जबलपुर. मध्य प्रदेश के जबलपुर में हैदराबाद से जबलपुर लाए गए 57 घोड़ों में मौत का सिलसिला जारी है. बीते दो सप्ताह में 6 और घोड़ों की मौत हुई है, जबकि पहले ही 57 में से 13 घोड़ों की जान जा चुकी थी. अब तक कुल 19 घोड़ों की मौत हो गई है. हैरानी की बात यह है कि यह सब उस समय हुआ जब पशुपालन विभाग के डॉक्टर और अधिकारी 24 घंटे निगरानी में तैनात थे.
नोडल अधिकारी डॉ. ज्योति तिवारी के अनुसार घोड़ों की देखरेख के लिए लगातार डॉक्टरों की टीम तैनात है.
उन्होंने जानकारी दी कि जिन घोड़ों की मौत हुई है, उनमें से दो की मौत सेप्टीसीमिया, दो की पैरालिसिस, एक की कोलिक (पेट दर्द) और एक की रेस्पिरेटरी फेल्योर (सांस लेने में तकलीफ) के कारण हुई है. बाकी घोड़ों का इलाज भी जारी है. नोडल अधिकारी ने स्पष्ट किया कि अब तक किसी भी घोड़ों में ग्लैंडर्स बीमारी की पुष्टि नहीं हुई है. जो घोड़ा नंबर 644 संदिग्ध था, वह अब पूरी तरह स्वस्थ है. उन्होंने यह भी बताया कि घोड़ों के मालिक ने कुछ घोड़ों को वापस हैदराबाद ले जाने की अनुमति मांगी है.
सड़क के रास्ते लाए गए थे 57 घोड़े
हैदराबाद से थोरो, काठियावाड़ी और मारवाड़ी प्रजाति के 57 घोड़े सड़क के रास्ते 5 मई को जबलपुर लाए गए थे. सभी को रैपुरा गांव में रखा गया. इनकी देखरेख के लिए स्टड फॉर्म मालिक सचिन तिवारी ने कुछ डॉक्टर और सेवक भी रखे. लेकिन 7 मई से 13 मई के बीच इनमें से 8 घोड़ों की मौत हो गई. उसके बाद एक-एक कर 5 और घोड़े मरे और एक और की मौत के साथ आंकड़ा 14 पहुंच गया. दो सप्ताह पहले तक बचे घोड़ों की संख्या 44 थी, लेकिन अब फिर 6 घोड़ों की जान चली गई और संख्या घटकर 38 रह गई है.

