मानसून की तबाही, हिमाचल में भूस्खलन से जनहानि, महाराष्ट्र में बाढ़ से हाहाकार, असम और झारखंड अलर्ट पर

मानसून की तबाही, हिमाचल में भूस्खलन से जनहानि

प्रेषित समय :22:00:09 PM / Tue, Sep 16th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली, 16 सितम्बर 2025. देश के कई हिस्सों में मानसून ने एक बार फिर कहर बरपा दिया है. मंगलवार को लगातार हो रही बारिश ने भूस्खलन, अचानक आई बाढ़ और जलभराव की विभीषिका को और गहरा कर दिया. इस आपदा ने न सिर्फ कई लोगों की जान ले ली बल्कि हजारों को विस्थापित कर दिया और बुनियादी ढांचे, कृषि और आजीविका को गहरा नुकसान पहुंचाया. सबसे भयावह स्थिति हिमाचल प्रदेश में देखने को मिली, जबकि महाराष्ट्र, असम और झारखंड भी बाढ़ और भारी बारिश की चपेट में हैं.

हिमाचल प्रदेश में मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित हुआ. यहां झमाझम बारिश ने तबाही मचाते हुए भीषण बाढ़ ला दी. स्थानीय बस स्टैंड पूरी तरह डूब गया, कई वाहन बाढ़ के पानी में बह गए और सड़कें कीचड़ व मलबे से ढक गईं. बारिश से हुए एक घर के ढहने की घटना में ब्रगटा गांव की दो महिलाएं और एक बच्ची की मौत हो गई, जबकि एक व्यक्ति लापता है. जिला प्रशासन के मुताबिक दो अन्य लोगों को गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया गया है. डिप्टी कमिश्नर अपूर्व देवगन ने बताया कि तीन शव बरामद कर लिए गए हैं और राहत दल कटे हुए इलाकों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.

राजधानी शिमला में हालात बेहद खराब रहे. सोमवार शाम से शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने महज 12 घंटे में 141 मिमी पानी बरसा दिया. इससे शहर के मध्य हिस्से हिमलैंड के पास वाहनों पर भारी भूस्खलन का मलबा गिर पड़ा और मुख्य सर्कुलर रोड बंद हो गया. इस अव्यवस्था से आम लोग फंसे रह गए और स्कूली बच्चों को कीचड़ भरे रास्तों से होकर गुजरना पड़ा.

राज्य सरकार के आंकड़े बताते हैं कि जून से अब तक 46 क्लाउडबर्स्ट, 97 अचानक आई बाढ़ और 140 भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं. इनसे 350 लोगों की मौत हुई है और अनुमानित 4,504 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. कई राजमार्ग धंस गए हैं, बगीचे बह गए हैं और बार-बार बिजली व जलापूर्ति ठप हो रही है.

इस संकट ने सर्वोच्च न्यायालय को भी चिंतित कर दिया है. सोमवार को हुई स्वतः संज्ञान वाली सुनवाई में अदालत ने कहा कि बिना नियंत्रण के हो रहे निर्माण, वनों की कटाई और खनन ने हिमाचल को संकट में डाल दिया है. अदालत ने चेतावनी दी कि यदि हालात पर लगाम नहीं लगाई गई तो हिमाचल भारत के नक्शे से मिट सकता है. अदालत अब 23 सितम्बर को इस मामले पर आदेश सुनाएगी.

उधर महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटे में तीन लोगों की मौत हुई और 120 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकालना पड़ा. राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र में सबसे ज्यादा तबाही हुई है. यहां पांच जिलों में अत्यधिक वर्षा दर्ज की गई. बीड जिले में 143.7 मिमी, नांदेड़ में 131.6 मिमी और जालना में 121.4 मिमी बारिश हुई. भारतीय मौसम विभाग ने बुधवार से राहत की संभावना जताई है और कहा है कि मराठवाड़ा, विदर्भ और उत्तर महाराष्ट्र में बारिश का असर धीरे-धीरे कम होगा.

मुंबई में हालात हमेशा की तरह बेहाल रहे. सोमवार को बारिश ने महानगर को थाम दिया. ऑफिस टाइम में सड़कों पर जलभराव से ट्रैफिक ठप हो गया और लोकल ट्रेनें दादर, कुर्ला और बांद्रा में पानी भरने के कारण देरी से चलीं. मौसम विभाग ने तीन घंटे के लिए रेड अलर्ट जारी किया था जिसे बाद में बारिश कम होने पर ऑरेंज अलर्ट में बदल दिया गया. सार्वजनिक परिवहन की मुश्किलें तब और बढ़ गईं जब एंटॉप हिल और जीटीबीएन के बीच मोनोरेल तकनीकी खराबी के कारण अटक गई और 17 यात्री फंस गए. हालांकि सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया, लेकिन यह एक महीने से भी कम समय में दूसरी घटना थी जिसने मुंबई की जर्जर बुनियादी ढांचे पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

पूर्वोत्तर राज्य असम भी भारी बारिश की मार झेल रहा है. राज्य सरकार ने मंगलवार को लोगों से गैर-जरूरी यात्रा से बचने की अपील की. गुवाहाटी समेत कई शहरों में घुटनों तक पानी भर गया. मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों तक बहुत भारी वर्षा की चेतावनी दी है.

झारखंड में भी स्थिति चिंताजनक है. बंगाल की खाड़ी और उत्तर-पूर्व बांग्लादेश पर बने चक्रवाती परिसंचरण ने राज्यभर में तेज बारिश कराई. राजधानी रांची में 24 घंटे में 40.8 मिमी बारिश दर्ज की गई और रविवार से लगातार पानी बरस रहा है. मौसम विभाग ने गिरिडीह, देवघर, दुमका, जामताड़ा और धनबाद में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है जबकि अन्य जिलों में यलो अलर्ट है. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बुधवार तक भारी बारिश बनी रहेगी और उसके बाद धीरे-धीरे कम होगी.

दक्षिण भारत के हैदराबाद में रविवार शाम बादल फटने से हालात बिगड़ गए. मुख्य सड़कें पानी में डूब गईं और लोग घंटों ट्रैफिक जाम में फंसे रहे. कम से कम दो लोगों के नाले में बह जाने की आशंका जताई जा रही है. आपदा प्रबंधन दल, यातायात पुलिस और नगर निगम के कर्मचारी रातभर पानी निकालने में जुटे रहे. अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि जिन इलाकों में जलनिकासी व्यवस्था कमजोर है वे थोड़ी भी बारिश में फिर डूब सकते हैं.

मौसम विभाग ने बताया है कि उत्तर-पश्चिम भारत से मानसून 14 सितम्बर को ही पीछे हटने लगा था जो सामान्य से तीन दिन पहले है. पंजाब में इस साल मानसून ने दशकों की सबसे भीषण बाढ़ दी जिसने खेतों को डुबो दिया और धान की फसल तबाह कर दी. हिमाचल में सेब के बागान उजड़ गए. महाराष्ट्र में कपास और सोयाबीन की फसल जलभराव से खराब हो गई है जिससे आने वाले महीनों में दाम बढ़ने की आशंका है.

आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि इन आपदाओं से ग्रामीण आय पर गहरा असर पड़ेगा और आपूर्ति शृंखला में भी बाधा आएगी. कृषि उत्पादों की क्षति और बुनियादी ढांचे की तबाही का बोझ राज्य सरकारों और केंद्र सरकार दोनों पर पड़ेगा. फिलहाल देश के कई हिस्से बारिश से जूझ रहे हैं और लोग राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-