जबलपुर. बरगी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक नीरज सिंह का जन्मदिन बीते दिन उनके समर्थकों ने धूमधाम से मनाया. इस दौरान आयोजित समारोह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने राजनीतिक हलकों के साथ आम जनता में भी चर्चा छेड़ दी है.
वीडियो में विधायक नीरज सिंह समर्थकों के बीच मंच पर खड़े होकर तलवार से केक काटते नजर आ रहे हैं. एक अन्य वीडियो में वे म्यान से तलवार निकालते हुए दिखाई देते हैं. जैसे ही उन्होंने तलवार से केक काटा, मंच पर मौजूद भाजपा कार्यकर्ता और समर्थक नारेबाजी करते हुए उन्हें बधाई देते रहे. पूरा माहौल उत्सव जैसा था और समर्थकों ने इसे एक “रॉयल स्टाइल” समारोह करार दिया.
यह वीडियो भाजपा तिलवारा मंडल अध्यक्ष मनीष शुक्ला ने सोशल मीडिया पर साझा किया. देखते ही देखते यह वीडियो वायरल हो गया और प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया. कुछ लोगों ने इस तरीके को परंपरागत और प्रतीकात्मक बताया, वहीं कई लोगों ने इसे अनुचित और असंवेदनशील ठहराया.
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ
वीडियो वायरल होने के बाद आम नागरिकों ने भी अपनी राय दी. राजकुमार साहू नामक एक यूज़र ने टिप्पणी की कि यदि कोई आम आदमी सार्वजनिक स्थान पर तलवार से केक काटता, तो पुलिस तत्काल कार्रवाई करती, लेकिन विधायक होने की वजह से शायद ही कोई कार्यवाही होगी. वहीं, प्रिया कुमारी नाम की यूज़र ने लिखा कि “कानून केवल आम जनता के लिए है, नेताओं पर यह लागू नहीं होता.” इन टिप्पणियों ने इस घटना को और अधिक राजनीतिक रंग दे दिया है.
कानून और विशेषाधिकारों पर बहस
यह मामला अब कानून और जनप्रतिनिधियों के विशेषाधिकारों के बीच संतुलन की बहस को जन्म दे रहा है. आम नागरिकों का कहना है कि यदि छोटे-छोटे मामलों में आम लोगों पर कार्रवाई की जाती है, तो नेताओं को भी उन्हीं नियमों का पालन करना चाहिए. लोगों ने यह सवाल भी उठाया कि सार्वजनिक समारोह में हथियार जैसे प्रतीक का इस्तेमाल क्या कानूनन और सामाजिक दृष्टिकोण से सही है.
समर्थकों का पक्ष
दूसरी ओर, विधायक के समर्थकों का कहना है कि यह महज़ एक प्रतीकात्मक और पारंपरिक तरीका था. उनका तर्क है कि इसमें किसी तरह की अवैधानिक गतिविधि शामिल नहीं थी. उनका मानना है कि विरोधी दल और कुछ लोग इस घटना को अनावश्यक रूप से विवाद का रूप दे रहे हैं.अब तक न तो प्रशासन और न ही पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने आया है. इस कारण यह सवाल और तेज़ हो गया है कि यदि यह मामला किसी आम व्यक्ति से जुड़ा होता तो क्या स्थिति अलग होती.फिलहाल, यह जन्मदिन समारोह केवल एक निजी उत्सव नहीं रहा बल्कि राजनीति और जनभावनाओं के बीच एक गंभीर बहस का मुद्दा बन गया है. तलवार से केक काटने जैसी प्रतीकात्मक कार्रवाई ने नेताओं की जिम्मेदारी, जनता की अपेक्षाएँ और कानून के समान अनुपालन पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं.

