मुनीष भाटिया
बरसात आई, संग लाई पानी,
भीगी गलियाँ, डूबी कहानी.
स्मार्ट सिटी हो या छोटा कस्बा,
हर सड़क बनी जल का रास्ता.
सीवर भरे, नाले उफनाए,
ट्रैफिक रुका, लोग घबराए.
प्रशासन पर उठाई उँगली,
नहीं देखी हमने अपनी गलती?
कचरा फेंका खुद नालों में,
प्लास्टिक बहाया चालों में.
सड़कों पर मलबा खुद डाला,
फिर क्यों रोए जब बने ज्वाला?
जब हम समझें स्वच्छता की बात,
तभी मिटेगी बरसात की घात.
जागे जब हर नागरिक मन,
तभी बनेगा स्मार्ट नगर-धन.
मुनीष भाटिया
5376, ऐरो सिटी
मोहाली

