साइबर ठगों की चाल पर बड़ी कार्रवाई म्यूल अकाउंट की पहचान से ठगी पर लगेगा शिकंजा

साइबर ठगों की चाल पर बड़ी कार्रवाई म्यूल अकाउंट की पहचान से ठगी पर लगेगा शिकंजा

प्रेषित समय :22:06:38 PM / Thu, Sep 18th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
नई दिल्ली से रिपोर्ट के अनुसार, साइबर अपराधियों द्वारा किए जाने वाले ठगी मामलों पर नियंत्रण पाने के लिए बैंक और सरकार नई पहल कर रही हैं. साइबर ठग अक्सर अपने नाम से बैंक खाता इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि म्यूल अकाउंट का सहारा लेते हैं. म्यूल अकाउंट का मतलब है कि कोई व्यक्ति किराये पर या किसी अन्य तरीके से किसी दूसरे व्यक्ति का बैंक खाता अपने उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करता है. इस तरह के खातों का दुरुपयोग मनी लॉन्ड्रिंग, फिशिंग स्कैम, ऑनलाइन धोखाधड़ी और अन्य साइबर अपराधों में बड़े पैमाने पर किया जाता है.

पिछले वर्ष रिजर्व बैंक के गवर्नर ने प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर के बैंकों को चेतावनी दी थी कि वे म्यूल अकाउंट की पहचान के प्रयासों को तेज करें. उनका कहना था कि ऐसे अकाउंट्स साइबर अपराधियों के लिए मुख्य साधन बन चुके हैं और बैंक अगर समय रहते इन पर कार्रवाई नहीं करेंगे, तो आम नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है. बैंक और वित्तीय संस्थान अब इस दिशा में तकनीकी और प्रशासनिक उपायों को लागू कर रहे हैं ताकि संदिग्ध लेन-देन पर तुरंत नजर रखी जा सके और अकाउंट फ्रीज करने जैसी कार्रवाई की जा सके.

साइबर ठग म्यूल अकाउंट पर पकड़ बनाने के बाद ठगी की रकम को आसानी से प्राप्त कर लेते हैं और अक्सर इसे विदेश में ट्रांसफर कर दिया जाता है. अगर इस प्रक्रिया में देरी होती है, तो खाताधारक के खाते में शेष राशि समाप्त हो जाती है और ठगी का शिकार केवल वही बनता है जिसके नाम से अकाउंट खुला है. इसके विपरीत, अगर साइबर ठगी की सूचना तुरंत मिलती है और बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिया जाता है, तो रकम को रिकवर करने की संभावना बढ़ जाती है. यही कारण है कि बैंक अधिकारियों को संदिग्ध लेन-देन पर त्वरित कार्रवाई करने का कानूनी अधिकार देने की आवश्यकता महसूस की जा रही है.

साइबर ठग केवल प्रत्यक्ष ठगी ही नहीं करते, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को भी शिकार बनाते हैं. आम नागरिकों को अपने खाते में किसी भी असामान्य लेन-देन की सतर्क निगरानी करनी चाहिए. किसी अनजान व्यक्ति द्वारा पैसे ट्रांसफर करने के लिए दबाव बनाने या अपने खाते का विवरण मांगने पर सतर्क रहना अत्यंत आवश्यक है. इसके अलावा, आधार कार्ड, पैन कार्ड और अन्य पर्सनल दस्तावेजों की कॉपी अनजान लोगों या कंपनियों को साझा करने से बचना चाहिए.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, झारखंड सरकार ने साइबर क्राइम और म्यूल अकाउंट के दुरुपयोग पर नियंत्रण के लिए नई पहल की है. सरकार आईटी एक्ट के सेक्शन 46 के तहत लोगों को सुरक्षा और राहत प्रदान करेगी. इसके अनुसार अगर किसी व्यक्ति का पर्सनल डेटा किसी कंपनी या सरकारी विभाग द्वारा लीक होता है और उससे किसी को नुकसान पहुंचता है, तो प्रभावित व्यक्ति कंपनसेशन की मांग कर सकेगा. इस पहल का उद्देश्य आम नागरिकों की निजी जानकारी और वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करना है.

म्यूल अकाउंट खोलने वाले बैंक अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी. ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से यह संदेश जाएगा कि बैंकिंग प्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता अनिवार्य है. विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक और सरकार का संयुक्त प्रयास साइबर अपराध पर अंकुश लगाने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है.

साइबर क्राइम विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि म्यूल अकाउंट की पहचान के लिए बैंक में तकनीकी उपायों के साथ कर्मचारियों की सतर्कता और प्रशिक्षित निगरानी भी जरूरी है. बैंक को नियमित रूप से डेटा एनालिटिक्स, लेन-देन की पैटर्न जांच और संदिग्ध खातों की पहचान के लिए एडवांस्ड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना चाहिए. साथ ही, आम नागरिकों को भी डिजिटल वित्तीय सुरक्षा के प्रति जागरूक होना आवश्यक है ताकि साइबर ठगी के मामलों को कम किया जा सके.

अभिमनोज, जो साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ हैं, का कहना है कि म्यूल अकाउंट का दुरुपयोग केवल तकनीकी रूप से रोकना पर्याप्त नहीं है, बल्कि सामाजिक और वित्तीय चेतना भी जरूरी है. लोग जब अपने बैंक खातों और व्यक्तिगत जानकारी के प्रति सतर्क होंगे तभी साइबर अपराधियों का कामकाज सीमित हो सकेगा. इसके लिए बैंकों को नियमित जागरूकता अभियान चलाना चाहिए और खाताधारकों को म्यूल अकाउंट जैसी धोखाधड़ी के संकेतों की जानकारी देना चाहिए.

बैंक अधिकारियों को नए कानूनी अधिकार मिलने से वे संदिग्ध लेन-देन को समय रहते रोक सकेंगे. उदाहरण के लिए, अगर किसी खाते में अचानक बड़ी राशि ट्रांसफर होती है, तो बैंक तुरंत उसे फ्रीज कर सके और जांच प्रक्रिया शुरू कर सके. इससे न केवल ठगी की रकम रिकवर होने की संभावना बढ़ेगी बल्कि साइबर ठगों को भी चेतावनी मिलेगी कि उनके अपराध पर नजर रखी जा रही है.

साइबर अपराधियों की रणनीतियों में अक्सर डर और लालच का इस्तेमाल शामिल होता है. वे आम लोगों को ऐसे मामलों में फंसाते हैं और म्यूल अकाउंट का प्रयोग करके पैसा आसानी से अपने नियंत्रण में ले लेते हैं. इसके खिलाफ बैंकों और सरकार के संयुक्त कदम आम नागरिकों के लिए सुरक्षा की गारंटी की तरह हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि म्यूल अकाउंट की पहचान, बैंक अधिकारियों को समय रहते कार्रवाई करने के अधिकार, और आम नागरिकों की सतर्कता के जरिए साइबर ठगी पर काबू पाया जा सकता है. डिजिटल लेन-देन की बढ़ती संख्या और ऑनलाइन वित्तीय गतिविधियों के विस्तार को देखते हुए यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण और समयोचित है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-