-सूत्र में बांधने के लिए गणेशोत्सव, इसलिए श्रीगणेश विसर्जन!

देश को एक-सूत्र में बांधने के लिए गणेशोत्सव, इसलिए श्रीगणेश विसर्जन!

प्रेषित समय :16:08:26 PM / Thu, Aug 28th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी
श्रीगणेश विसर्जन को लेकर अनेक धर्म-धारणाएं हैं.
छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने शासन काल में सार्वजनिक श्रीगणेश पूजन की शुरुआत की थी, तो देश के महान नेता लोकमान्य तिलक ने देश को एक-सूत्र में बांधने के अवसर स्वरूप गणेशोत्सव प्रारंभ किया था.
धर्मधारणा के अनुसार महर्षि वेदव्यास, महाभारत की कथा सुनाने के बाद उपजे भगवान श्रीगणेश के तापमान को शांत करने के लिए उन्हें पास के सरोवर तक ले गए थे.
क्योंकि, वेदव्यास ने गणेश चतुर्थी के दिन से भगवान गणेश को महाभारत की कथा सुनानी प्रारंभ की थी और निरंतर दस दिन तक बगैर विश्राम श्रीगणेश कथा लिखते रहे, जिसके कारण श्रीगणेश के तन का तापमान अत्यधिक बढ़ गया.
श्रीगणेश के तन का तापमान कम करने के लिए वेदव्यास उन्हें सरोवर तक ले गए और शीतलस्नान कराया, उस दिन अनंत चर्तुदशी थी, इसलिए तभी से श्रीगणेश प्रतिमा का विसर्जन करने की धार्मिक परंपरा प्रारंभ हो गई.
श्रद्धालु गणपति बप्पा को श्रीगणेश चतुर्थी पर स्वागत-सत्कार के साथ लेकर आते हैं, दस दिन तक उनकी सेवा-पूजा करते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जित करते हैं!
॥ श्री गणेशजी की आरती ॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त,चार भुजाधारी.
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी॥
पान चढ़े फूल चढ़े,और चढ़े मेवा.
लड्डुअन का भोग लगे,सन्त करें सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
अँधे को आँख देत,कोढ़िन को काया.
बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥
'सूर' श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा.
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥ 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-