सेंसर बोर्ड ने बागी 4 में 23 कट लगाने की सिफारिश ए सर्टिफिकेट मिलने के बावजूद

सेंसर बोर्ड ने बागी 4 में 23 कट लगाने की सिफारिश ए सर्टिफिकेट मिलने के बावजूद

प्रेषित समय :18:56:41 PM / Thu, Sep 4th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

बॉलीवुड की बहुप्रतीक्षित फिल्म बागी 4 रिलीज़ से पहले ही विवादों और चर्चाओं में घिर गई है. एक ओर संजय दत्त के इस फिल्म से भावनात्मक जुड़ाव की चर्चा हो रही है, तो दूसरी ओर सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट देने के बावजूद 23 कट लगाने की सिफारिश की है. यह फैसला फिल्म की हिंसक सामग्री और कुछ संवादों को लेकर लिया गया है, जिसने दर्शकों और फिल्म जगत दोनों को चौंका दिया है.

यह पहला मौका नहीं है जब सेंसर बोर्ड ने किसी बड़े बजट की एक्शन फिल्म पर इतनी सख्ती दिखाई हो, लेकिन ‘ए’ सर्टिफिकेट मिलने के बाद भी इतने कट सुझाना असामान्य माना जा रहा है. आमतौर पर ‘ए’ सर्टिफिकेट का अर्थ यह होता है कि फिल्म केवल वयस्कों के लिए उपयुक्त है और इसमें हिंसा या संवेदनशील दृश्यों की गुंजाइश रहती है. लेकिन इस बार CBFC ने साफ कर दिया है कि फिल्म में कुछ ऐसे दृश्य और संवाद हैं जो ‘ए’ सर्टिफिकेट के बावजूद भी स्वीकार्य नहीं हैं.

सूत्रों के अनुसार जिन 23 कट की सिफारिश की गई है, उनमें से कई फिल्म के हिंसक दृश्यों से जुड़े हैं. कुछ दृश्य इतने तीव्र और रक्तरंजित बताए जा रहे हैं कि बोर्ड ने उन्हें पूरी तरह हटाने की सलाह दी है. इसके अलावा कुछ संवादों पर भी आपत्ति जताई गई है, जिन्हें अश्लील या सामाजिक दृष्टिकोण से अनुचित माना गया है. बोर्ड का मानना है कि फिल्म का प्रभाव केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह युवाओं और समाज के कुछ वर्गों पर नकारात्मक असर डाल सकता है.

फिल्म के निर्देशक और प्रोड्यूसर के लिए यह सिफारिशें बड़ी चुनौती बनकर सामने आई हैं. बागी श्रृंखला हमेशा से अपने तीव्र एक्शन और रोमांचक दृश्यों के लिए जानी जाती रही है. दर्शक भी इसी वजह से इस फ्रैंचाइज़ी को पसंद करते आए हैं. लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि अगर इतने सारे कट लगाए गए तो क्या फिल्म का असली स्वाद और उसकी रोमांचकता बरकरार रह पाएगी.

सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर दो तरह की प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं. एक वर्ग का मानना है कि हिंसक और आपत्तिजनक दृश्यों को हटाना सही कदम है क्योंकि फिल्में केवल मनोरंजन का साधन नहीं होतीं बल्कि उनका असर समाज पर गहरा पड़ता है. वहीं, दूसरा वर्ग सेंसर बोर्ड की इस सख्ती को अनुचित बता रहा है. उनका कहना है कि जब फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट पहले ही मिल चुका है तो फिर दर्शकों को निर्णय करने देना चाहिए कि वे क्या देखना चाहते हैं और क्या नहीं.

संजय दत्त, जो इस फिल्म में एक अहम किरदार निभा रहे हैं, हाल ही में इस फिल्म को लेकर बेहद भावुक हो गए थे. उन्होंने कहा था कि बागी 4 की कहानी और भावनात्मक गहराई ने उन्हें उनकी क्लासिक फिल्म वास्तव की याद दिला दी. अब सेंसर बोर्ड की सख्ती को देखते हुए यह आशंका भी जताई जा रही है कि कहीं इन कट्स की वजह से वह गहराई प्रभावित न हो जाए, जिसका जिक्र खुद संजय दत्त ने किया था.

फिल्म उद्योग के जानकारों का मानना है कि सेंसर बोर्ड और फिल्म निर्माताओं के बीच यह टकराव लंबे समय से चला आ रहा है. एक ओर फिल्मकार कलात्मक स्वतंत्रता की मांग करते हैं, वहीं सेंसर बोर्ड सामाजिक जिम्मेदारी का हवाला देकर सख्ती बरतता है. बागी 4 का मामला इसी खींचतान का नया उदाहरण है.

आलोचक यह भी कह रहे हैं कि आज के दौर में जब ओटीटी प्लेटफार्मों पर कहीं ज्यादा हिंसक और बोल्ड सामग्री बिना किसी कट के उपलब्ध है, तो सिनेमा हॉल में प्रदर्शित फिल्मों पर इतनी पाबंदियाँ लगाना विरोधाभासी लगता है. यही कारण है कि दर्शकों के बीच यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या सेंसर बोर्ड की कसौटी समय से पीछे चल रही है.

फिल्म की रिलीज़ डेट करीब आने के साथ ही अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि निर्माता इन कट्स को मानते हैं या फिर अपील करने का रास्ता अपनाते हैं. अगर निर्माता CBFC के फैसले को चुनौती देते हैं तो यह मामला और लंबा खिंच सकता है और फिल्म की रिलीज़ पर असर पड़ सकता है. वहीं अगर निर्माता कट्स को स्वीकार कर लेते हैं तो दर्शकों को वह फिल्म देखने को मिलेगी जो निर्देशक की मूल कल्पना से काफी अलग होगी.

फिल्म इंडस्ट्री के लिए बागी 4 केवल एक फिल्म नहीं बल्कि एक तरह का टेस्ट केस बन गई है. यह मामला तय करेगा कि आने वाले समय में बड़े बजट की एक्शन फिल्मों को सेंसरशिप के किस स्तर से गुजरना पड़ेगा. संजय दत्त और टाइगर श्रॉफ की जोड़ी को लेकर दर्शकों में उत्साह है, लेकिन सेंसर बोर्ड के इस कदम ने फिल्म के भविष्य पर एक बड़ा सवालचिह्न खड़ा कर दिया है.

कुल मिलाकर, बागी 4 की कहानी अब केवल पर्दे पर दिखने वाली जंग की नहीं रही, बल्कि परदे के पीछे चल रही सेंसरशिप की जंग भी उतनी ही दिलचस्प और चर्चित हो गई है. दर्शकों के लिए यह देखना रोचक होगा कि आखिरकार स्क्रीन पर उन्हें कैसी फिल्म दिखाई देती है—क्या वह वही है जिसे निर्देशक ने गढ़ा था, या फिर वह संस्करण जिसे सेंसर बोर्ड ने अपनी शर्तों के साथ तैयार करवाया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-