कुंडली मिलान और दोषों की सच्चाई उम्र के साथ खत्म हो जाते हैं कई भय

कुंडली मिलान और दोषों की सच्चाई उम्र के साथ खत्म हो जाते हैं कई भय

प्रेषित समय :19:42:23 PM / Wed, Sep 10th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भारतीय विवाह परंपरा में कुंडली मिलान का विशेष महत्व रहा है. नाड़ी दोष, भकूट दोष और मंगल दोष को विवाह के लिए अक्सर निर्णायक माना जाता है. लेकिन महर्षि भृगु संहिता के अनुसार इन दोषों की अवधि उम्र विशेष तक ही प्रभावी रहती है और उसके बाद ये स्वतः समाप्त हो जाते हैं.

ज्योतिष शास्त्र के उद्धरणों के अनुसार—

नाड़ी दोष केवल 26 वर्ष 7 माह 3 दिन की आयु तक ही लागू माना जाता है.

भकूट दोष सिर्फ 24 वर्ष की आयु तक ही प्रभावी होता है.

मंगल दोष 29 वर्ष 4 माह 24 दिन तक माना जाता है.

इस आधार पर यदि कन्या या वर की आयु इन सीमाओं से अधिक है, तो ये दोष स्वतः ही समाप्त हो चुके होते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि जब वर्तमान समाज में अधिकांश विवाह 30 वर्ष के बाद हो रहे हैं, तब इन दोषों को लेकर डरने की आवश्यकता नहीं रह जाती.

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, आजकल गूगल या मोबाइल ऐप से कुंडली देखकर ही लोग विवाह तय करने लगते हैं, जिससे कई बार अनावश्यक भय पैदा होता है. “मंगलिक दोष” को लेकर भी यही स्थिति है. यदि व्यक्ति की जन्मकुंडली में सूर्य बलवान हो तो मंगल दोष स्वतः समाप्त माना जाता है.

पारंपरिक ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि कुंडली मिलान केवल सॉफ्टवेयर गणना पर नहीं छोड़ना चाहिए. वास्तविक ज्योतिषीय परीक्षण में 90% से अधिक मामलों में मंगलीक दोष स्वतः ही निष्प्रभावी हो जाता है. कुंडली में ग्रहों की दृष्टि, पाप ग्रहों की स्थिति, गुरु ग्रह का बल और शुभ योग अधिक निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि यदि कुंडली में कुछ अहितकर योग हों लेकिन साथ ही आठ से अधिक शुभ योग भी मौजूद हों, तो विवाह में कोई बाधा नहीं मानी जाती. विशेष रूप से गुरु का बलवान होना विवाह जीवन को सुरक्षित और स्थिर बनाता है.

समाज में बढ़ती चिंता को देखते हुए विद्वानों का कहना है कि “गूगल देवता” पर निर्भर होकर कुंडली का निर्णय लेना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. यही कारण है कि कई घरों में योग्य कन्या-वर विवाह योग्य उम्र पार कर रहे हैं, क्योंकि परिवार मोबाइल गणना के दोषों से डर जाते हैं.

इसलिए लोगों से अपील की जा रही है कि वे ज्योतिष के गूढ़ सिद्धांतों को सतही गणना से अलग समझें. शास्त्र स्पष्ट कहते हैं कि उम्र विशेष के बाद नाड़ी, भकूट और मंगल दोष का कोई महत्व नहीं रह जाता. ऐसे में विवाह योग्य युवाओं के लिए इन डर से मुक्त होकर सही निर्णय लेना ही समाज के हित में होगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-