असम की अधिकारी नूपुर बोरा के ठिकानों पर छापे में मिले 92 लाख और सोना, सीएम बोले हिंदुओं की जमीन मुसलमानों को बेचकर कमाए पैसे

असम की अधिकारी नूपुर बोरा के ठिकानों पर छापे में मिले 92 लाख और सोना

प्रेषित समय :21:42:28 PM / Wed, Sep 17th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

गुवाहाटी. असम की राजनीति और प्रशासन में इन दिनों चर्चाओं के केंद्र में एक ही नाम है—नूपुर बोरा. राज्य की विशेष सतर्कता प्रकोष्ठ (स्पेशल विजिलेंस सेल) ने 15 सितंबर को उनके चार ठिकानों पर छापेमारी की और लगभग 92 लाख रुपये नकद तथा भारी मात्रा में सोना-चांदी बरामद किया. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया कि बोरा लंबे समय से निगरानी में थीं और उन्होंने अपनी वैध आय से लगभग 400 गुना अधिक संपत्ति अर्जित की है.

नूपुर बोरा असम सिविल सेवा की 2019 बैच की अधिकारी हैं. उनका जन्म 31 मार्च 1989 को गोलाघाट जिले में हुआ. प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से पूरी की और उसके बाद गुवाहाटी विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर किया. अध्यापन से अपने करियर की शुरुआत करने वाली बोरा ने सितंबर 2016 में तेजपुर के सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल में पोस्टग्रेजुएट विषय अध्यापक के रूप में कार्यभार संभाला. दो वर्ष बाद वे जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में प्रवक्ता बनीं.

शिक्षा क्षेत्र से प्रशासनिक सेवा तक उनकी यात्रा तेज़ रही. जनवरी 2019 में उन्होंने प्रशासनिक सेवा में प्रवेश किया और करबी आंगलोंग जिले में सहायक आयुक्त के रूप में पहली पोस्टिंग पाई. उस समय उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने प्रशिक्षण और नियुक्ति से संबंधित पोस्ट साझा की थी, जिनमें भविष्य के प्रति उत्साह झलकता था.

छह वर्षों की सेवा अवधि में उन्होंने कई जिलों में पदभार संभाला. जून 2023 में उनकी नियुक्ति बरपेटा जिले में सर्किल अधिकारी के तौर पर हुई. यही वह दौर था जब उन पर भ्रष्टाचार और जमीन के लेनदेन में गड़बड़ी के आरोप लगने शुरू हुए. मुख्यमंत्री सरमा का आरोप है कि बरपेटा—मुस्लिम बहुल जिला—में बोरा ने हिंदुओं की जमीन मुस्लिम समुदाय के लोगों को अवैध तरीके से ट्रांसफर की और बदले में मोटी रकम वसूली. मुख्यमंत्री ने कहा, “हम पिछले छह महीनों से उनकी गतिविधियों पर नज़र रखे हुए थे. उन्होंने सुनियोजित तरीके से जमीन के हस्तांतरण में भ्रष्टाचार किया और अब हम उन पर सख्त कार्रवाई कर रहे हैं.”

सितंबर 2024 में उनका तबादला कामरूप जिले के गोराइमारी में हुआ, जहां वे सर्किल अधिकारी के पद पर कार्यरत थीं. यहीं पर विजिलेंस टीम ने उनके घर और अन्य परिसरों में छापे मारकर अवैध संपत्ति बरामद की. छापे में नकदी और सोने की बरामदगी ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी.

उनकी सोशल मीडिया गतिविधियां भी जांच के दायरे में हैं. फेसबुक प्रोफाइल पर वे अक्सर अपने बेटे के साथ पारिवारिक तस्वीरें साझा करती रहीं. उन्होंने कई पोस्ट में घरेलू सजावट, बगीचे की देखभाल और हस्तनिर्मित सामानों को भी प्रदर्शित किया. अप्रैल 2022 की एक पोस्ट विशेष ध्यान खींचती है, जिसमें वे मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और उनके परिवार के साथ खड़ी दिखाई देती हैं. यह तस्वीर आज उनकी राजनीतिक नज़दीकियों पर सवाल खड़े कर रही है.

नूपुर बोरा अपने सोशल मीडिया पर हस्तनिर्मित बांस की लाइट, एम्ब्रॉयडरी किए हुए कुशन कवर, कपड़े और बैग का प्रचार-प्रसार भी करती थीं. कई पोस्ट में उन्होंने “आक्सोमी” नामक एक क्लोदिंग ब्रांड को टैग किया है, जिसे उनके साथ जोड़कर देखा जा रहा है. उनके प्रोफाइल से यह भी स्पष्ट होता है कि वे प्रशासनिक सेवा के साथ-साथ उद्यमिता और स्थानीय उत्पादों के प्रचार में भी दिलचस्पी लेती थीं.

जनवरी 2019 में उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान अपनी तस्वीरें पोस्ट की थीं, जिनमें असम एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज का बैनर साफ दिखता है. फरवरी 2019 में उन्होंने लिखा, “डिफू में सहायक आयुक्त सह कार्यपालक मजिस्ट्रेट के रूप में पोस्टेड.” ये शुरुआती पोस्ट उनके प्रोफेशनल सफर को दर्शाती हैं. बाद के वर्षों में उन्होंने करबी आंगलोंग जिले में कोविड टीकाकरण अभियान की चुनौतियों और अनुभवों पर भी लिखा. दिसंबर 2021 की एक पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि यह क्षेत्र भौगोलिक और जातीय दृष्टि से बेहद जटिल है, जहां टीकाकरण जैसे अभियानों में लोगों की मानसिकता को बदलना कठिन होता है.

नूपुर बोरा की गिरफ्तारी और छापेमारी ने असम प्रशासनिक सेवा की साख पर गहरे सवाल खड़े किए हैं. एक ओर जहां उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के ठोस सबूत मिलने का दावा सरकार कर रही है, वहीं दूसरी ओर उनका व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन अब लोगों की चर्चा का विषय बन चुका है.

मुख्यमंत्री सरमा ने अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में जमीन के लेन-देन से जुड़ी भ्रष्टाचार की घटनाओं को लेकर चेतावनी दी है और कहा है कि ऐसे अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी. नूपुर बोरा का मामला इस चेतावनी का पहला बड़ा उदाहरण माना जा रहा है.

इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशासनिक सेवाओं में ईमानदारी और पारदर्शिता को लेकर राज्य सरकार अब समझौता नहीं करेगी. नूपुर बोरा का करियर, जो कभी उम्मीदों और उत्साह से भरा हुआ था, आज भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा हुआ है. उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई किस दिशा में जाएगी, यह आने वाले समय में तय होगा, लेकिन इतना निश्चित है कि इस घटना ने असम की नौकरशाही और राजनीति दोनों को झकझोर दिया है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-