पूर्व महापौर व बीजेपी नेता प्रभात साहू और पुलिस विवाद मामला अब भोपाल तक पहुंचा, मुख्यमंत्री पर निगाहें टिकी

पूर्व महापौर व बीजेपी नेता प्रभात साहू और पुलिस विवाद मामला अब भोपाल तक पहुंचा, मुख्यमंत्री पर निगाहें टिकी

प्रेषित समय :19:46:39 PM / Fri, Sep 19th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. जबलपुर में पूर्व महापौर और बीजेपी नेता प्रभात साहू और ट्रैफिक पुलिस के बीच मंगलवार को हुई झड़प का विवाद अब केवल स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं रह गया है. प्रारंभ में मामला धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला गया था, लेकिन धीरे-धीरे राजनीतिक दबाव और मीडिया कवरेज के कारण यह मामला भोपाल तक पहुँच गया है. सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को इस घटना की जानकारी दी गई है, हालांकि फिलहाल उन्होंने कोई विशेष दिलचस्पी नहीं दिखाई है.

सूत्र बताते हैं कि यह विवाद केवल पुलिसकर्मियों और नेताओं के बीच का मामला नहीं है. इसके पीछे कोई लक्षित राजनीतिक और प्रशासनिक उद्देश्य भी काम कर रहा है. जबलपुर के पुलिस अधीक्षक वर्तमान में किसी भी बीजेपी नेता की नहीं सुन रहे हैं, जिससे नेताओं और पुलिस प्रशासन के बीच तनाव की स्थिति बन रही है. कथित रूप से इस विवाद को पुलिस और नेताओं के बीच टकराव का रूप देकर पुलिस अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई करवाने की कोशिश की जा रही है.

जानकारी के अनुसार, घटना बल्देवबाग इलाके में हुई. ट्रैफिक पुलिस वाहन नियमों की जांच कर रही थी और उसी क्रम में प्रभात साहू का वाहन रोका गया. जांच और नियमों के पालन को लेकर प्रभात साहू और तैनात ट्रैफिक कांस्टेबल के बीच तीखी बहस हुई. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बहस इतनी बढ़ गई कि दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की तक की नौबत आ गई. राहगीरों और स्थानीय लोगों ने इस पूरी घटना को मोबाइल फोन में रिकॉर्ड किया, जिसके बाद वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और मामले ने तुरंत राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल पैदा कर दी.

घटना के तुरंत बाद प्रभात साहू के समर्थकों में आक्रोश फैल गया. बड़ी संख्या में लोग मौके पर पहुंचकर पुलिस कार्रवाई का विरोध करने लगे. समर्थकों का आरोप है कि पुलिसकर्मी ने वरिष्ठ नेता और पूर्व महापौर के साथ अनुचित व्यवहार किया. वहीं पुलिसकर्मी का कहना है कि वह केवल नियमों का पालन करवा रहा था और इसी दौरान विवाद हो गया.

मामला राजनीतिक रंग लेने के बाद पुलिस प्रशासन ने तत्काल कदम उठाए. विवाद में शामिल ट्रैफिक कांस्टेबल को निलंबित कर दिया गया. अधिकारियों ने बताया कि यह निर्णय स्थिति को शांत करने और तनाव कम करने के उद्देश्य से लिया गया है. हालांकि, इस फैसले पर भी लोगों की प्रतिक्रिया अलग-अलग रही है.

बीजेपी नेताओं ने प्रभात साहू के समर्थन में बयान जारी करते हुए कहा कि जनता के चुने हुए प्रतिनिधि और वरिष्ठ नेता के साथ पुलिस का इस तरह का व्यवहार अस्वीकार्य है. उन्होंने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. समर्थकों ने चेतावनी भी दी कि यदि मामले को हल्के में लिया गया तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे.

वहीं, शहर के कुछ सामाजिक संगठनों और नागरिकों का मानना है कि कानून सबके लिए समान होना चाहिए. उनका कहना है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह नेता हो या आम नागरिक, ट्रैफिक नियमों का पालन करना अनिवार्य है. पुलिस का काम नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई करना है और इस स्थिति में विवाद को टालना ही चाहिए था.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह मामला केवल स्थानीय झड़प नहीं बल्कि जबलपुर प्रशासन और बीजेपी नेताओं के बीच बढ़ते तनाव का प्रतीक है. पुलिस अधीक्षक की अनदेखी और नेताओं के दबाव के बीच संतुलन बनाना प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि प्रभात साहू की यह स्थिति उनके राजनीतिक प्रभाव को बढ़ा सकती है और भविष्य के स्थानीय चुनावों में इसका असर दिख सकता है.

सोशल मीडिया पर इस घटना पर तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं. कुछ लोग प्रभात साहू के पक्ष में खड़े होकर पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे नेताओं की दबंगई का उदाहरण बता रहे हैं. वीडियो वायरल होने के बाद जनता में यह बहस शुरू हो गई है कि क्या नेताओं को कानून से ऊपर समझा जाना चाहिए या पुलिस को अपने अधिकारों का संतुलित उपयोग करना चाहिए.

इस पूरे विवाद ने जबलपुर की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में हलचल मचा दी है. फिलहाल यह देखना बाकी है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस मामले में क्या कदम उठाते हैं. जनता और शहरवासी उम्मीद कर रहे हैं कि मामले में जल्द ही निष्पक्ष और ठोस कार्रवाई की जाएगी ताकि कानून का राज और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.

प्रभात साहू के राजनीतिक जीवन की बात करें तो वे पूर्व महापौर रह चुके हैं और शहर में बीजेपी के वरिष्ठ नेता के रूप में जाने जाते हैं. उनका इस तरह का विवाद राजनीति में उनके समर्थकों को सक्रिय करने और स्थानीय प्रशासन पर दबाव बनाने की रणनीति भी माना जा रहा है. समर्थक मानते हैं कि प्रभात साहू की सक्रियता से प्रशासनिक निर्णयों में तेजी आएगी और भविष्य में किसी भी नेता या नागरिक के अधिकारों के उल्लंघन की संभावना कम होगी.

पुलिस प्रशासन का कहना है कि मामले की जांच जारी है और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी. अधिकारियों ने यह भी बताया कि विवाद को शांत करने के लिए स्थानीय स्तर पर विशेष टीम तैनात की गई है और ट्रैफिक नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा.

जबलपुर के नागरिक इस पूरे प्रकरण को लेकर चिंतित हैं. लोगों का मानना है कि कानून और सुरक्षा का संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है. वे चाहते हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और शहर में शांति और व्यवस्था बनाए रखी जाए.

इस प्रकार प्रभात साहू और जबलपुर पुलिस के बीच विवाद अब केवल एक स्थानीय झड़प नहीं रह गया है, बल्कि यह भोपाल तक पहुँचकर राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है. जनता, समर्थक और प्रशासन सभी इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस मामले को किस दिशा में ले जाते हैं और शहर की कानून व्यवस्था को कैसे बनाए रखा जाता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-