भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर तेजी से बदलते समय और तकनीकी नवाचारों के दौर से गुजर रहा है. पिछले कुछ वर्षों में जहां ग्रीन बिल्डिंग्स, स्मार्ट सिटी, और सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन पर फोकस रहा है, वहीं अब निर्माण सामग्रियों में भी बड़े बदलाव सामने आ रहे हैं. इसी कड़ी में जिंदल स्टेनलेस और व्हाइटलैंड कॉर्पोरेशन की साझेदारी ने एक नया इतिहास रच दिया है. दोनों कंपनियों ने मिलकर दिल्ली-NCR क्षेत्र में स्टेनलेस स्टील रिबार (Rebar) को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में अपनाने का निर्णय लिया है, जो भारतीय निर्माण उद्योग के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है.
स्टेनलेस स्टील रिबार को निर्माण क्षेत्र में भविष्य की सामग्री माना जा रहा है. परंपरागत रूप से भवन निर्माण में कार्बन स्टील रिबार का उपयोग किया जाता रहा है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या जंग लगने और समय के साथ संरचना की कमजोर पड़ने की रही है. जिंदल स्टेनलेस ने इस चुनौती का समाधान पेश किया है. स्टेनलेस स्टील रिबार न केवल जंग-प्रतिरोधक है, बल्कि इसकी संरचनात्मक मजबूती और टिकाऊपन पारंपरिक रिबार से कहीं अधिक है.
दिल्ली-NCR के आवासीय और वाणिज्यिक बाजार में इसका उपयोग शुरू होना इस बात का संकेत है कि अब रियल एस्टेट कंपनियां केवल अल्पकालिक लागत पर ध्यान न देकर, दीर्घकालिक मजबूती और स्थिरता को प्राथमिकता दे रही हैं. व्हाइटलैंड कॉर्पोरेशन ने अपने आगामी प्रोजेक्ट्स में इस तकनीक को अपनाने का ऐलान किया है. कंपनी का कहना है कि यह कदम ग्राहकों को एक बेहतर और सुरक्षित आवासीय अनुभव देने की दिशा में उठाया गया है.
जिंदल स्टेनलेस के अधिकारियों का मानना है कि निर्माण सामग्री के क्षेत्र में भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली और दीर्घकालिक समाधान देने वाली सामग्री की जरूरत है. स्टेनलेस स्टील रिबार उसी दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है. इसमें न केवल भवनों की उम्र बढ़ाने की क्षमता है, बल्कि यह लंबे समय तक संरचनात्मक रखरखाव की लागत को भी काफी हद तक कम करता है.
रियल एस्टेट विशेषज्ञ मानते हैं कि भारतीय बाजार में यह बदलाव सही समय पर आ रहा है. पिछले एक दशक में देश ने कई ऐसी इमारतें देखी हैं, जो अपेक्षाकृत नई होने के बावजूद संरचनात्मक कमजोरी और रखरखाव की समस्याओं से जूझ रही थीं. दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े महानगरों में समुद्रतटीय नमी और प्रदूषण के कारण भवन जल्दी जर्जर हो जाते हैं. ऐसे में स्टेनलेस स्टील रिबार का प्रयोग भविष्य की सुरक्षा और टिकाऊपन की गारंटी बन सकता है.
इसके साथ ही यह पहल भारत के ग्रीन कंस्ट्रक्शन मिशन से भी जुड़ती है. टिकाऊ भवन निर्माण में ऐसी सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाना जरूरी है जो पर्यावरण के अनुकूल हों और लंबे समय तक बिना अधिक संसाधन खर्च किए टिक सकें. स्टेनलेस स्टील पूरी तरह से रीसाइक्लेबल है और इसमें इस्तेमाल के दौरान कार्बन उत्सर्जन भी कम होता है. इस लिहाज से यह तकनीक पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है.
उद्योग जगत के जानकारों का कहना है कि शुरूआती स्तर पर इसकी लागत पारंपरिक कार्बन स्टील रिबार की तुलना में कुछ अधिक हो सकती है. हालांकि, लंबी अवधि में रखरखाव की घटती लागत और संरचनाओं की बढ़ी हुई आयु इसे आर्थिक रूप से लाभकारी बना देती है. निर्माण कंपनियों को अब अपने ग्राहकों को केवल कीमत पर नहीं, बल्कि गुणवत्ता और टिकाऊपन पर भरोसा दिलाना होगा.
दिल्ली-NCR का रियल एस्टेट बाजार देश का सबसे बड़ा और तेज़ी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है. यहां हर साल हजारों करोड़ रुपए की परियोजनाएं शुरू होती हैं और लाखों वर्ग मीटर क्षेत्रफल का निर्माण होता है. ऐसे में जिंदल स्टेनलेस और व्हाइटलैंड कॉर्पोरेशन की यह साझेदारी आने वाले वर्षों में पूरे देश के निर्माण परिदृश्य को प्रभावित कर सकती है. यदि यह प्रयोग सफल रहा तो अन्य कंपनियां भी इस मॉडल को अपनाने में पीछे नहीं रहेंगी.
ग्राहकों की दृष्टि से भी यह परिवर्तन महत्वपूर्ण है. अब वे केवल सुंदर डिज़ाइन और लोकेशन पर ही ध्यान नहीं देंगे, बल्कि यह भी देखेंगे कि उनके घर की नींव और ढांचा कितनी मजबूत सामग्री से बना है. एक सुरक्षित और टिकाऊ आवास ही आज की असली मांग है.
विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले पांच से सात वर्षों में भारतीय रियल एस्टेट में स्टेनलेस स्टील रिबार का प्रयोग सामान्य हो जाएगा. जैसे-जैसे बाजार में जागरूकता बढ़ेगी, वैसे-वैसे इसकी मांग भी बढ़ेगी. भारत में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स का विस्तार हो रहा है. ऐसे में टिकाऊ और जंग-प्रतिरोधक निर्माण सामग्री की जरूरत और भी बढ़ जाती है.
इस साझेदारी को भारतीय रियल एस्टेट का भविष्य माना जा रहा है. जहां एक तरफ यह कदम ग्राहकों को सुरक्षित और मजबूत घर देने का वादा करता है, वहीं दूसरी ओर यह पूरे उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एक नई पहचान दिलाने की क्षमता भी रखता है. जिंदल स्टेनलेस और व्हाइटलैंड कॉर्पोरेशन ने एक ऐसी राह दिखाई है, जिस पर चलकर भारतीय रियल एस्टेट लंबे समय तक मजबूत और टिकाऊ नींव पर खड़ा रह सकता है.
यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि रियल एस्टेट केवल घर बनाने का कारोबार नहीं रह गया, बल्कि यह गुणवत्ता, टिकाऊपन और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक भी बनता जा रहा है. स्टेनलेस स्टील रिबार का प्रयोग इसी सोच की दिशा में एक मजबूत कदम है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

