अभिमनोज
साइबर अपराध की दुनिया में लगातार बढ़ती जटिलता ने अब और एक मामले को जन्म दिया है, जो सिर्फ स्थानीय समाचार नहीं बल्कि विश्व मीडिया के लिए भी चिन्तनीय विषय बन गया है. वृंदावन के छटीकरा मार्ग स्थित होटल बेस्ट वेस्टर्न के “गूगल माय बिजनेस” प्रोफ़ाइल को हैक कर डेढ़ लाख रुपए की साइबर ठगी का यह मामला अब न सिर्फ उत्तर प्रदेश पुलिस बल्कि ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स की रिपोर्टिंग विषय बन चुका है.मीडिया रिपोर्ट्स हैं कि उत्तर प्रदेश में वृंदावन के छटीकरा मार्ग स्थित होटल बेस्ट वेस्टर्न की गूगल माय बिजनेस पर बने अकॉउंट को हैक कर डेढ़ लाख रुपए की ठगी की गई है.
इसके बाद होटल के महाप्रबंधक ने एक अंजान शख्स सहित गूगल के खिलाफ कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करवाई है.
महाप्रबंधक ने एफआईआर में कहा है कि- गूगल माय बिजनेस व्यवसाय का प्रमुख माध्यम है, होटल आनेवाले होटल के नंबर पर कॉल कर कमरे के बारे में पूछताछ करते हैं, आरोपी ने हैक करके होटल के नंबर के बजाए अपना नंबर डाल दिया और स्वयं को होटल का होना बताकर रुपए ले रहा है, वह अब तक करीब डेढ़ लाख रुपए की ठगी कर चुका है.
एफआईआर में कहा गया है कि 10 अगस्त 2025 को गूगल माय बिजनेस प्रोफाइल को अनजान व्यक्ति ने हैक कर लिया, इसके बाद होटल के असली नंबर को हटाकर ठग ने अपना नंबर डाल दिया, इसकी जानकारी होने पर ऑनलाइन रिपोर्ट की गई, तो 15 अगस्त 2025 को एप्लीकेशन पुनः शुरू हो गई, लेकिन 31 अगस्त 2025 को फिर से प्रोफाइल हैक हो गई और मोबाइल नंबर भी बदल दिया गया.
खबरें हैं कि महाप्रबंधक का कहना है कि गूगल माय बिजनेस व्यवसाय का प्रमुख माध्यम है, होटल में आनेवाले लोग होटल के नंबर पर ही कॉल करके कमरे के बारे में पूछताछ करते हैं, लेकिन साइबर ठग ने नंबर बदल कर स्वयं को होटल का होना बता कर रुपए ले लिए, अब तक करीब डेढ़ लाख रुपयों की धोखधड़ी हो चुकी है!
इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि व्यवसायों की ऑनलाइन पहचान कितनी संवेदनशील हो सकती है, और कि एक मात्र “अविश्वसनीय नंबर बदलने” जैसी छोटी-सी चूक भी बड़े वित्तीय नुकसान और प्रतिष्ठा की क्षति का कारण बन सकती है. वृंदावन होटल बेस्ट वेस्टर्न का यह मामला सिर्फ़ स्थानीय स्तर की धोखाधड़ी नहीं है, बल्कि एक प्रतिमान बन गया है कि डिजिटल युग में विश्व मीडिया और स्थानीय न्याय व्यवस्था कैसे मिलकर ऐसी घटनाओं को रिकॉर्ड कर रही हैं और उनके प्रभाव को सामने ला रही हैं.
इस घटना के बारे में Local Press Club of India, TechObserver India और कुछ विश्व-स्तरीय साइबर सुरक्षा ब्लॉग्स ने भी अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि “गूगल बिज़नेस प्रोफ़ाइल हैकिंग” जैसी वारदातें बढ़ती पहुँच और व्यवसाय की ऑनलाइन पहचान की संवेदनशीलता को उजागर कर रही हैं. उन्होंने बताया है कि यह घटना इस बात का संकेत है कि डिजिटल प्लेटफार्मों की सुरक्षा तंत्रों में गंभीर कमियाँ हैं, जो व्यवसायियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए जोखिम बढ़ाती हैं.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी विभिन्न सिक्योरिटी फोरम्स और टेक न्यूज़ पोर्टल्स में “Google My Business Hijackings” पर सलाह-मत और चेतावनियाँ पहले से प्रकाशित हो रही हैं. नेटवर्क-साइबर सिक्योरिटी रिपोर्ट्स में इस तरह की चोरी की घटनाओं को “Denial of Business” के रूप में भी देखा जाने लगा है, जहाँ व्यवसाय की विश्वसनीयता प्रभावित होती है.
गूगल की ओर से अभी तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया गया है जिसमें उन्होंने स्वीकार किया हो कि सुरक्षा तंत्र में कमी हुई है या हैकिंग को रोकने में उनकी प्रणाली विफल रही हो. हालांकि होटल प्रबंधन का दावा है कि गूगल सपोर्ट टीम से कुछ तकनीकी सहयोग हुआ था जब पहली रिपोर्ट दर्ज हुई थी.
CyberSecure Global, एक अंतरराष्ट्रीय साइबर सुरक्षा पोर्टल ने लिखा है कि इस तरह के हमले व्यवसायों की ऑनलाइन प्रतिष्ठा को कमजोर करते हैं और ग्राहक विश्वास को तोड़ते हैं. उन्होंने सुझाव दिया है कि व्यवसायियों को “वेरिफिकेशन टू-फैक्टर (2FA)” और पासवर्ड सुरक्षा के मामलों में अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए.
Asia Tech Watch ने यह उदाहरण दिया है कि Google My Business प्रोफ़ाइल हैकिंग ऐसी घटनाएं हैं जहाँ “स्थानीय SEO स्पूफिंग” (Local SEO Spoofing) का उपयोग किया गया हो — यानी व्यवसाय की जानकारी को बदला गया ताकि ट्रैफ़िक और ग्राहक धोखे से ठगों के पास जाएँ.
Indian Express जैसे प्रमुख समाचार पत्र ने लिखा कि न सिर्फ़ व्यवसायी बल्कि सरकारों को भी साइबर कानूनों को सख़्त लागू करने की ज़रूरत है, ताकि ऐसे मामलों में त्वरित न्याय हो सके और भविष्य में रोकथाम हो.
सुरक्षित रहने के उपाय
विश्व मीडिया और स्थानीय साइबर विशेषज्ञों ने नीचे दिए सुझाव दिए हैं जो ऐसे मामलों से बचने में मदद कर सकते हैं:
Google My Business अकाउंट का भरोसेमंद ई-मेल और फोन नंबर रखना व समय-समय पर वेरिफिकेशन स्थिति की जांच करना.
2FA (दो-चरणीय प्रमाणीकरण) सक्षम करना, ताकि यदि पासवर्ड चोरी हो जाए तब भी अकाउंट सुरक्षित रहे.
ग्राहकों को आधिकारिक वेबसाइट या प्रमाणीक्षित स्रोतों से ही संपर्क करने की जानकारी देना.
गूगल सपोर्ट टीम से नियमित संपर्क और शिकायत दर्ज करना, जब भी गलत जानकारी दिखाई दे.
डिजिटल ट्रांजेक्शन की रसीद संधारित करना और यदि अग्रिम भुगतान किया गया हो तो उसकी पुष्टि रिकॉर्ड रखना.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

