फैमिली योगा सेशन से फिटनेस का नया सामाजिक ट्रेंड भारत में उभरा

फैमिली योगा सेशन से फिटनेस का नया सामाजिक ट्रेंड भारत में उभरा

प्रेषित समय :21:23:26 PM / Sat, Aug 30th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर एक नया सांस्कृतिक बदलाव देखने को मिला. इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब पर हजारों परिवारों ने अपने-अपने घरों या पार्कों से एक साथ योगाभ्यास करते हुए तस्वीरें और वीडियो साझा किए. इस डिजिटल हलचल ने यह साफ़ कर दिया कि फिटनेस अब केवल व्यक्तिगत स्तर पर सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे परिवार को जोड़ने वाली जीवनशैली बनती जा रही है. खास बात यह रही कि इन तस्वीरों और वीडियो में केवल युवा या मध्यम आयु वर्ग ही नहीं बल्कि छोटे बच्चे और बुज़ुर्ग भी समान उत्साह के साथ भाग लेते दिखाई दिए. योग का यह सामूहिक रूप एक नई सामाजिक संस्कृति का हिस्सा बन गया है, जिसे लोग "फैमिली योगा" कह रहे हैं.

बीते कुछ वर्षों से भारत और दुनिया में योग ने अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल की है. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसे आयोजनों ने इसे व्यापक रूप से लोकप्रिय बनाया. लेकिन अब इसकी परिभाषा बदल रही है. पहले योग व्यक्तिगत साधना और आत्मअनुशासन का प्रतीक माना जाता था, जबकि अब यह सामूहिक अभ्यास और पारिवारिक जुड़ाव का माध्यम बन रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरें इस बदलाव की गवाही दे रही हैं. एक तस्वीर में दादा-दादी अपने पोते-पोतियों के साथ सूर्य नमस्कार कर रहे हैं तो दूसरी वीडियो में माता-पिता और किशोर बच्चे एक साथ प्राणायाम करते दिख रहे हैं.

दिल्ली की रहने वाली अंजलि मेहता ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें पूरा परिवार सुबह की धूप में छत पर बैठकर योगासन कर रहा है. वीडियो के साथ उन्होंने लिखा कि "पहले हम सब मोबाइल में अलग-अलग व्यस्त रहते थे, अब योग ने हमें एक साथ समय बिताने का बहाना दिया है." इसी तरह मुंबई के एक फिटनेस प्रशिक्षक रोहित शर्मा ने फेसबुक पर लाइव सेशन किया, जिसमें उन्होंने परिवारों को आसान योगासन सिखाए. इस लाइव सेशन को दो लाख से अधिक लोगों ने देखा और हजारों परिवारों ने इसमें भाग लिया.

सोशल मीडिया पर फैमिली योगा के ट्रेंड की लोकप्रियता के पीछे कई वजहें हैं. सबसे बड़ी वजह यह है कि आधुनिक जीवनशैली ने परिवारों को एक-दूसरे से दूर कर दिया है. कामकाजी माता-पिता, पढ़ाई में व्यस्त बच्चे और अपने अकेलेपन से जूझते बुज़ुर्ग—इन सबके बीच साझा गतिविधियां कम होती जा रही थीं. ऐसे में योग ने एक सेतु का काम किया है. यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है बल्कि परिवार को मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी करीब ला रहा है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि योग का यह सामूहिक अभ्यास घरों में संवाद को बढ़ावा दे रहा है. वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. सीमा अरोड़ा बताती हैं कि परिवार जब एक साथ कोई शारीरिक गतिविधि करता है तो उसमें सहभागिता की भावना विकसित होती है. यह बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाता है और बुज़ुर्गों में अकेलेपन की समस्या को कम करता है. वहीं, माता-पिता को बच्चों के साथ समय बिताने का अवसर मिलता है.

फिटनेस उद्योग ने भी इस बदलते ट्रेंड को तुरंत पहचान लिया है. कई योग स्टूडियो अब "फैमिली पैकेज" के नाम से विशेष क्लासेस चला रहे हैं. ऑनलाइन फिटनेस प्लेटफॉर्म्स ने भी फैमिली योगा प्रोग्राम लॉन्च किए हैं, जिनमें माता-पिता और बच्चों के लिए संयुक्त सत्र शामिल हैं. यूट्यूब पर फैमिली योगा चैनल तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, जहां प्रशिक्षक पूरे परिवार को ध्यान में रखते हुए छोटे-छोटे सेशन तैयार कर रहे हैं.

दिलचस्प बात यह है कि इस ट्रेंड का असर केवल महानगरों तक सीमित नहीं है. छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग परिवार के साथ योग करते हुए अपनी तस्वीरें साझा कर रहे हैं. सोशल मीडिया की पहुंच ने इन छोटे शहरों को बड़े सांस्कृतिक आंदोलन का हिस्सा बना दिया है. पटना के रहने वाले राजेश कुमार ने फेसबुक पर लिखा कि "पहले योग को सिर्फ बड़े लोग करते थे, अब बच्चे ही सुबह हमें खींचकर योग करने ले जाते हैं. यह बदलाव हमारे घर के माहौल को हल्का और खुशहाल बना रहा है."

सांस्कृतिक दृष्टि से देखें तो यह ट्रेंड भारतीय परंपरा की ओर लौटने जैसा है. सदियों पहले योग गुरुकुलों और आश्रमों में सामूहिक रूप से सिखाया जाता था. लेकिन समय के साथ यह अभ्यास शहरी घरों में व्यक्तिगत स्तर पर सिमट गया. अब सोशल मीडिया और फिटनेस संस्कृति ने इसे फिर से सामूहिक और पारिवारिक बना दिया है.

हालांकि इस ट्रेंड की आलोचना भी हो रही है. कुछ लोग मानते हैं कि सोशल मीडिया पर दिखावा करने की होड़ के कारण योग का मूल स्वरूप, जो आत्मचिंतन और शांति से जुड़ा है, कहीं खो न जाए. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि चाहे प्रेरणा दिखावे से ही क्यों न मिले, यदि इसका नतीजा परिवार को जोड़ने और स्वास्थ्य सुधारने में हो रहा है तो यह सकारात्मक बदलाव है.

परिवारों के लिए योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि जीवनशैली बदलने का माध्यम बनता जा रहा है. यह आधुनिक दौर में समय की कमी और डिजिटल व्यस्तताओं के बीच एक सामूहिक विराम जैसा है, जो रिश्तों को ताज़गी देता है. सोशल मीडिया पर फैमिली योगा का क्रेज यह संकेत है कि अब फिटनेस केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं बल्कि साझा जिम्मेदारी और आनंद का रूप ले चुकी है.

यदि यह ट्रेंड लगातार आगे बढ़ता है, तो आने वाले समय में घरों में "फैमिली फिटनेस" एक स्थायी संस्कृति बन सकती है. सुबह का समय केवल मोबाइल स्क्रॉलिंग या टीवी देखने में नहीं बल्कि सामूहिक योगाभ्यास में बीतेगा. और शायद यही वह बदलाव है जिसकी आज के समाज को सबसे अधिक ज़रूरत है—जहां स्वास्थ्य और रिश्ते दोनों एक साथ मज़बूत हों.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-