गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट ने सोमवार को एक नया इतिहास रच दिया जब उसने पहली बार तीन ट्रिलियन डॉलर के मार्केट कैपिटलाइजेशन का आंकड़ा छुआ. यह उपलब्धि न केवल टेक सेक्टर बल्कि वैश्विक शेयर बाज़ार के लिए भी एक मील का पत्थर मानी जा रही है. कंपनी के क्लास ए शेयर 4.6 प्रतिशत की बढ़त के साथ 251.88 डॉलर पर और क्लास सी शेयर 4.5 प्रतिशत की बढ़त के साथ 252.3 डॉलर पर बंद हुए. यह दोनों ही शेयर अब तक के रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं.
इस उछाल की सबसे बड़ी वजह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर बढ़ा हुआ निवेशकों का भरोसा और हाल ही में कंपनी के पक्ष में आए एंटीट्रस्ट मामले का निर्णय माना जा रहा है. लंबे समय से चल रहे नियामक दबाव और कानूनी चुनौतियों के बीच यह फैसला अल्फाबेट के लिए राहत लेकर आया और बाजार में कंपनी की छवि को और मजबूत किया.
पिछले कुछ वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने टेक्नोलॉजी की दिशा और गति दोनों को बदल दिया है. गूगल ने अपने एआई मॉडल्स और टूल्स के ज़रिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एक मज़बूत स्थिति बना ली है. माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न और मेटा जैसी कंपनियां भी एआई के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं, लेकिन गूगल का गहन शोध और लगातार नए प्रोडक्ट्स लॉन्च करने की रणनीति निवेशकों को आकर्षित कर रही है. यही वजह है कि पिछले छह महीनों में कंपनी के शेयरों में लगातार तेजी देखी गई है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि अल्फाबेट की ताकत उसकी विविधता में है. गूगल सर्च इंजन, यूट्यूब, गूगल क्लाउड और एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे प्लेटफॉर्म्स के जरिए कंपनी हर वर्ग के उपभोक्ता तक पहुंच बनाती है. यूट्यूब विज्ञापनों से होने वाली कमाई, गूगल क्लाउड की तेज़ी से बढ़ती सेवाएं और एंड्रॉयड इकोसिस्टम की मजबूती कंपनी को लगातार ऊंचाइयों तक पहुंचा रही है. इसके साथ ही गूगल का एआई विभाग "डीपमाइंड" और "जेमिनी" जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है, जिससे भविष्य में और भी बड़े अवसर खुल सकते हैं.
निवेशकों के बीच यह धारणा बनी हुई है कि एआई टेक्नोलॉजी आने वाले दशक की सबसे बड़ी आर्थिक क्रांति साबित होगी. गूगल ने शुरुआती दौर से ही मशीन लर्निंग और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में काम किया है, जिससे उसे प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिली. हाल ही में कंपनी ने अपने एआई चैटबॉट और जेनरेटिव एआई टूल्स लॉन्च किए हैं, जिन्हें व्यापक प्रतिक्रिया मिली है. यही कारण है कि निवेशक कंपनी के दीर्घकालिक भविष्य को लेकर आश्वस्त हैं.
वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि तीन ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा केवल एक प्रतीक नहीं बल्कि बाजार में भरोसे का पैमाना भी है. एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां पहले ही इस स्तर को छू चुकी हैं और अब अल्फाबेट ने भी इस क्लब में जगह बना ली है. यह उपलब्धि कंपनी की रणनीति, नवाचार और वैश्विक पहुंच का नतीजा है.
हालांकि, कुछ विश्लेषक यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि इतनी ऊंची वैल्यूएशन पर निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए. एआई क्षेत्र अभी शुरुआती दौर में है और प्रतिस्पर्धा बेहद तीव्र है. माइक्रोसॉफ्ट का ओपनएआई में निवेश, अमेज़न का क्लाउड और एआई पर फोकस, मेटा का वर्चुअल और ऑगमेंटेड रियलिटी पर प्रयोग—ये सभी पहलू गूगल के लिए चुनौती भी हैं. इसके अलावा, दुनिया भर के नियामक संस्थान बड़ी टेक कंपनियों पर लगातार निगरानी रख रहे हैं. अमेरिका और यूरोप में डेटा प्राइवेसी और प्रतिस्पर्धा से जुड़े कानून कड़े किए जा रहे हैं, जिनका असर गूगल जैसे दिग्गजों पर पड़ सकता है.
