नया फ्लाईओवर बना जबलपुर का सोशल मीडिया हॉटस्पॉट

नया फ्लाईओवर बना जबलपुर का सोशल मीडिया हॉटस्पॉट

प्रेषित समय :18:42:43 PM / Fri, Aug 29th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. शहर इन दिनों एक नई चर्चा का केंद्र बना हुआ है. कारण है हाल ही में उद्घाटित हुआ नया फ्लाईओवर, जो अपने निर्माण और यातायात सुविधा के बजाय सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और रील्स के लिए चर्चित हो गया है. यह फ्लाईओवर, जिसका उद्देश्य शहर के ट्रैफिक को सहज बनाना था, युवाओं के लिए अचानक एक नए तरह का आकर्षण केंद्र बन गया है. यहां शाम होते ही न सिर्फ स्थानीय लोग बल्कि आस-पास के कस्बों से आए युवा भी जुटते दिखाई देते हैं, जो इसे अपने कैमरे और मोबाइल फोन में कैद कर अलग-अलग अंदाज़ में प्रस्तुत कर रहे हैं. खासकर इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर यह फ्लाईओवर ‘हॉटस्पॉट’ बन चुका है.

जबलपुर शहर में लंबे समय से ट्रैफिक जाम एक बड़ी समस्या रहा है. शहर की पुरानी सड़कों पर बढ़ते वाहनों के दबाव को देखते हुए प्रशासन ने इस फ्लाईओवर का निर्माण कराया, ताकि लोगों को सुगम आवाजाही मिल सके. लेकिन फ्लाईओवर का उद्घाटन होते ही इसका एक नया सामाजिक-डिजिटल रूप सामने आया. जहां पहले लोग नए निर्माण कार्यों को महज यातायात की सुविधा के लिए देखते थे, वहीं अब नई पीढ़ी की नज़र सबसे पहले इस बात पर जाती है कि यह जगह सोशल मीडिया पर कितनी आकर्षक साबित हो सकती है. यही वजह है कि उद्घाटन के कुछ ही दिनों में फ्लाईओवर पर स्पाइडरमैन जैसे किरदारों में युवा वीडियो बनाते नजर आए. कोई बॉलीवुड फिल्मों के डायलॉग बोलता तो कोई रोमांटिक गानों पर एक्टिंग करता. इस तरह फ्लाईओवर केवल एक यातायात सुविधा नहीं रहा, बल्कि यह एक ‘डिजिटल मंच’ जैसा रूप ले चुका है.

फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट बताती है कि इस फ्लाईओवर पर कई तरह की थीम रील्स बनाई गईं. कुछ युवाओं ने सुपरहीरो की वेशभूषा पहनकर एक्शन सीन शूट किए, तो कुछ ने बॉलीवुड फिल्मों के प्रसिद्ध डांस स्टेप्स को दोहराया. यहां तक कि फ्लाईओवर पर कारों और बाइकों के साथ फिल्मी अंदाज़ में वीडियो बनाने का ट्रेंड भी देखने को मिला. खास बात यह है कि इन वीडियो को हजारों की संख्या में व्यूज़ मिले और स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि देशभर में सोशल मीडिया पर इन्हें देखा जाने लगा. नतीजा यह हुआ कि जबलपुर का यह नया फ्लाईओवर अचानक से राष्ट्रीय ट्रेंडिंग लिस्ट में शामिल हो गया.

हालांकि इस डिजिटल उत्साह के बीच कुछ गंभीर सवाल भी खड़े हो रहे हैं. यातायात व्यवस्था के लिए बनाए गए इस फ्लाईओवर पर अचानक इस तरह की भीड़ और वीडियो बनाने की गतिविधियां सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक हो सकती हैं. कई बार युवा बिना ट्रैफिक की परवाह किए सड़क पर खड़े होकर शूट करते नजर आते हैं, जिससे हादसों का खतरा बढ़ सकता है. ट्रैफिक पुलिस की नज़र में भी यह मामला आया है और उन्हें बार-बार समझाइश देनी पड़ रही है कि सड़क पर इस तरह की गतिविधियां दुर्घटना का कारण बन सकती हैं. लेकिन सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि पाने का आकर्षण इतना गहरा है कि युवा बार-बार नियमों को तोड़ते हुए नजर आते हैं.

