Discord और VPN ने निभाई भूमिका Gen Z ने डिजिटल माध्यमों से क्रांतिकारी राजनीति की शुरुआत की

Discord और VPN ने निभाई भूमिका Gen Z ने डिजिटल माध्यमों से क्रांतिकारी राजनीति की शुरुआत की

प्रेषित समय :21:52:34 PM / Sat, Sep 13th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज 

काठमांडू की गलियों में पिछले कई हफ्तों से गूंज रहे नारों और सड़कों पर उमड़ रही भीड़ से कहीं अधिक ज़ोरदार शोर इंटरनेट की गहराइयों में सुनाई दे रहा है. नेपाल की युवा पीढ़ी, खासतौर पर Gen Z, ने यह साबित कर दिया है कि नई राजनीति सिर्फ सड़कों पर नहीं बल्कि डिजिटल स्क्रीन पर भी लिखी जा सकती है. सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन इस पीढ़ी ने VPN और Discord जैसे उपकरणों का सहारा लेकर न केवल सेंसरशिप को मात दी बल्कि लोकतांत्रिक आंदोलनों के लिए तकनीकी साधनों को हथियार के रूप में स्थापित कर दिया.

नेपाल सरकार का तर्क था कि सोशल मीडिया पर विरोध प्रदर्शन संगठित किए जा रहे हैं और यह कानून-व्यवस्था के लिए खतरा है. फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर/X और टिकटॉक जैसे मंचों को बंद कर दिया गया. लेकिन यह फैसला उल्टा पड़ा. युवाओं को चुप कराने के बजाय इसने उन्हें और भी अधिक एकजुट कर दिया. VPN की मदद से उन्होंने इन प्लेटफॉर्म्स तक पहुँचने के रास्ते खोज लिए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से संवाद करना शुरू कर दिया. टिकटॉक और इंस्टाग्राम पर आंदोलन के छोटे-छोटे वीडियो क्लिप वायरल होने लगे, जिनमें पुलिस की कार्रवाई और युवाओं के नारे दर्ज थे.

लेकिन असली खेल Discord पर शुरू हुआ. यह ऐप, जो आमतौर पर गेमर्स के बीच मशहूर था, अचानक नेपाल के आंदोलनकारियों का नया मुख्यालय बन गया. यहाँ बंद चैट रूम और सर्वर बनाए गए, जहाँ रणनीतियाँ तय हुईं, डिजिटल चुनाव हुए और अस्थायी नेतृत्व चुना गया. 22 वर्षीय छात्रा आस्था अधिकारी, जिन्हें युवा नेतृत्व का चेहरा माना जा रहा है, ने एक वर्चुअल बैठक में कहा, “सरकार इंटरनेट बंद कर सकती है, लेकिन हमारे विचारों को कैद नहीं कर सकती. Discord अब हमारा लोकतांत्रिक चौक है.”

यह बयान सिर्फ शब्द नहीं था, यह एक पीढ़ी का घोषणा-पत्र था. 19 वर्षीय कॉलेज छात्र प्रेम शाही ने लाइव चैट में कहा, “VPN ने हमें आज़ादी दी है और Discord ने हमें लोकतंत्र का मंच. सड़क पर पुलिस हमें रोक सकती है, लेकिन इंटरनेट पर हमारी एकता को नहीं रोक पाएगी.” उनका यह संदेश हजारों युवाओं ने शेयर किया और यह आंदोलन का डिजिटल नारा बन गया.

24 वर्षीय टेक एक्टिविस्ट सुबिन तामांग ने कहा, “अगर सरकार तकनीक का इस्तेमाल हमें दबाने के लिए कर सकती है, तो हम भी तकनीक का इस्तेमाल आज़ादी जताने के लिए करेंगे. यह एक नई तरह की लड़ाई है, जहाँ हथियार नहीं बल्कि सर्वर और नेटवर्क हमारे साथी हैं.”

हालाँकि इस आंदोलन की कीमत भी चुकानी पड़ी. पुलिस की गोलीबारी में कई युवाओं की मौत हुई और दर्जनों घायल हुए. मानवाधिकार संगठनों ने इन घटनाओं की निंदा की और नेपाल सरकार से संयम बरतने की अपील की. लेकिन दमन की हर कार्रवाई ने युवाओं के भीतर और आक्रोश भर दिया. VPN और Discord की मदद से वे लगातार जुड़े रहे और अपने संदेशों को अंतरराष्ट्रीय मीडिया तक पहुँचाते रहे.

