द गार्डियन (The Guardian), ब्रिटेन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत और पाकिस्तान के बीच एशिया कप 2025 के ग्रुप मैच में टॉस के दौरान पारंपरिक हैंडशेक की परंपरा टूटने से क्रिकेट की कूटनीति पर बहस तेज हो गई है. अबू धाबी के ज़ायद क्रिकेट स्टेडियम में शुक्रवार को खेले गए इस मुकाबले में दोनों देशों की टीमों के बीच खेल का रोमांच और राजनीतिक संदर्भों ने दर्शकों और विशेषज्ञों दोनों का ध्यान आकर्षित किया. भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने मैदान पर खिलाड़ियों के उत्साह और प्रदर्शन का आनंद लिया, लेकिन टॉस के समय हुए इस अनोखे घटनाक्रम ने मैच के रोमांच के साथ-साथ सामाजिक और कूटनीतिक चर्चाओं को भी जन्म दिया.
मैच से पहले टॉस के समय भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव और पाकिस्तान के कप्तान सलमान अली आगा आमने-सामने आए. पारंपरिक तौर पर, दोनों देशों के कप्तान एक दूसरे का स्वागत करते हुए हाथ मिलाते हैं, जिससे खेल और कूटनीति दोनों का संदेश मिलता है. लेकिन इस बार यह परंपरा टूट गई. जैसे ही सूर्यकुमार यादव और सलमान अली आगा टॉस के लिए खड़े हुए, हाथ मिलाने की सामान्य प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. यह पल कैमरों में कैद हुआ और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया.
भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह दृश्य अप्रत्याशित था. मैदान में बैठे दर्शक हैरानी और हल्की मुस्कान के साथ इसे देख रहे थे. विशेषज्ञों का कहना था कि यह केवल एक खेल घटना नहीं है, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक और मानसिक दृष्टिकोण भी काम कर सकते हैं. क्रिकेट और कूटनीति का सम्बन्ध हमेशा से गहरा रहा है, विशेष रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच. इन दोनों देशों के मैचों में खेल से बढ़कर प्रतीकात्मक और राजनयिक महत्व होता है. हर एक व्यवहार, चाहे वह जीत हो या हार, या यहां तक कि एक साधारण टॉस, मीडिया और जनता की नजरों में बड़ा महत्व रखता है.
सूर्यकुमार यादव ने मैच के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि यह केवल एक साधारण पल था और खिलाड़ियों का ध्यान खेल पर केंद्रित होना चाहिए. उन्होंने यह भी जोड़ा कि मैदान पर खिलाड़ियों का रवैया और उनकी मानसिक तैयारी महत्वपूर्ण है. हालांकि, यह घटना मीडिया और विशेषज्ञों के लिए बहस का विषय बन गई. विभिन्न भारतीय और अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्रों ने इस पर विस्तृत रिपोर्टिंग की. द गार्डियन, वॉशिंगटन पोस्ट और अल जज़ीरा जैसी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थाओं ने भी इस घटना का उल्लेख किया और इसे क्रिकेट कूटनीति के दृष्टिकोण से विश्लेषित किया.
पाकिस्तान की टीम के कप्तान सलमान अली आगा ने भी यह स्पष्ट किया कि मैदान पर उनका ध्यान खेल पर था और किसी प्रकार की अनदेखी या राजनीतिक संदेश देने का इरादा नहीं था. उन्होंने कहा कि क्रिकेट का उद्देश्य खेल को बढ़ावा देना और दोनों देशों के बीच मित्रता को कायम रखना है. हालांकि, दर्शकों और विशेषज्ञों ने इसे खेल से परे अर्थों में देखा. उन्होंने इसे एक संकेत माना कि भारत और पाकिस्तान के बीच पारंपरिक कूटनीतिक व्यवहार में बदलाव हो रहा है.
इस मैच में भारत ने बल्लेबाजी का निर्णय लिया और पहले विकेट के लिए अपने बल्लेबाजों को मैदान में उतारा. भारतीय टीम के बल्लेबाजों ने आक्रमक शुरुआत की और ओवरों के दौरान रन बनाने का प्रयास किया. वहीं, पाकिस्तान की टीम ने गेंदबाजी में विविधता लाने का प्रयास किया. खेल के दौरान दर्शकों ने मैदान में बैठकर मैच का आनंद लिया. लेकिन टॉस के समय का यह विशेष दृश्य बार-बार कैमरों में कैद होता रहा.
