जबलपुर. मौसम विभाग ने जबलपुर संभाग सहित मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है. अगले 24 घंटों में जबलपुर, इंदौर और नर्मदापुरम संभाग के 13 जिलों में 2.5 से 4.5 इंच तक बारिश दर्ज होने की संभावना जताई गई है. यह अलर्ट ऐसे समय में आया है जब राज्य के कई हिस्सों में मानसून की सक्रियता बढ़ी है और पहले से ही नदियों-नालों में जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है. मौसम विभाग का यह पूर्वानुमान आम नागरिकों और प्रशासन दोनों के लिए सतर्कता का संकेत है, क्योंकि भारी वर्षा से शहरों में जलभराव और ग्रामीण इलाकों में फसल नुकसान का खतरा भी बढ़ जाता है.
जबलपुर शहर में पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है, जिससे तापमान में गिरावट आई है और उमस से राहत मिली है. लेकिन तेज बारिश ने शहर की व्यवस्था पर दबाव भी बढ़ा दिया है. कई कॉलोनियों और निचले इलाकों में पानी भरने से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी. नाले उफान पर हैं और कई जगहों पर सीवरेज लाइनें ओवरफ्लो होने से गंदगी सड़कों पर फैल गई है. नगर निगम की ओर से पंपिंग सेट और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है ताकि आपात स्थिति से निपटा जा सके.
मौसम विभाग का कहना है कि अरब सागर से नमी वाली हवाओं का दबाव बना हुआ है और बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव का क्षेत्र भी मध्यप्रदेश की ओर बढ़ रहा है. इन दोनों मौसमीय तंत्रों के कारण अगले 24 से 48 घंटे राज्य के कई जिलों के लिए संवेदनशील रहेंगे. जबलपुर, नरसिंहपुर, कटनी, डिंडोरी और मंडला जिलों में भारी बारिश की संभावना है. वहीं, इंदौर और नर्मदापुरम संभाग के कुछ हिस्सों में बाढ़ जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है. प्रशासन ने सभी जिला कलेक्टरों और आपदा प्रबंधन दलों को अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए हैं.
जबलपुर रेलवे स्टेशन पर भी बारिश का असर दिखा. प्लेटफार्म पर पानी भरने से यात्रियों को खासी परेशानी हुई. कई ट्रेनों के समय पर संचालन में दिक्कतें आईं और लोकल बस सेवाओं में भी बाधा उत्पन्न हुई. वहीं, ग्रामीण इलाकों से खबर आ रही है कि खेतों में खड़ी धान और सोयाबीन की फसलें पानी में डूबने लगी हैं. किसान चिंतित हैं कि यदि लगातार बारिश जारी रही तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. कृषि विशेषज्ञों ने किसानों से अपील की है कि वे खेतों में अतिरिक्त पानी की निकासी की व्यवस्था करें ताकि फसलें ज्यादा देर तक पानी में डूबी न रहें.
नदी-नालों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. जबलपुर की प्रमुख नदियाँ नर्मदा, हिरन और गौर पहले से ही खतरे के निशान के करीब बह रही हैं. बरगी डैम प्रबंधन ने अतिरिक्त पानी छोड़ने की संभावना जताई है. यदि ऐसा हुआ तो आसपास के गांवों में बाढ़ का खतरा और बढ़ सकता है. प्रशासन ने बरगी और नर्मदा किनारे बसे गांवों को सतर्क रहने की चेतावनी दी है. पिछले साल भी इसी तरह की स्थिति में कई गांवों को खाली कराना पड़ा था. इसलिए इस बार जिला प्रशासन पहले से ही तैयारियों का दावा कर रहा है.
स्वास्थ्य विभाग ने भी नागरिकों को सावधान रहने की सलाह दी है. बारिश और जलभराव से डेंगू, मलेरिया और जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. अस्पतालों को अतिरिक्त दवाइयों और संसाधनों की उपलब्धता के निर्देश दिए गए हैं. वहीं, नगर निगम की टीमें भीड़भाड़ वाले इलाकों में कीटनाशक दवा का छिड़काव कर रही हैं. बारिश के मौसम में दूषित पानी पीने से बचने और उबला हुआ पानी उपयोग करने की अपील की गई है.
शहर के सामाजिक संगठनों ने भी प्रशासन की मदद करने का बीड़ा उठाया है. कुछ युवा समूह और एनजीओ बारिश से प्रभावित परिवारों तक खाद्य सामग्री और जरूरत का सामान पहुँचाने की तैयारी कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी लोग लगातार अलर्ट और मदद की अपील साझा कर रहे हैं. कई इलाकों के वीडियो वायरल हुए हैं जिनमें सड़कें नदी जैसी नजर आ रही हैं और लोग नाव जैसी छोटी नौकाओं का सहारा लेकर एक जगह से दूसरी जगह जाते दिख रहे हैं.
जबलपुर की सड़कों पर यातायात व्यवस्था पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गई है. घंटाघर, गोराबाजार, रांझी और मदनमहल जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में पानी भरने से जाम की स्थिति पैदा हो गई. दोपहिया वाहन चालक सबसे ज्यादा परेशान हुए क्योंकि गड्ढों और पानी से भरी सड़कों पर संतुलन बनाना मुश्किल हो गया. ट्रैफिक पुलिस ने कई इलाकों में डायवर्जन लगाए हैं और नागरिकों से अपील की है कि वे बेहद जरूरी काम होने पर ही घर से बाहर निकलें.
मौसम विभाग के अनुसार 30 और 31 अगस्त को भी बारिश का दौर जारी रह सकता है. हालांकि, 1 सितंबर से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. फिलहाल जबलपुर सहित पूरे संभाग के लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है. भारी बारिश के बीच अनावश्यक यात्रा से बचें, बिजली के खंभों और पेड़ों के नीचे खड़े होने से परहेज करें और प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें.
इस तरह, जबलपुर संभाग में भारी बारिश का अलर्ट केवल मौसम की जानकारी नहीं है, बल्कि यह एक चेतावनी है कि आने वाले समय में प्राकृतिक परिस्थितियाँ और अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं. नागरिकों, किसानों और प्रशासन—सभी को मिलकर इस कठिन समय का सामना करना होगा. बारिश भले ही जीवनदायिनी है, लेकिन जब यह संतुलन खो देती है तो आपदा का रूप ले लेती है. इसलिए सतर्कता ही इस समय की सबसे बड़ी ज़रूरत है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

