सबरीमाला सोने का रहस्य, 4.5 किलोग्राम सोना पवित्र मूर्तियों से गायब

सबरीमाला सोने का रहस्य, 4.5 किलोग्राम सोना पवित्र मूर्तियों से गायब

प्रेषित समय :21:55:34 PM / Thu, Sep 18th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

तिरुवनंतपुरम. केरल के प्रतिष्ठित सबरीमाला मंदिर में लगभग 4.5 किलोग्राम सोना, जिसकी अनुमानित कीमत 4.37 करोड़ रुपये है, रहस्यमय तरीके से पवित्र द्वारपाल मूर्तियों से गायब हो गया। इस घटनाक्रम ने सत्ताधिकारियों और भक्तों के बीच गहरा हलचल मचा दिया है। केरल उच्च न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और इसे “चौंकाने वाला और अस्पष्टीकृत” करार देते हुए तत्काल सतर्कता जांच का आदेश दिया है।

यह विवाद 2019 से शुरू हुआ जब त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड ने द्वारपाल मूर्तियों से सोने-चढ़े तांबे के आवरण हटा कर उन्हें पुन: चढ़ाने के लिए भेजा। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, मंदिर से हटाए गए प्लेटों का वजन 42.8 किलोग्राम था, लेकिन जब ये प्लेटें पुन: चढ़ाने के लिए चेन्नई स्थित स्मार्ट क्रिएशन्स कंपनी को भेजी गईं, तो उनका वजन रहस्यमय तरीके से घटकर केवल 38.258 किलोग्राम रह गया।

न्यायालय ने “गंभीर अनियमितताओं” पर सवाल उठाया है। न्यायमूर्ति राजा विजय राघवन वी और के.वी. जयकुमार की डिवीजन बेंच ने पवित्र वस्तुओं के संभालने के तरीके पर गहरी चिंता व्यक्त की। न्यायालय ने कहा कि वजन में यह कमी केवल सोने के आवरण से ही हो सकती है और संभावना जताई कि तांबे की प्लेटों का एक अलग सेट मंदिर में प्रतिस्थापित किया गया हो। बेंच ने इस मामले को “चौंकाने वाला” बताते हुए कहा कि इस मामले में विस्तृत जांच आवश्यक है। विशेष रूप से न्यायालय ने यह आलोचना की कि पुन: स्थापना के समय वजन का रिकॉर्ड नहीं रखा गया, जिसे उन्होंने “गंभीर दोष” कहा और संभवतः यह “जानबूझकर” किया गया हो ताकि गायब सोने का पता न चल सके।

इस विवाद में कार्य को प्रायोजित करने वाले बेंगलुरु निवासी भक्त उन्निकृष्णन पोटी का भी नाम सामने आया है, जिन्हें अब मामले में प्रतिवादी बनाया गया है। पोटी का दावा है कि केवल सोना ही नहीं, बल्कि मूर्तियों के आधार आवरण भी गायब हैं। न्यायालय ने इस प्रक्रिया में देरी की ओर ध्यान दिलाया, क्योंकि प्लेटों को हटाने और चेन्नई कंपनी को भेजने में एक महीने से अधिक समय लग गया।

घटनाक्रम में और पेचीदगियां तब सामने आईं जब यह खुलासा हुआ कि 40 वर्ष की वारंटी वाली सोने की चढ़ाई मात्र छह वर्षों में दोषपूर्ण हो गई, जिसके बाद इसे ठीक कराने का नया प्रयास किया गया। न्यायालय ने मुख्य सतर्कता और सुरक्षा अधिकारी को आदेश दिया है कि वे जांच करें कि क्या द्वारपाल मूर्तियों का दूसरा सेट मंदिर के मजबूत कक्ष में रखा गया है और प्रायोजन से संबंधित सभी वित्तीय रिकॉर्डों की भी समीक्षा करें।

यह घटना लाखों भक्तों की आस्था को झकझोर कर रख दिया है। सबारिमला मंदिर भारत के उन प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है जहां भक्त 41 दिन की कठोर तपस्या के बाद पहुंचते हैं। इस मंदिर में सोने की यह ग़ायब घटना न केवल वित्तीय बल्कि धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से भी गंभीर चिंता का विषय बन गई है।

विशेषज्ञों और भक्तों का कहना है कि इस मामले की जांच में पारदर्शिता सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि मंदिर प्रशासन और भक्तों के विश्वास को बहाल किया जा सके। साथ ही न्यायालय के सतर्कता निरीक्षण और वित्तीय रिकॉर्ड की समीक्षा से ही यह स्पष्ट होगा कि यह घटना अनजाने में हुई या इसमें किसी तरह की योजना शामिल थी।

इस रहस्य ने न केवल मंदिर प्रबंधन की जिम्मेदारी पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी दिखाया कि धार्मिक संस्थानों में आभूषण और मूल्यवान वस्तुओं की सुरक्षा और निगरानी कितनी महत्वपूर्ण है। घटना के सामने आने के बाद मंदिर प्रशासन ने सभी सुरक्षा प्रक्रियाओं की समीक्षा शुरू कर दी है और जांच पूरी होने तक किसी भी संबंधित कार्य को स्थगित कर दिया है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-