वागड़. पच्चक्खाण का भावार्थ शपथ है, संयम है, जैन धर्म में पच्चक्खाण ऐसा अनुष्ठान है, जिसमें भोजन में कठोर अनुशासन का पालन किया जाता है.
दक्षिण राजस्थान में पच्चक्खाण : 1 सितम्बर 2025, सोमवार
* दिन का प्रथम प्रहर- 06:14 से 09:23
नवकारशी- 07:04
* दिन का द्वितीय प्रहर- 09:23 से 12:32
पोरिसि- 09:23
साद्ध पोरिसि- 10:58
* दिन का तृतीय प्रहर- 12:32 से 15:41
पुरिमद्ध- 12:32
* दिन का चतुर्थ प्रहर- 15:41 से 18:50
अवद्ध- 15:41
चोविहार- 18:00
* रात्रि का प्रथम प्रहर- 18:50 से 21:41
सायं प्रतिक्रमण- 18:50
* रात्रि का द्वितीय प्रहर- 21:41 से 00:32
संथारा पोरिसि- 21:41
* रात्रि का तृतीय प्रहर- 00:32 से 03:23
निशिता- 00:32
* रात्रि का चतुर्थ प्रहर- 03:23 से 06:14
प्रातः प्रतिक्रमण- 03:23
दैनिक चौघड़िया - 1 सितम्बर 2025, सोमवार
दिन का चौघड़िया
अमृत - 06:14 से 07:49
काल - 07:49 से 09:23
शुभ - 09:23 से 10:58
रोग - 10:58 से 12:32
उद्वेग - 12:32 से 14:06
चर - 14:06 से 15:41
लाभ - 15:41 से 17:15
अमृत - 17:15 से 18:50
रात्रि का चौघड़िया
चर - 18:50 से 20:15
रोग - 20:15 से 21:41
काल - 21:41 से 23:07
लाभ - 23:07 से 00:32
उद्वेग - 00:32 से 01:58
शुभ - 01:58 से 03:23
अमृत - 03:23 से 04:49
चर - 04:49 से 06:14
* नवकारशी- जैन धर्म में महत्वपूर्ण संयम-प्रतिज्ञा है, जो सूर्योदय के 48 मिनट बाद की जाती है, इसमें नवकार मंत्र का जाप करके, पानी और भोजन ग्रहण करने की आज्ञा ली जाती है.
* पोरिसि - सूर्योदय के एक प्रहर बाद तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* साद्ध पोरिसि- सूर्योदय के बाद डेढ़ प्रहर तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* पुरिमद्ध- सूर्योदय के बाद दो प्रहर तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* अवद्ध- सूर्योदय के बाद तीन प्रहर तक कुछ भी नहीं खाएं-पिएं, फिर तीन बार नवकार का पाठ करें और फिर जल-भोजन ग्रहण करें.
* प्रहर- कुल दिन का समय : सूर्योदय से सूर्यास्त लें, इसे चार से भाग दें, तो एक प्रहर का समय प्राप्त होगा.
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, विभिन्न पंचांगों, धर्मग्रथों से साभार ली गई है, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं, क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!
- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी

