जबलपुर. स्मार्ट मीटरों की जरिएए विद्युत उपभोक्ताओं की गोपनीय जानकारियां स्मार्ट तरीके से विदेश पहुंच रहीं हैं. इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत मध्यप्रदेश के उपभोक्ताओं का मीटर रीडिंग डेटा सीधे यूएई स्थित कम्पनी को भेज दिया. इसमें बिजली उपयोग की जानकारी और उपभोक्ता का निजी विवरण शामिल था. यह केवल गोपनीयता का उल्लंघन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मामला है. ये आरोप शहर कांग्रेस अध्यक्ष सौरभ नाटी शर्मा ने मंगलवार को आयोजित पत्रकारवार्ता में लगाया.
पत्रकारों से चर्चा के दौरान शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार स्पष्ट करे कि किसकी अनुमति से इतना संवेदनशील डेटा देश की सीमाओं से बाहर भेजा गयाए जबकि असलियत यह है कि पूरे प्रोजेक्ट में अल्फनार ने जांच करने वाली कंपनी यूएई की एस्यासॉफ्ट को ही मीटर लगाने का सब.कांट्रैक्ट दे दिया.
जिसको अयोग्य घोषित किया, उसी को दे दिया ठेका-
शहर कांग्रेस अध्यक्ष सौरभ नाटी शर्मा ने पत्रकावार्ता में बताया कि पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (इंदौर) ने अल्फनार को अयोग्य घोषित किया. तो वही कंपनी मध्य क्षेत्र (भोपाल) और पूर्व क्षेत्र (जबलपुर) में ठेका कैसे प्राप्त कर गई. क्या इसके नियम अलग-अलग हैं या फिर केंद्र और राज्य सरकार की मिलीभगत से दबाव डालकर कंपनी को ठेका दिलवाया गया. उन्होने आरोप लगाया कि यह दोहरा मापदंड प्रशासन की पारदर्शिता और ईमानदारी पर गहरा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है. और तो और अल्फनार कंपनी को गुणवत्ता विहीन कार्य एवं समय पर कार्य पूर्ण न करने के कारण 3 टर्मिनेशन नोटिस भी जारी किए गएए मगर अधिकारियों की मिलीभगत के चलते कंपनी को टर्मिनेट नहीं किया गया.
सरकार और प्रशासन से किये ये सवाल-
पत्रकारवार्ता में शहर कांग्रेस कमेटी की ओर से स्मार्ट मीटर में पाकिस्तानी संबंध और जीपीएस के खतरे को लेकर बताया कि दस्तावेज बताते हैं कि एस्यासॉफ्ट के यूएई ऑफिस में पाकिस्तानी नागरिक कार्यरत हैं और अल्फनार के बोर्ड में भी पाकिस्तानी पृष्ठभूमि के निदेशक शामिल हैं. स्मार्ट मीटरों में जीपीएस तकनीक लगी हुई हैए जिससे उपभोक्ताओं का लोकेशन डेटा भी विदेशी हाथों में जा रहा है. यह केवल निजता का उल्लंघन नहींए बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा खतरा है. इस खतरे को जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है.
राष्ट्रीय स्तर पर हो जांच और कार्यवाही-
पत्रकारवार्ता में कांग्रेसजनों ने आरोप लगाए कि बिना डीपीआईआईटी सर्टिफिकेट के कम्पनी को ठेका दिया और और मध्यप्रदेश के उपभोक्ताओं पर थोपे जा रहे स्मार्ट मीटर लगाने पर बैंक अकाउंटए आधार कार्ड एवं अन्य प्रकार की जानकारी ली जा रही है. बिजली उपभोक्ताओं के बैंक खातों को सीधे डिस्कॉम सिस्टम से जोडऩे की यह प्रक्रिया न केवल गोपनीयता का उल्लंघन हैए बल्कि बड़े साइबर हमले का दरवाजा भी खोल रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बिजली कंपनियों के सर्वर हैक होते हैं तो उपभोक्ताओं के बैंक खाते और आधार डाटा सीधे अपराधियों के हाथ में जा सकते हैं. यह स्थिति सीधे.सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा और जनता के आर्थिक अधिकारों पर हमला है. इस पूरे मामले की की राष्ट्रीय स्तर पर जांच और कार्यवाही होनी चाहिए.
अधिकारियों की सम्पत्तियों की जांच की मांग-
पत्रकारवार्ता में कांग्रेस की ओर से मांग की गई कि मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी एवं मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के आईटी हेड एवं आरडीएसएस प्रमुख अधिकारियों की संपत्ति की जांच ईडी एवं सीबीआई से कराई जाए. साथ ही उनके परिवार का ब्यौरा हासिल कर विभिन्न बिन्दुओं पर जांच होनी चाहिए. पत्रकारवार्ता में विधायक लखन घनघोरिया, पूर्व विधायक एवं ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष संजय यादव, वरिष्ठ कांग्रेस नेता आलोक मिश्रा, सम्मति सैनी, दिनेश यादव सहित अन्य कांग्रेसजन मौजूद रहे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