यह भी एक दिलचस्प सामाजिक बदलाव है कि जहां पहले युवा फिल्म देखने के बाद उसकी चर्चा अपने दोस्तों के बीच करते थे, अब वे खुद को फिल्म का हिस्सा बनाने की कोशिश करते हैं. फ्लाईओवर जैसे सार्वजनिक स्थलों पर शूटिंग कर वे अपनी कल्पना को वास्तविकता का रूप दे रहे हैं. एक युवक ने मजाकिया अंदाज में कहा, “अब हमें मुंबई जाकर फिल्म स्टूडियो में एक्टिंग करने की ज़रूरत नहीं है, हमारा स्टूडियो यहीं फ्लाईओवर पर बन गया है.” यह कथन भले ही हंसी-मज़ाक में कहा गया हो, लेकिन यह डिजिटल दौर की मानसिकता को स्पष्ट करता है.

जबलपुर का यह फ्लाईओवर अब महज एक निर्माण कार्य नहीं, बल्कि युवाओं की आकांक्षाओं और मनोरंजन की नई परिभाषा बन गया है. रील्स की लोकप्रियता और दर्शकों की बढ़ती संख्या इस बात की गवाही देती है कि शहर की पहचान अब सिर्फ उसकी ऐतिहासिक धरोहरों या प्राकृतिक सुंदरता से नहीं होती, बल्कि डिजिटल दुनिया में ट्रेंड करने वाले नए प्रयोगों से भी जुड़ती है.

समाजशास्त्रियों का मानना है कि सोशल मीडिया ने पब्लिक स्पेस को नए तरीके से परिभाषित किया है. पहले जहां सार्वजनिक स्थल केवल लोगों के मिलने-जुलने, बाजार करने या यात्रा करने की जगह होते थे, अब वे डिजिटल कंटेंट प्रोडक्शन के हब बनते जा रहे हैं. जबलपुर का फ्लाईओवर इसी बदलाव का जीवंत उदाहरण है. यह दिखाता है कि नई पीढ़ी हर उस जगह को अपने ‘डिजिटल मंच’ के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है, जहां उनकी रचनात्मकता और प्रसिद्धि की संभावना हो.

लेकिन यह बदलाव कितनी दूर तक सुरक्षित है, यह सवाल भी उतना ही जरूरी है. प्रशासन के लिए चुनौती है कि वह फ्लाईओवर की वास्तविक भूमिका यानी यातायात को सुगम बनाने और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ध्यान रखे. अगर युवाओं की भीड़ यहां लगातार बढ़ती गई, तो यह जगह ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं का नया कारण भी बन सकती है. इसलिए पुलिस प्रशासन ने फिलहाल चेतावनी देने का रास्ता अपनाया है, लेकिन लंबे समय तक इसे कैसे नियंत्रित किया जाए, इस पर रणनीति बनानी होगी.

शहर के बुजुर्ग और आम नागरिकों का भी इस पर अलग नज़रिया है. उनका मानना है कि शहर की पहचान रील्स से नहीं बल्कि उसकी संस्कृति, शिक्षा और ऐतिहासिक धरोहरों से होनी चाहिए. उनका कहना है कि नए फ्लाईओवर का इस्तेमाल इस तरह करना समय की बर्बादी है और युवाओं को अपने करियर और पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए. हालांकि दूसरी ओर, युवा पीढ़ी का कहना है कि यह उनकी अभिव्यक्ति का नया माध्यम है और सोशल मीडिया उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर देता है.

इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ है कि जबलपुर का नया फ्लाईओवर केवल एक सड़क नहीं है, बल्कि शहर की सामाजिक और डिजिटल जीवनशैली में हो रहे बदलाव का प्रतीक बन चुका है. यह एक ऐसा आईना है जिसमें हम देखते हैं कि आज की पीढ़ी की प्राथमिकताएं किस दिशा में जा रही हैं. मनोरंजन और प्रसिद्धि की चाहत ने सार्वजनिक स्थलों को भी बदल दिया है. प्रशासन चाहे इसे समस्या माने या समाज इसे आलोचना की दृष्टि से देखे, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि इस फ्लाईओवर ने जबलपुर को सोशल मीडिया की दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-