बीजिंग/नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार 30 अगस्त को तिआनजिन (चीन) पहुंचे, जहां 31 अगस्त और 1 सितंबर को आयोजित होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में वे शामिल होंगे. इस दौरान उनकी मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी होगी.
बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं पर गहन चर्चा की संभावना है. यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और अमेरिका के बीच हालिया तनाव तथा जियोपॉलिटिकल हालात अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई चुनौतियां खड़ी कर रहे हैं.
एससीओ का यह वार्षिक सम्मेलन इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि सदस्य देशों के बीच आतंकवाद, व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे मुद्दों पर साझा रणनीति बनाई जाएगी. भारत के लिए यह अवसर है कि वह मध्य एशियाई देशों के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करे. पीएम मोदी की मौजूदगी भारत की सक्रिय भूमिका और एशियाई क्षेत्र में उसकी कूटनीतिक ताकत का संकेत देती है.
शी जिनपिंग से मुलाकात पर रहेगी नजर
प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खास रुचि है. पिछले कुछ महीनों में भारत-चीन संबंधों में हल्की नरमी देखने को मिली है. दोनों देशों के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है, लेकिन अब यह मुलाकात द्विपक्षीय रिश्तों में नई दिशा दिखा सकती है. माना जा रहा है कि बातचीत में व्यापारिक साझेदारी और सीमा पर तनाव कम करने के उपाय प्रमुख रहेंगे.
पुतिन के साथ रणनीतिक वार्ता
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से होने वाली बैठक भी महत्वपूर्ण है. भारत और रूस लंबे समय से रणनीतिक साझेदार रहे हैं. ऐसे समय में जब अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं, भारत और रूस के बीच ऊर्जा, रक्षा और तकनीकी सहयोग पर चर्चा होना स्वाभाविक है. यह बैठक दोनों देशों के बीच संबंधों को और गहराई देने का मौका मानी जा रही है.
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