गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे देश में भक्ति, उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता कहा गया है, अतः उनके आगमन और पूजन से जीवन के सभी दुख और बाधाएं दूर होती हैं. 29 अगस्त 2025 को गणेश उत्सव का तीसरा दिन है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. परंपरा है कि भक्त गणेश जी की प्रतिमा को तीसरे, पांचवें, सातवें या ग्यारहवें दिन विसर्जित करते हैं. इस तीसरे दिन के विसर्जन का विशेष महत्व शास्त्रों और ज्योतिष दोनों दृष्टियों से है. विषम संख्या वाले दिन को देव पूजन में श्रेष्ठ माना गया है और इस दिन गणपति पूजन एवं विसर्जन से जीवन में समृद्धि, सुख और उन्नति का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
इस दिन भक्त सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और गणपति के समक्ष बैठकर श्रद्धा पूर्वक पूजन करते हैं. माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के उत्सव में तीसरा दिन भक्ति और ध्यान का प्रतीक है. इस समय भक्त न केवल मूर्ति की पूजा करते हैं बल्कि घर और समाज में सामूहिक भक्ति का माहौल भी बनता है. ढोल-नगाड़ों और भक्ति गीतों के बीच गली-गली में गणेशोत्सव का रंग छाया रहता है. खासकर जबलपुर जैसे शहरों में पंडालों की भव्य सजावट और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से माहौल और अधिक पवित्र और उत्साहपूर्ण हो जाता है.
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गणपति बप्पा की कृपा से परिवार में धन-धान्य की वृद्धि होती है और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. भक्त विशेष रूप से मोदक, लड्डू और दूर्वा अर्पित करते हैं. गणपति जी को मोदक अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए इस दिन मोदक बनाने और भोग लगाने की परंपरा विशेष महत्व रखती है. वहीं दूर्वा घास गणपति जी की पूजा का अनिवार्य अंग है. इसे अर्पित करने से विघ्नहर्ता प्रसन्न होते हैं और जीवन से संकट दूर होते हैं.
पूजन की संक्षिप्त विधि इस प्रकार मानी गई है. सबसे पहले घर या पंडाल में गणपति जी की प्रतिमा या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें. गंगाजल से छींटा मारकर स्थान को पवित्र करें. उसके बाद दीप प्रज्वलित करें और गणेश जी का आवाहन करें. उन्हें अक्षत, पुष्प, रोली, सिंदूर, दूर्वा और मोदक अर्पित करें. फिर गणपति मंत्रों का जाप करें, जैसे – “ॐ गं गणपतये नमः.” इस मंत्र का 108 बार जप करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके बाद गणपति आरती करें और परिवार के सभी सदस्य प्रसाद ग्रहण करें. संध्या समय फिर से दीपक जलाकर आरती की जाती है और भक्तजन गणपति बप्पा से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं.
29 अगस्त का यह दिन धार्मिक दृष्टि से खास इसलिए भी है क्योंकि यह भक्ति और समर्पण का संदेश देता है. लोग अपने जीवन की चिंताओं को दूर करने के लिए गणेश जी की शरण में आते हैं और उनसे आत्मविश्वास तथा साहस प्राप्त करते हैं. गणपति उत्सव का यही मूल भाव है – मिलकर भक्ति करना, एक-दूसरे की सहायता करना और समाज में सद्भाव बनाए रखना.
गणेश उत्सव के इस तीसरे दिन भक्तों के मन में बप्पा के आगमन की खुशी तो है ही, साथ ही विसर्जन की आहट भी धीरे-धीरे सुनाई देने लगती है. इसलिए इस समय भक्त अपने गणपति के साथ हर पल को आनंद और श्रद्धा से जीते हैं. भक्तों का विश्वास है कि गणपति बप्पा घर-घर आकर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और जीवन में नई शुरुआत का आशीर्वाद देते हैं. यही कारण है कि तीसरे दिन की पूजा और भक्ति का महत्व और भी गहरा हो जाता है.
इस प्रकार 29 अगस्त 2025 का यह दिन श्रद्धा, उत्साह और धार्मिक आस्था से परिपूर्ण रहेगा. भक्तों के मन में गणपति बप्पा की छवि और उनके आशीर्वाद की छाप बनी रहेगी. यह अवसर हमें यह याद दिलाता है कि जीवन के हर संघर्ष में विघ्नहर्ता गणेश जी की कृपा से विजय संभव है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-