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने नेपाल की स्थिति पर चिंता जताई और कहा कि लोकतांत्रिक समाज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध अस्वीकार्य है. उन्होंने साफ कहा कि सोशल मीडिया प्रतिबंध और इंटरनेट शटडाउन किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था की आत्मा के खिलाफ है.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, “नेपाल सरकार की गोलीबारी और इंटरनेट बंदी से यह साफ है कि वे युवाओं की आवाज दबाना चाहते हैं. लेकिन यह भी सच है कि आज की तकनीक इतनी शक्तिशाली है कि किसी भी सरकार के लिए जनता की आवाज को पूरी तरह बंद करना असंभव हो गया है.”

यूरोपीय संघ के प्रवक्ता ने कहा कि नेपाल को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करनी चाहिए और युवाओं की चिंताओं को सुना जाना चाहिए. अमेरिका और कनाडा में भी नेपाल की Gen Z के समर्थन में रैलियां हुईं. वहीं भारत में ट्विटर/X पर #NepalGenZ और #DigitalRevolution जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे. भारतीय युवाओं ने नेपाल के छात्रों को "भविष्य का चेहरा" कहकर समर्थन दिया.

पड़ोसी देशों की दृष्टि
भारत में इस आंदोलन को विशेष दिलचस्पी से देखा जा रहा है. यहाँ के कई छात्र संगठनों ने बयान जारी कर कहा कि नेपाल के युवाओं की बहादुरी प्रेरणादायक है. वहीं चीन ने सावधानी भरा रुख अपनाते हुए कहा कि नेपाल का आंतरिक मामला है, लेकिन स्थिरता बनाए रखना जरूरी है. बांग्लादेश और श्रीलंका के युवा भी सोशल मीडिया पर नेपाल की Gen Z के समर्थन में उतर आए.

डिजिटल राजनीति का नया अध्याय
विश्लेषकों का मानना है कि यह आंदोलन भविष्य की राजनीति का ब्लूप्रिंट है. जिस तरह युवाओं ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया, वह इस बात का संकेत है कि आने वाले वर्षों में राजनीतिक दलों को भी डिजिटल मंचों पर सक्रिय होना पड़ेगा. Discord जैसे मंच, जिन्हें अब तक गेमिंग और निजी बातचीत के लिए जाना जाता था, अब राजनीतिक संवाद और आंदोलन का केंद्र बन सकते हैं.

यह बदलाव सिर्फ नेपाल तक सीमित नहीं रहेगा. अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसे “डिजिटल क्रांति” नाम दिया है. अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि “नेपाल की Gen Z ने साबित कर दिया कि इंटरनेट अब सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि लोकतंत्र का सबसे बड़ा हथियार है.” वहीं ब्रिटिश अखबार द गार्जियन ने लिखा कि “VPN और Discord ने लोकतंत्र की नई परिभाषा गढ़ दी है.”

चुनौतियाँ और संभावनाएँ
हालाँकि आंदोलन के सामने चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि डिजिटल आक्रोश को ठोस नीति और दिशा में बदलना आसान नहीं है. सड़कों पर आंदोलन और संसद में बहस, दोनों की ज़रूरत होती है. अगर यह आंदोलन सिर्फ ऑनलाइन तक सीमित रहा तो इसका असर सीमित रह जाएगा.

इसके बावजूद इस आंदोलन की ताकत को अनदेखा नहीं किया जा सकता. इसने सरकारों को यह संदेश दिया है कि इंटरनेट बंद करना अब उतना आसान समाधान नहीं रहा. VPN और वैकल्पिक प्लेटफॉर्म्स के जरिए लोग हमेशा अपनी आवाज उठाने का रास्ता खोज लेंगे.

भविष्य की ओर इशारा
नेपाल की Gen Z ने जो राह चुनी है, वह वैश्विक राजनीति को बदल सकती है. जिस पीढ़ी को अक्सर "मोबाइल में खोई हुई" कहा जाता था, वही अब मोबाइल का इस्तेमाल लोकतंत्र की लड़ाई के लिए कर रही है. VPN और Discord उनके लिए नए युग के हथियार बन गए हैं. यह सिर्फ आंदोलन नहीं, बल्कि एक संदेश है कि भविष्य की राजनीति डिजिटल होगी और सरकारों को इस नई हकीकत को स्वीकार करना ही होगा.

नेपाल की कहानी दुनिया भर के युवाओं को प्रेरित कर रही है. यह आंदोलन सिर्फ एक देश की सीमाओं में कैद नहीं, बल्कि एक पूरी पीढ़ी की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है. और यही इस पूरी घटना का सबसे बड़ा सबक है—विचारों को रोका नहीं जा सकता, खासकर तब जब वे VPN और Discord जैसे साधनों पर सवार होकर दुनिया भर में गूँज रहे हों.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-