फिर भी, अल्फाबेट ने यह साबित कर दिया है कि उसका बिजनेस मॉडल मजबूत है और उसके पास भविष्य के लिए ठोस योजनाएं हैं. कंपनी के राजस्व स्रोत विविध हैं और उसकी सेवाओं का दायरा इतना व्यापक है कि किसी एक सेक्टर में गिरावट का असर उसके समग्र प्रदर्शन पर बहुत कम पड़ता है. उदाहरण के लिए, यूट्यूब और गूगल क्लाउड की आय लगातार बढ़ रही है, जो विज्ञापन कारोबार में आई अस्थिरता की भरपाई करती है.
निवेशकों के लिए यह भी दिलचस्प है कि कंपनी ने हाल के वर्षों में शेयर बायबैक और डिविडेंड पॉलिसी पर भी ध्यान दिया है. इससे शेयरधारकों को न केवल अल्पकालिक लाभ मिलता है बल्कि दीर्घकालिक भरोसा भी कायम होता है. विश्लेषकों के मुताबिक, यही वजह है कि अल्फाबेट के शेयरों में निरंतर खरीदारी हो रही है और वे नए रिकॉर्ड बना रहे हैं.
अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था की बात करें तो अमेरिकी शेयर बाजार में टेक कंपनियों का दबदबा लगातार बढ़ रहा है. एस एंड पी 500 और नैस्डैक इंडेक्स में टेक सेक्टर का योगदान सबसे ज्यादा है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग और डिजिटल विज्ञापन तीन ऐसे स्तंभ हैं, जिन पर पूरा टेक सेक्टर टिका हुआ है. गूगल इन तीनों क्षेत्रों में प्रमुख भूमिका निभा रहा है, जिससे उसके भविष्य को लेकर उम्मीदें और भी मजबूत हो गई हैं.
विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में गूगल की सबसे बड़ी चुनौती नवाचार की गति बनाए रखना होगी. एआई के क्षेत्र में हर दिन नई तकनीकें सामने आ रही हैं. उपभोक्ताओं की अपेक्षाएं भी लगातार बढ़ रही हैं. ऐसे में कंपनी को न केवल नई सेवाएं लानी होंगी बल्कि अपने मौजूदा प्रोडक्ट्स को भी और बेहतर बनाना होगा.
फिलहाल, बाजार की नजरें गूगल के अगले कदम पर टिकी हुई हैं. कंपनी ने संकेत दिया है कि वह आने वाले महीनों में और बड़े एआई प्रोडक्ट्स लॉन्च करेगी. इसके साथ ही गूगल क्लाउड के विस्तार और यूट्यूब पर नए फीचर्स की भी चर्चा है. अगर ये पहल सफल होती हैं तो अल्फाबेट की वैल्यूएशन और भी ऊपर जा सकती है.
तीन ट्रिलियन डॉलर के इस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं था. इस सफर में कंपनी ने कई उतार-चढ़ाव देखे. कभी विज्ञापन कारोबार में गिरावट आई, कभी डेटा प्राइवेसी को लेकर सवाल उठे, तो कभी नियामक दबाव ने मुश्किलें खड़ी कीं. लेकिन हर बार कंपनी ने अपनी नीतियों और रणनीतियों में बदलाव करके संकट से बाहर निकलने की क्षमता दिखाई. यही वजह है कि आज वह दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक बन चुकी है.
आख़िरकार, गूगल पैरेंट अल्फाबेट की यह उपलब्धि केवल एक कंपनी की सफलता की कहानी नहीं बल्कि टेक्नोलॉजी की ताकत और उसकी वैश्विक प्रभावशीलता का प्रमाण भी है. निवेशक इसे भविष्य की दिशा मान रहे हैं और उपभोक्ता इसे अपनी डिजिटल जिंदगी का अभिन्न हिस्सा. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अल्फाबेट अपनी रफ्तार बनाए रखती है और चार ट्रिलियन डॉलर की ओर कदम बढ़ाती है या प्रतिस्पर्धा और नियामकीय चुनौतियां उसके रास्ते में नई बाधाएं खड़ी करती हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