सोशल मीडिया पर यह दृश्य तेजी से वायरल हो गया और इस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ आईं. कुछ लोगों ने इसे हल्के-फुल्के मजाक के रूप में देखा, जबकि कुछ ने इसे गंभीर कूटनीतिक संकेत के रूप में माना. विशेषज्ञों का कहना था कि क्रिकेट और कूटनीति हमेशा से जुड़े हुए रहे हैं और भारत-पाकिस्तान मैच में हर छोटा पल भी महत्वपूर्ण हो सकता है. यह घटना इस बात का प्रमाण है कि खेल केवल मैदान तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसके राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव भी होते हैं.
भारतीय मीडिया ने इसे मुख्य समाचार के रूप में प्रमुखता दी. टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स और लोकमत टाइम्स जैसी प्रमुख समाचार पत्रिकाओं ने विस्तार से इस घटना की रिपोर्टिंग की. पत्रकारों ने खिलाड़ियों के व्यवहार, टॉस के समय का माहौल और दर्शकों की प्रतिक्रियाओं का वर्णन किया. इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इसे क्रिकेट कूटनीति के दृष्टिकोण से कवर किया. द गार्डियन ने इसे 'क्रिकेट कूटनीति का टूटना' कहा और लिखा कि इस घटना ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में खेल के महत्व को फिर से उजागर किया. वॉशिंगटन पोस्ट और अल जज़ीरा ने भी इस पर रिपोर्ट प्रकाशित की और इस घटना को खेल और राजनीति के परिप्रेक्ष्य में रखा.
खेल विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे घटनाक्रम खेल की दुनिया में असामान्य नहीं हैं, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच विशेष महत्व रखते हैं. इस मैच में खिलाड़ियों का व्यवहार, टॉस के समय हुई घटना और मैदान पर खेल का स्तर दर्शकों के लिए रोमांचक अनुभव था. इस घटना ने यह भी दिखाया कि खेल केवल खेल नहीं होता, बल्कि इसके माध्यम से संदेश देना, प्रतीकात्मक व्यवहार करना और कूटनीतिक संकेत देना भी संभव है.
मैच के दौरान भारतीय टीम ने शानदार बल्लेबाजी की और कप्तान सूर्यकुमार यादव ने मैदान पर रणनीतिक निर्णयों के माध्यम से टीम को मजबूती प्रदान की. खिलाड़ियों ने दर्शकों को रोमांचक पल प्रदान किए. पाकिस्तान की टीम ने भी अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन टॉस के समय की घटना ही सबसे चर्चा में रही. मीडिया ने इसे विशेष रूप से कवर किया और इसे खेल और कूटनीति के दृष्टिकोण से जोड़कर प्रस्तुत किया.
यह घटना यह दर्शाती है कि भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट केवल खेल नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच कूटनीति का एक प्रतीक भी है. हर टॉस, हर हैंडशेक और हर खिलाड़ी का व्यवहार इस कूटनीति का हिस्सा माना जाता है. भारतीय और पाकिस्तानी दर्शक इसे गहराई से देखते हैं और इसका अर्थ खेल के अलावा सामाजिक और राजनीतिक संदर्भों में निकालते हैं.
इस प्रकार, एशिया कप 2025 के इस मैच में टॉस के समय हुए इस अनोखे घटनाक्रम ने क्रिकेट प्रेमियों, विशेषज्ञों और मीडिया को विचार करने पर मजबूर कर दिया. यह केवल एक खेल घटना नहीं, बल्कि खेल और कूटनीति के जटिल रिश्ते का प्रतीक बन गई. मैच का परिणाम, खिलाड़ियों का प्रदर्शन और मैदान पर रोमांच दर्शकों के लिए महत्वपूर्ण था, लेकिन टॉस के समय का दृश्य लंबे समय तक चर्चा में बना रहेगा.
इस घटना ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच खेल केवल अंक और ट्रॉफी तक सीमित नहीं है. यह दोनों देशों की जनता, मीडिया और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी जुड़ा हुआ है. हर व्यवहार का मतलब निकाला जाता है और इसे व्यापक सामाजिक और कूटनीतिक संदर्भ में देखा जाता है. इस तरह का घटनाक्रम दर्शाता है कि क्रिकेट के मैदान पर एक साधारण टॉस भी कई अर्थों और संदेशों से भरपूर हो सकता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

