जबलपुर. भाजपा विधायक संजय पाठक ने मुझे एक पर्टिकुलर मैटर (पाठक परिवार की खनन कंपनियों) पर चर्चा करने की कोशिश की है. इसलिए मैं इस रिट याचिका पर विचार करने का इच्छुक नहीं हूं.
एक याचिका की सुनवाई से इनकार करते हुए एमपी हाईकोर्ट जस्टिस विशाल मिश्रा ने जब ये ऑर्डर लिखा तो हाईकोर्ट के वकील और पक्षकार भी सकते में आ गए. दरअसल ये याचिका भाजपा विधायक संजय पाठक के परिवार से जुड़ी कंपनियों के अवैध खनन पर कार्रवाई के लिए लगाई गई थी. याचिकाकर्ता आशुतोष मनु दीक्षित ने इसके जरिए मांग की थी कि शिकायत के बाद भी पाठक की कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है.
हालांकि याचिका दायर के कुछ ही दिन बाद खनिज विभाग ने पाठक के परिवार से जुड़ी कंपनियों के खिलाफ 443 करोड़ का जुर्माना लगाया था. ये अपनी तरह का पहला मामला है जिसमें किसी हाईकोर्ट जस्टिस ने खुद खुलासा किया है कि सत्ताधारी दल के विधायक ने केस के सिलसिले में सीधे उनसे डिस्कशन की कोशिश की है. गौरतलब है कि कटनी के रहने वाले आशुतोष मनु दीक्षित ने जून 2025 में हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.
इसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने पाठक के परिवार से जुड़ी कंपनियों के अवैध खनन से जुड़ी शिकायतें ईओडब्ल्यू में की थी. लेकिन 6 महीने बीत जाने के बाद भी उसमें जांच आगे नहीं बढ़ी. इस केस में पाठक के परिवार की कंपनियों की ओर से इंटर विन एप्लिकेशन लगाई गई थी. इसी बीच खनिज विभाग के प्रमुख सचिव ने पाठक के परिवार से जुड़ी कंपनियों के खिलाफ 443 करोड़ का जुर्माना अधिरोपित किया गया था. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी विधानसभा में जानकारी दी थी कि जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील में मेसर्स आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन, मेसर्स निर्मला मिनरल्स व पेसिफिक एक्सपोर्ट द्वारा मंजूरी से ज्यादा खनन किया गया.
इससे पहले आशुतोष मनु दीक्षित ने 31 जनवरी 2025 को ईओडब्ल्यू में एक शिकायत में कहा था कि इन कंपनियों ने 1 हजार करोड़ रुपए की राशि जमा नहीं की है. शिकायत पर 23 अप्रैल को एक जांच टीम बनी. टीम ने 6 जून को रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी. इसमें तीनों खनन कंपनियों पर 443 करोड़ रुपए की वसूली निकाली गई थी. हालांकि इस मामले में कंपनियों ने अपने स्पष्टीकरण में कहा था कि वे 70 साल से खनिज का व्यापार कर रहे हैं. इतने सालों में कभी उन पर रॉयल्टी या टैक्स चोरी की कोई शिकायत नहीं है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

